राजकोट ‘गेम जोन’ में आगजनी, छह अधिकारी निलंबित

अहमदाबाद। अधिकारियों को ‘आवश्यक स्वीकृति के बिना इस ‘गेम जोन’ को संचालित करने की अनुमति देकर घोर लापरवाही बरतने का’ जिम्मेदार ठहराया गया है। संबंधित विभागों द्वारा पारित आदेशों के अनुसार, जिन लोगों को निलंबित किया गया है, उनमें राजकोट नगर निगम (आरएमसी) के नगर नियोजन विभाग के सहायक अभियंता जयदीप चौधरी, आरएमसी के सहायक नगर योजनाकार गौतम जोशी, राजकोट सड़क एवं भवन विभाग के उप कार्यकारी अभियंता एम आर सुमा एवं पारस कोठिया और पुलिस निरीक्षक वी आर पटेल और एन आई राठौड़ शामिल हैं। जिस ‘गेम जोन’ में शनिवार को आग लगी थी, वह आग सुरक्षा संबंधी अनापत्ति प्रमाणपत्र के बिना संचालित किया जा रहा था। राजकोट के पुलिस आयुक्त राजू भार्गव ने रविवार को संवाददाताओं से कहा, ‘गेम जोन’ को सड़क और भवन विभाग से अनुमति मिल गई थी। उसने आग सुरक्षा एनओसी प्राप्त करने के लिए अग्नि सुरक्षा उपकरण का प्रमाण भी जमा किया था। एनओसी मिलने की प्रक्रिया जारी थी और अभी पूरी नहीं हुई थी। शनिवार शाम राजकोट के नाना-मावा इलाके में टीआरपी गेम जोन में आग लगने से बच्चों समेत 27 लोगों की मौत हो गई थी। इससे पहले अधिकारियों ने कहा कि पुलिस ने गेम जोन के छह साझेदारों और एक अन्य के खिलाफ गैर इरादतन हत्या के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की है और दो लोगों को गिरफ्तार किया है। गुजरात उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव और न्यायमूर्ति देवन देसाई की विशेष पीठ ने राजकोट नगर निगम से पूछा कि क्या आपने आसपास बनने वाले इतने बड़े ढांचे पर आंखें मूंद ली थीं? इससे पहले आरएमसी के वकील ने कहा था कि टीआरपी गेम जोन ने आवश्यक अनुमति नहीं मांगी थी। अदालत ने कहा कि सरकारी मशीनरी निर्दोष लोगों की जान जाने के बाद ही हरकत में आती है। अदालत घटना से संबंधित स्वत: संज्ञान जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इससे पहले अदालत ने घटना को “मानव-निर्मित त्रासदी” करार दिया था।

हाईकोर्ट ने कहा- निगम आयुक्तों को ठहराया जाना चाहिए जिम्मेदार

अदालत ने सोमवार को यह भी कहा कि 2021 में टीआरपी गेम जोन की स्थापना के समय से लेकर इस घटना के दिन (25 मई को) तक राजकोट के सभी नगर निगम आयुक्तों को घटित त्रासदी के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। अदालत ने उन्हें अलग-अलग शपथ पत्र पेश करने का निर्देश दिया। अधिकारियों के अनुसार गेम जोन का संचालन एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) के बिना किया जा रहा था।

निगम के वकील की दलील पर कोर्ट की फटकार

राजकोट नगर निगम के वकील की इस दलील पर कि ‘गेम जोन’ ने अपेक्षित अनुमति के लिए अधिकारियों के पास आवेदन नहीं किया था, अदालत ने कहा, इतना बड़ा ढांचा खड़ा था, आपको दिख नहीं रहा था? आपको पता नहीं था? पूरा जोन पिछले ढाई साल से अस्तित्व में था, इस पर निगम का क्या स्पष्टीकरण है? उन्होंने किस अग्नि सुरक्षा के लिए आवेदन किया था? तो हम यह मान लें कि आप पूरे मामले में पूरी तरह से आंखें मूंदे रहे? अदालत ने यह भी पूछा कि निगम को पहली बार गेम जोन के बारे में कब पता चला? पीठ ने पूछा तब तक क्या आप आस-पास मौजूद ऐसी किसी संरचना से पूरी तरह अनभिज्ञ थे? क्या आप एक जनहित याचिका पर अग्नि सुरक्षा को लेकर दिए गए इस न्यायालय के आदेशों से अवगत नहीं थे? तब आप क्या कर रहे थे?

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