एक्जिट पोल का संदेश… ‘मोदी की गारंटी’ पड़ रही सब पर भारी

-नेहरू के ‘महा रिकॉर्ड’ की बराबरी कर सकते हैं पीएम मोदी!

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के एग्जिट पोल जारी हो गए हैं, तमाम पोल्स्टर बता रहे हैं कि तीसरी बार भी मोदी सरकार बनने जा रही है। बड़ी बात यह है कि सिर्फ केंद्र में वापसी होती नहीं दिख रही है, बल्कि कहना चाहिए प्रचंड वापसी होने जा रही है। आजाद भारत में ऐसा दूसरी बार (पं. नेहरू के बाद) हो सकता है जब लगातार तीसरी बार कोई पार्टी सत्ता में वापस लौट जाए। प्रधानमंत्री मोदी के साथ एक खास बात यह भी जुड़ सकती है कि 10 साल बाद भी वे और ज्यादा बड़े जनादेश के साथ वापसी कर सकते हैं। इस बार के एग्जिट पोल के जो आंकड़े सामने आए हैं, उनसे कुछ बड़े संदेश निकलते हैं-

10 साल बाद भी मोदी सबकुछ

इस बार अगर फिर पीएम मोदी की ऐसी जबरदस्त वापसी हो रही है तो साफ पता चलता है कि यह ब्रॉन्ड समय के साथ और ज्यादा मजबूत हो चुका है। बड़ी बात यह भी है कि इस चुनाव में मोदी की गारंटी सबसे ज्यादा चर्चा में रही थी। विरोधियों को लगा कि पीएम मोदी घमंड आ चुका है और वे उसी वजह से इस तरह से लगातर अपने ही नाम का ढिंढोरा पीट रहे हैं। लेकिन एग्जिट पोल के आंकड़े संदेश दे रहे हैं कि मोदी की गारंटी पर ही सबसे ज्यादा भरोसा किया गया है। इसके ऊपर सांसदों के प्रति जो नाराजगी थी, उसका काउंटर भी मोदी की लोकप्रियता बन गई है।

नाम का इंडिया गठबंधन

पीएम मोदी को हराने के लिए इस बार पूरा विपक्ष एकजुट हुआ था। उसी एकजुटता को इंडिया गठबंधन का नाम दिया गया। हर बड़ा चेहरा एक साथ आया, फिर चाहे राहुल गांधी हों, अखिलेश यादव हों, ममता बनर्जी हों, अरविंद केजरीवाल हों या फिर शरद पवार। सभी पार्टियों ने मिलकर इस बार चुनाव लड़ा, लेकिन फिर भी आपसी तालमेल काफी लचर और कमजोर दिखा। बंगाल, पंजाब में इंडिया गठबंधन नहीं बन सका। हर किसी ने अपना अलग घोषणा पत्र तक जारी किया था। अब उस कमजोरी का असर एग्जिट पोल के आंकड़ों में देखने को मिल रहा है।

केजरीवाल नहीं मिलती सहानुभूति

इस चुनाव में एक बड़ा फैक्टर अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी भी रहा। चुनावी मौसम में आप संयोजक का जेल जाना सबसे बड़ा नाटकीय मोड़ था। उसके बाद जिस तरह से उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल ने कमान संभाली, सभी को लगने लगा कि सहानुभूति की लहर में बीजेपी बह जाएगी। लेकिन एग्जिट पोल के आंकड़े बता रहे हैं कि बीजेपी फिर अपना पुराना प्रदर्शन दोहरा सकती है।

संदेशखाली विवाद का असर

पश्चिम बंगाल में इस बार संदेशखाली विवाद ने जमीन पर तमाम समीकरण बदल दिए थे। चुनावी मौसम में ही महिलाओं के साथ हुए सबसे बड़े अत्याचार के गंभीर आरोप लगे थे, आरोपी भी टीएमसी का ही एक नेता निकला। बीजेपी ने इस मुद्दे को जबरदस्त तरीके से उठाया था। संदेशखाली की पीड़ित रेखा पात्रा को टिकट देकर भी बड़ा दांव चलने का काम किया। अब विभिन्न एग्जिट पोल के आंकड़े बता रहे हैं कि इस मुद्दे का टीएमसी को काफी नुकसान हुआ है।

साउथ में बीजेपी की एंट्री

दक्षिण भारत में इस बार एनडीए अपना प्रदर्शन बेहतर कर सकती है। किसी ने नहीं सोचा था कि तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में बीजेपी अपना खाता खोलेगी, लेकिन 24 के रण में ये बड़ा बदलाव भी होता दिख रहा है। तमाम एग्जिट पोल केरल में एनडीए को 3 से 4 सीटें दे रहे हैं, वही तमिलनाडु में भी 2 से 4 सीटें मिलने का अनुमान है। इस तरह दक्षिण भारत में एनडीए 75 सीटों तक जीतता दिख रहा है। यह साफ बता रहा है कि अगर कुछ राज्यों में बीजेपी को नुकसान होता भी है तो यहां से उसकी भरपाई होने वाली है।

नुकसान की नए राज्यों से भरपाई

बीजेपी को लेकर पहले से कहा जा रहा था कि उसे अगर और बड़ी जीत दर्ज करनी है तो कई दूसरे राज्यों में बेहतर करना होगा। उस लॉजिक के पीछे तर्क यह था कि बीजेपी ने उत्तर भारत में पहले ही अपना बेस्ट प्रदर्शन दे दिया था, कई राज्यों में वो सारी सीटें जीत रही थी, इसी वजह से उन राज्यों से सीटें निकालनी थीं जहां पहले वो कमजोर है। अब एग्जिट पोल बताता है कि बीजेपी ने ऐसा कर दिखाया है। इस बार बीजेपी को कई उन राज्यों (ओडिशा, बंगाल, द. भारत) में अच्छी सीटें मिलती दिख रही हैं जहां पहले उसे उतनी नहीं मिलती थीं।

राहुल का संविधान बचाना नेरेटिव फेल

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस चुनाव में संविधान व जाति जनगणना को एक बड़ा मुद्दा बनाया था। उन्होंने अपनी हर सभा में कहा कि बीजेपी और पीएम मोदी संविधान को खत्म करना चाहती है। यहां तक नेरेटिव सेट कर दिया कि मोदी 400 सीटें ही संविधान बदलने के लिए मांग रहे हैं। शुरुआती चरणों के बाद ऐसा महसूस हो रहा था कि जमीन पर इंडिया गठबंधन और राहुल की मेहनत रंग ला रही है। लेकिन एग्जिट पोल आंकड़े साफ बताते हैं कि यह रणनीति भी फेल हो चुकी है। जनता को मोदी के वादों और उनके काम पर ज्यादा भरोसा दिखाई दे रहा है।

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