-सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी… गलती से हुए अतिरिक्त भुगतान को सेवानिवृत्ति के बाद वसूलना गलत

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, किसी कर्मचारी को किए गए अतिरिक्त भुगतान को उसके सेवानिवृत्त होने के बाद इस आधार पर नहीं वसूला जा सकता कि उक्त वेतन वृद्धि गलती से हुई थी। जस्टिस एसए नजीर और जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा, अतिरिक्त भुगतान की वसूली पर अदालतों द्वारा रोक इसलिए नहीं लगाई जाती कि यह कर्मचारी का अधिकार है, बल्कि कर्मचारी को होने वाली मुश्किलों से राहत देने के लिए न्यायिक विवेक के आधार पर ऐसा किया जाता है। अगर कर्मचारी को किए गए अतिरिक्त भुगतान का कारण उसकी ओर से किसी तरह की धोखाधड़ी, गलत दस्तावेज पेश करने के कारण नहीं है तो इसे वापस नहीं वसूला जा सकता। अगर यह भुगतान कंपनी की ओर से गलत हिसाब करने या भत्तों की गणना में गलती से किया गया हो तब भी इसे सेवानिवृत्त होने के बाद वापस नहीं वसूला जा सकता।

पूर्व फैसले का हवाला

एक पूर्व में आए फैसले का हवाला देते हुए पीठ ने कहा, सरकारी कर्मचारी खासतौर से निचले पायदान वाला व्यक्ति अपनी आमदनी का खासा हिस्सा अपने परिवार के कल्याण में खर्च कर देता है। अगर उसे अतिरिक्त भुगतान लंबे समय तक किया जाएगा तो वह यही समझेगा कि वह इसे पाने का पात्र है। पीठ केरल निवासी थॉमस डेनियल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। डेनियल से जिला शिक्षा अधिकारी ने 1999 में सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें मिली वेतन वृद्धि लौटाने की मांग की थी।

दो महीने में फैसला करे केंद्र

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह हत्याकांड में मौत की सजा पाने वाले बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर दो महीने में फैसला करने का निर्देश दिया। केंद्र को इस तथ्य से प्रभावित हुए बिना निर्णय लेने के लिए कहा है कि हत्याकांड में अन्य दोषियों की अपीलें लंबित हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 24 मार्च को 2013 में राष्ट्रपति के समक्ष दायर दया याचिका पर कार्रवाई में देरी को गंभीरता से लेते हुए गृह मंत्रालय को 30 अप्रैल तक कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था, जिसमें विफल रहने पर गृह सचिव और सीबीआई के निदेशक को दो मई को उपस्थित होने का निर्देश दिया गया था।


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