सीएए के तहत सौंपे गए प्रमाणपत्र
नई दिल्ली। संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के तहत नागरिकता प्रमाणपत्रों का पहला सेट बुधवार को जारी करने के साथ 14 लोगों को भारत की नागरिकता प्रदान की गई। इसके साथ ही पड़ोसी देशों में प्रताड़ना के शिकार होकर भारत आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने की प्रक्रिया शुरू हो गई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे ‘ऐतिहासिक दिन’ करार देते हुए कहा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करने वाले लोगों का दशकों पुराना इंतजार खत्म हो गया है। एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने एक निर्दिष्ट पोर्टल के माध्यम से आवेदनों पर ऑनलाइन मंजूरी के बाद 14 लोगों को प्रमाण पत्र सौंपे। आम चुनावों के बीच यह कदम उठाया गया है। मतदान का पहला चरण 19 अप्रैल को हुआ था और अंतिम चरण का मतदान एक जून को होगा जबकि मतगणना चार जून को होगी।
इनके लिए बनाया गया सीएए
सीएए को 31 दिसंबर 2014 तक या उससे पहले भारत आए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में प्रताड़ना के शिकार गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करने के लिए दिसंबर 2019 में लाया गया था। इनमें हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के लोग शामिल हैं। कानून बनने के बाद, सीएए को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई लेकिन जिन नियमों के तहत भारत की नागरिकता दी जानी थी, उन्हें चार साल से अधिक की देरी के बाद इस साल 11 मार्च को जारी किया गया।
शाह बोले- मोदी ने पूरा किया वादा
गृह मंत्री शाह ने कहा कि तीन देशों में धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई भाई-बहनों को नागरिकता मिलनी शुरू हो गई है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की आजादी के समय किया गया वादा पूरा किया है। शाह ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा, मैं दशकों से पीड़ित इन लोगों को न्याय और अधिकार देने के लिए मोदीजी का आभार व्यक्त करता हूं। मैं अपने सभी शरणार्थी भाइयों और बहनों को भी आश्वस्त करता हूं कि मोदी सरकार सीएए के माध्यम से उन सभी को नागरिकता देगी।
00

