-मायावती की पार्टी के नाम दर्ज हुआ शर्मनाक रिकॉर्ड
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में कुल 8,360 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई थी। जिनमें से 7,194 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। यानी 86.1 प्रतिशत उम्मीदवार ऐसे थे जिन्हें अपने लोकसभा क्षेत्र में डाले गए वोट का छठा हिस्सा भी नहीं मिल सका। इनकी जमानत राशि कुल 16.36 करोड़ बनी है। जिसे अब RBI जमा करेगा या सरकारी खजाने में जगह मिलेगी। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के मुताबिक भारत में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए 25,000 रुपये की जमानत राशि जमा करनी होती है। चुनाव आयोग ने जमानत राशि जमा कराना इसलिए अनिवार्य किया है ताकि चुनाव लड़ने के लिए गंभीर लोग ही आगे आएं और चुनाव लड़ें। चुनाव आयोग ने 2009 में अनारक्षित सीटों पर उम्मीदवारों के लिए जमानत राशि बढ़ाकर 25,000 रुपये कर दी थी। वहीं अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) सीटों पर उम्मीदवारों के लिए यह रकम 12,500 रुपये कर दी गई थी। हालांकि, विधानसभा चुनावों में जमानत राशि एससी और एसटी सीटों के लिए 10,000 रुपये और 5,000 रुपये है।
ऐसे होती है जमानत जब्त
चुनाव आयोग के मुताबिक अगर चुनाव में किसी उम्मीदवार को कुल पड़े वोटों का 1/6 फीसदी हासिल नहीं होता है तो उस प्रत्याशी की जमानत जब्त हो जाती है। यह पैसा भारतीय रिज़र्व बैंक या सरकारी खजाने में जमा कर दिया जाता है।
इस साल बढ़ गई है संख्या
इस साल ज़ब्त की गई जब्त राशि की कुल संख्या 2019 से बढ़ गई है। लोकसभा चुनाव-2019 में कुल 8,054 उम्मीदवारों में से 6,923 या 86% ने अपनी ज़मानत खो दी थी, जो कुल 15.87 करोड़ रुपये थी।
बसपा के उम्मीदवारों की जमानत सबसे ज्यादा जब्त
अगर बात की जाए कि लोकसभा चुनाव-2024 में किस पार्टी के उम्मीदवारों की सबसे ज्यादा जमानत जब्त हुई तो इसमें सबसे ज़्यादा उम्मीदवार बसपा के थे। बसपा के 476 उम्मीदवारों की जमानत इस चुनाव में जब्त हुई है। मायावती की पार्टी ने इस चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। यहां तक की पार्टी को एक भी सीट तक हासिल नहीं हुई है। इस चुनाव में मायावती की पार्टी के नाम शर्मनाक रिकॉर्ड दर्ज हुआ।
बसपा के बाद कांग्रेस के 51, वंचित बहुजन आघाडी (वीबीए) के 37, ऑल इंडिया फार्वर्ड ब्लाक के 30, सीपीआई (एम) के 30, बीजेपी के 28, सीपीआई के 23, आरबीआई (ए) के 23, एआईएमआईएम के 12 और सपा के 10 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई है। निर्दलीय उम्मीदवारों की सबसे ज्यादा जमानत जब्त हुई है। चुनाव मैदान में उतरे 3,920 निर्दलीय उम्मीदवारों में से 3,904 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई, यानी 8.96 करोड़ की जमानत राशि जमा हुई है।
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आम चुनाव 2024 से मुख्य निष्कर्ष
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मतदाता आंकड़ें
भारत की 1.4 अरब की जनसंख्या में से 968 मिलियन से अधिक मतदाता हैं, जिनमें से 642 मिलियन पंजीकृत मतदाता हैं। ये नागरिक अपने मताधिकार का प्रयोग करके राष्ट्र के लोकतांत्रिक ताने-बाने में योगदान देते हैं। इनमें महिला मतदाता महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जिनकी 312 मिलियन सक्रिय भूमिका चुनावी प्रक्रिया में रही है। मतदाताओं की संख्या सभी G7 देशों – अर्थात् अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और कनाडा – के मतदाताओं की कुल संख्या का 1.5 गुना है। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि यह तुलना मतदाताओं से संबंधित है, निर्वाचकों से नहीं। इसके अलावा, यह आंकड़ा यूरोपीय संघ के 27 देशों के कुल मतदाताओं की संख्या का 2.5 गुना है।
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-85+ एवं दिव्यांग मतदाता
समावेशिता भारतीय चुनावों की पहचान है। 85 वर्ष और उससे अधिक आयु के मतदाता, साथ ही दिव्यांग मतदाता (PwDs) देश के भविष्य को आकार देने में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।
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विश्व का सबसे बड़ा चुनावी अभियान
भारत की चुनाव मशीनरी ने एक विशाल अभियान चलाया है। इसमें 1.5 करोड़ से अधिक मतदान एवं सुरक्षाकर्मी शामिल थे। उन्होंने विविध भौगोलिक क्षेत्रों में सुचारू संचालन सुनिश्चित करने के लिए विशेष रेलगाड़ियों, हवाई उड़ानों, वाहनों और निगरानी टीमों का उपयोग किया।
-जम्मू और कश्मीर में मतदान
जम्मू और कश्मीर में हाल ही में हुए चुनाव में कुल मिलाकर 58.58% मतदान हुआ। वहीं, घाटी में 51.05% मतदान हुआ। चुनौतियों के बावजूद नागरिकों ने लोकतंत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दर्शाते हुए अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
-इंटरनेट प्रभाव
भारतीय जनता पार्टी इंटरनेट के महत्त्व को स्वीकार करती है और उसने भारत के राजनीतिक क्षेत्र में इतिहास रच दिया है, क्योंकि वह देश की पहली राजनीतिक पार्टी बन गई है, जिसने सर्च इंजन गूगल और उसके वीडियो प्लेटफॉर्म यूट्यूब पर राजनीतिक विज्ञापनों से 100 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर लिया है।
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