‘400 पार’जाने वाले एकमात्र राजनेता थे राजीव गांधी

-1984 में कांग्रेस ने आखिरी बार अपने दम पर बनाई थी सरकार

(फोटो : राजीव)

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीए के 400 सीट के आंकड़े पार करने और भाजपा के 370 सीटें जीतने की भविष्यवाणी की थी। इसी तरह से तमाम इंटरव्यू में अमित शाह भी एनडीए के 400 पार की बात कह चुके हैं। पर, क्या आपको पता है कि लोकसभा में वास्तव में ‘400 पार’ जाने वाले एकमात्र राजनेता राजीव गांधी थे। 31 अक्टूबर, 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी को अचानक प्रधानमंत्री पद का दावेदार बना दिया गया। इंदिरा की हत्या के बाद देशभर में उठी सहानुभूति की सुनामी पर सवार होकर, राजीव गांधी के समय में कांग्रेस ने दिसंबर, 1984 को हुए आठवें लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 514 सीटों में से 404 सीटें जीतीं। वहीं, सितंबर और दिसंबर 1985 में पंजाब और असम में वोटिंग के बाद अन्य 10 सीटें जीतीं। हालांकि, कांग्रेस की यह लहर ज्यादा दिन तक कायम नहीं रही और भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री राजीव केवल 40 वर्ष के थे जब उन्होंने पदभार संभाला और 1989 में एक बड़े भ्रष्टाचार घोटाले के बीच सत्ता खो दी।

17 राज्यों और सभी नौ केंद्र शासित प्रदेशों में एक ही दिन चुनाव

1984 में 17 राज्यों और सभी नौ केंद्र शासित प्रदेशों में एक ही दिन चुनाव हुए। पंजाब और असम में कोई मतदान नहीं हो सकता था। इसे सुविधाजनक बनाने के लिए, धारा 73 A को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में जोड़ा गया था, जिसने ईसीआई को असम और पंजाब राज्य में चुनाव के संबंध में कदम उठाने की अनुमति दी थी। उन राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में वोटों की गिनती 28 दिसंबर 1984 को शुरू हुई, जहां 24 और 27 दिसंबर को मतदान हुआ था। वहीं नागालैंड और मेघालय में 29 दिसंबर को काउंटिंग हुई जहां 28 दिसंबर को मतदान हुआ था। 31 दिसंबर 1984 तक लगभग सभी निर्वाचन क्षेत्रों के परिणाम घोषित कर दिए गए थे।

किसे मिली जीत, किसे चखना पड़ा हार का स्वाद

राजीव ने अपनी भाभी और संजय की पत्नी मेनका गांधी को हराकर अमेठी में जीत हासिल की। अभिनेता अमिताभ बच्चन ने इलाहाबाद में पूर्व कांग्रेसी और दिग्गज नेता एच एन बहुगुणा को हराया। के आर नारायणन ने केरल के ओट्टापलम में, प्रकाश चंद सेठी ने इंदौर में, गुलाम नबी आज़ाद ने महाराष्ट्र के वाशिम में और पी वी नरसिम्हा राव ने बेरहामपुर में जीत हासिल की। इंदिरा के आपातकाल के दौरान राष्ट्रपति रहे फखरुद्दीन अली अहमद की पत्नी आबिदा अहमद ने बरेली में जीत हासिल की।

इस चुनाव में एनटीआर की तेलुगु देशम पार्टी ने लोकसभा में 30 सीटें जीतीं। सीपीआई (एम) ने 22 सीटें, जनता ने 10, सीपीआई ने 6 और लोक दल (सी) ने 3 सीटें जीतीं। भाजपा ने सिर्फ दो सीटें जीतीं – आंध्र प्रदेश के हनमकोंडा से चंदुपटला जंगा रेड्डी और गुजरात के मेहसाणा से एके पटेल। वाजपेयी ग्वालियर में हार गये और जनता पार्टी के चन्द्रशेखर अपने गृह क्षेत्र यूपी के बलिया में हार गये। बागपत में चरण सिंह जीते. जगजीवन राम, जो कांग्रेस छोड़कर कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी में शामिल हुए थे और बाद में नई पार्टी कांग्रेस (जे) बनाई, ने सासाराम में जीत हासिल की। बारामती में कांग्रेस (सोशलिस्ट) के शरद पवार जीते थे।

बोफोर्स घोटाले से हालत हुई खराब

1985 में, फील्ड हॉवित्जर तोपों की आपूर्ति के लिए स्वीडिश हथियार निर्माता बोफोर्स के साथ करार के बाद सौदे में 64 करोड़ रुपये की रिश्वत का खुलासा हुआ, जो उस समय एक बड़ी रकम मानी जाती थी। बोफोर्स घोटाला राजीव को उनके पूरे कार्यकाल परेशान करता रहा। 1989 के चुनाव में कांग्रेस 1984 में छुई गयी ऊंचाइयों से गिरकर लोकसभा में केवल 197 सीटों पर सिमट गई, जिससे एक और गैर-कांग्रेसी सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त हुआ।

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