नीट पर ‘सुप्रीम’ आदेश, ग्रेस मार्क्स पाने वाले 1563 अभ्यर्थियों को दोबारा देनी होगी परीक्षा

—राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) परीक्षा विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

—केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा-1563 अभ्यर्थियों को दिए गए कृपांक रद्द कर दिए


इंट्रो

नीट रिजल्ट के बाद दाखिल की गई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि ग्रेस मार्क्स पाने वाले 1563 छात्रों को फिर से परीक्षा देनी होगी। हम काउंसलिंग पर रोक नही लगाएंगे। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी करके 2 हफ्ते में जवाब मांगा है। अब अगली सुनवाई 8 जुलाई को होगी। इधर, केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि 1563 अभ्यर्थियों को दिए गए कृपांक रद्द कर दिए हैं।

नई दिल्ली। राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) परीक्षा को लेकर जारी विवाद के बीच केंद्र ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय को अवगत कराया कि उसने एमबीबीएस और ऐसे अन्य पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए परीक्षा देने वाले 1,563 अभ्यर्थियों को दिए गए कृपांक रद्द कर दिए हैं। केंद्र ने यह भी कहा कि ऐसे अभ्यर्थियों के पास या तो दोबारा परीक्षा देने या नष्ट हुए समय की क्षतिपूर्ति के लिए उन्हें दिए गए कृपांकों को छोड़ने का विकल्प होगा। शीर्ष अदालत ने नीट-यूजी, 2024 के लिए छह जुलाई से शुरू होने वाली काउंसलिंग रोकने से इनकार करते हुए स्पष्ट किया कि चिकित्सा महाविद्यालयों और अन्य संस्थानों में सफल उम्मीदवारों का प्रवेश उन याचिकाओं के परिणाम के अधीन होगा, जिनमें प्रश्नपत्र लीक और अन्य कदाचार के आधार पर पांच मई को आयोजित परीक्षा रद्द करने जैसी राहत मांगी गई है। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की अवकाशकालीन पीठ ने याचिकाकर्ताओं की शिकायतों पर गौर करने के लिए गठित पैनल की सिफारिश पर 1,563 उम्मीदवारों को दिए गए कृपांक रद्द करने के फैसले को “काफी उचित” बताया। राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) अखिल भारतीय प्री-मेडिकल प्रवेश परीक्षा आयोजित करती है।

सुनवाई की शुरुआत में केंद्र और एनटीए की ओर से पेश वकील कनु अग्रवाल ने कहा कि शिकायतों का संज्ञान लेने के लिए गठित समिति ने “छात्रों की आशंकाओं को दूर करने” के लिए 12 जून को यह फैसला किया। उन्होंने कहा कि समिति का मानना था कि कृपांक वापस लिये जाने चाहिए और इन उम्मीदवारों के लिए 23 जून को फिर से आयोजित होने वाली परीक्षा का विकल्प दिया जाना चाहिए। उन्होंने बताय कि इस संबंध में एक अधिसूचना आज ही जारी की जाएगी। उन्होंने कहा कि समिति का मानना था कि परीक्षा देते समय समय की हानि के आधार पर कृपांक दिए जाने से विषम स्थिति पैदा हुई, क्योंकि इसे केवल उन प्रश्नों तक सीमित रखा जाना था, जो हल नहीं किए गए थे। सभी पहलुओं की जांच करने के बाद, पैनल ने निष्कर्ष निकाला कि इन लाभार्थी उम्मीदवारों के स्कोरकार्ड रद्द करने की सिफारिश करना उचित होगा। पीठ ने अपने आदेश में कहा, सिफारिशों के अनुसार, यह सुझाव दिया गया है कि प्रभावित 1563 उम्मीदवारों के चार जून, 2024 को जारी अंक रद्द किये जाएंगे और वापस ले लिए जाएंगे। इन प्रभावित 1563 उम्मीदवारों को बिना किसी क्षतिपूर्ति अंक के उनके वास्तविक अंकों के बारे में सूचित किया जाएगा। इसके अलावा, प्रभावित 1563 उम्मीदवारों के लिए फिर से परीक्षा आयोजित की जाएगी। पीठ ने कहा, प्रभावित उम्मीदवार जो पुन: परीक्षा के लिए उपस्थित नहीं होना चाहते हैं, उनके परिणाम पांच मई, 2024 को आयोजित परीक्षा में उन्हें दिये गये कृपांक को हटाकर उनके द्वारा प्राप्त वास्तविक अंकों के आधार पर घोषित किए जाएंगे और जो उम्मीदवार परीक्षा में फिर से शामिल होंगे, उनके पांच मई की परीक्षा में प्राप्त अंकों को खारिज कर दिया जाएगा और नये सिरे से प्राप्त प्राप्त अंकों पर विचार किया जाएगा।

केंद्र ने कहा कि पुनर्परीक्षा के परिणाम 30 जून को घोषित किए जाएंगे और एमबीबीएस, बीडीएस और अन्य पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए काउंसलिंग छह जुलाई से शुरू होगी। एडटेक फर्म ‘फीजिक्स वाला’ के मुख्य कार्यकारी अलख पांडे की ओर से पेश वकील जे साई दीपक ने यादृच्छिक रूप से (रैंडम) कृपांक दिए जाने की आलोचना की और कहा कि उन सभी छात्रों को दोबारा परीक्षा देने का विकल्प दिया जाना चाहिए जो समय नष्ट होने का आरोप लगाते हुए अदालत का दरवाजा नहीं खटखटा सके।

पीठ ने यह कहते हुए अनुरोध ठुकरा दिया कि वह मामले का दायरा उन लोगों तक नहीं बढ़ा सकती जो अदालत नहीं पहुंचे हैं। पीठ ने तीन याचिकाओं पर केंद्र और एनटीए को नोटिस जारी किए और उन्हें लंबित याचिकाओं के साथ सम्बद्ध कर दिया। इसने कहा कि इन सभी याचिकाओं पर गर्मी की छुट्टियों के बाद आठ जुलाई को एक साथ विचार किया जाएगा। पांडे ने 1,500 से अधिक उम्मीदवारों को कथित रूप से यादृच्छिक रूप से कृपांक दिए जाने की आलोचना की है और शीर्ष अदालत से नीट-यूजी, 2024 की परीक्षा प्रक्रिया और परिणामों की जांच” करने के लिए अपनी देखरेख में एक विशेषज्ञ पैनल गठित करने का आग्रह किया है। अब्दुल्ला मोहम्मद फैज और डॉ. शेख रोशन मोहिद्दीन द्वारा दायर एक अन्य याचिका में पेपर लीक और अन्य कदाचार के आरोपों पर नीट-यूजी 2024 के परिणामों को वापस लेने और नए सिरे से परीक्षा आयोजित करने की मांग की गई है।

कृपांक दिए जाने को चुनौती

नीट-यूजी अभ्यर्थी जरीपिति कार्तिक द्वारा दायर तीसरी याचिका में परीक्षा के दौरान कथित रूप से समय बर्बाद होने के लिए कृपांक दिए जाने को चुनौती दी गई है। यह परीक्षा पांच मई को 4,750 केंद्रों पर आयोजित की गई थी और इसमें लगभग 24 लाख उम्मीदवारों ने भाग लिया था। परिणाम 14 जून को घोषित होने की उम्मीद थी, लेकिन उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन पहले पूरा हो जाने के कारण इसे चार जून को ही घोषित कर दिया गया।

7 हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिका

नीट पर आरोपों के कारण कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए और सात उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय में मामले दायर किए गए। कथित अनियमितताओं की जांच की मांग को लेकर 10 जून को दिल्ली में बड़ी संख्या में छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया। एनटीए के इतिहास में अभूतपूर्व रूप से 67 छात्रों ने 720 अंक प्राप्त किए, जिनमें हरियाणा के फरीदाबाद के एक ही केंद्र के छह छात्र शामिल हैं। इसके बाद परीक्षा को लेकर संदेह पैदा हो गया है।

छात्र क्या मांग कर रहे हैं?

छात्रों का आरोप है कि परीक्षा में धांधली हुई है। ऐसे में काउंसलिंग पर रोक लगाई जाए और पेपर फिर से होने चाहिए। नीट यूजी-2024 रिजल्ट जारी होने के बाद छात्रों ने आरोप लगाया है कि इसमें गड़बड़ी हुई है। पहली बार ऐसा हुआ है, जब 67 छात्र टॉपर हैं।

इधर, सियासी सरगर्मी

प्रश्नपत्र लीक होने का कोई प्रमाण नहीं: धर्मेंद्र प्रधान

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ‘राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक’ (नीट-यूजी) में प्रश्नपत्र लीक होने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इसका कोई प्रमाण नहीं है। प्रधान ने संवाददाताओं से कहा, नीट-यूजी में प्रश्नपत्र लीक होने का कोई प्रमाण नहीं है। एनटीए (राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी) में भ्रष्टाचार के आरोप बेबुनियाद हैं। यह बहुत ही प्रामाणिक संस्था है। उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट मामले में सुनवाई कर रहा है और हम उसके फैसले का पालन करेंगे। हम सुनिश्चित करेंगे कि किसी छात्र को नुकसान नहीं उठाना पड़े।

कांग्रेस बोली- संसद में उठाया जाएगा मुद्दा

कांग्रेस ने नीट-यूजी, 2024 में कथित धांधली को लेकर केंद्र सरकार पर युवाओं का भविष्य बर्बाद करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि 24 जून से आरंभ हो रहे संसद के सत्र के दौरान इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया जाएगा। मुख्य विपक्षी ने यह कहा कि कांग्रेस इस मामले में सीबीआई जांच चाहती है, लेकिन अगर सरकार इसके लिए तैयार नहीं है तो फिर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच होनी चाहिए। कांग्रेस इस मामले में लगातार यह मांग कर रही है। कांग्रेस ने यह मांग भी की है कि एनटी के महानिदेशक को उनके पद से हटाया जाए।

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