सुप्रीम कोर्ट ने 1 जून तक के लिए दी सशर्त अंतरिम जमानत, 2 जून को करना होगा सरेंडर
एंट्रो ……….
दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पिछले 50 दिनों से तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को 1 जून तक सशर्त अंतरिम जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सीएम को अंतरिम जमानत के साथ ही कुछ शर्ते भी रखी हैं जिनका उन्हें पालन करना होगा। शर्तों में प्रमुख हैं कि वे न तो सचिवालय जा सकेंगे और न ही किसी फाइल पर हस्ताक्षर कर सकेंगे। केजरीवाल को 2 जून को कोर्ट में सरेंडर करना होगा।
हरिभूमि न्यूज : नई दिल्ली।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने आप नेता पर जमानत पर कई शर्तें लगाते हुए कहा, ‘‘वह (केजरीवाल) मुख्यमंत्री कार्यालय और दिल्ली सचिवालय का दौरा नहीं करेंगे।” शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘वह अपनी ओर से दिए गए इस बयान से बंधे होंगे कि वह सरकारी फाइल पर तब तक हस्ताक्षर नहीं करेंगे जब तक कि दिल्ली के उपराज्यपाल की मंजूरी, अनुमोदन प्राप्त करने के लिए ऐसा करना आवश्यक न हो। पीठ ने केजरीवाल को उन्हें मौजूदा लोकसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए एक जून तक अंतरिम जमानत दे दी। शीर्ष अदालत ने कहा कि केजरीवाल को दो जून को आत्मसमर्पण करना होगा और वापस जेल जाना होगा। ज्ञात हो कि यह मामला 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित भ्रष्टाचार और धनशोधन से संबंधित है। यह नीति अब निरस्त की जा चुकी है।
50 हजार का जमानती बॉण्ड व मुचलका जमा
पीठ ने केजरीवाल को जेल अधीक्षक की संतुष्टि के लिए 50,000 रुपये के जमानती बॉण्ड और इतनी ही राशि के मुचलका जमा कराने का भी निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘वह मौजूदा मामले में अपनी भूमिका के संबंध में कोई टिप्पणी नहीं करेंगे और किसी भी गवाह के साथ बातचीत भी नहीं करेंगे और/या मामले से जुड़ी किसी भी आधिकारिक फाइल तक उनकी पहुंच नहीं होगी।
कोर्ट ने कहा- केजरीवाल पर आरोप गंभीर लेकिन वे दोषी नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अंतरिम जमानत प्रत्येक मामले के तथ्यों के आधार पर दी जाती है और अरविंद केजरीवाल इसका अपवाद नहीं हैं। अरविंद केजरीवाल का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और वह समाज के लिए कोई खतरा नहीं हैं। अरविंद केजरीवाल पर लगाए गए आरोप गंभीर हैं, लेकिन उन्हें दोषी नहीं ठहराया गया है। वह समाज के लिए खतरा नहीं हैं।
ईडी ने जमानत का किया था विरोध
बता दें कि हाल ही में ईडी ने केजरीवाल की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया था। इसमें केंद्रीय एजेंसी ने कहा था कि चुनाव में प्रचार करने का अधिकार न तो मौलिक अधिकार है और न ही संवैधानिक। वहीं, ईडी के हलफनामे पर केजरीवाल की लीगल टीम ने कड़ी आपत्ति जताई थी। हालांकि ईडी की सभी दलीलों को दरकिनार करते हुए अदालत ने केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी।
केजरीवाल की जमानत पर नेताओं की टिप्पणी
अरविंद केजरीवाल को जमानत मिलने पर उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल ने कहा कि यह लोकतंत्र की जीत है। सुनीता ने यह भी कहा कि अरविंद केजरीवाल निर्दोष हैं और आने वाले समय में वे बेदाग ही वापस आएंगे। वहीं आप नेता जैसमिन शाह ने कहा कि यह सब राजनीतिक षड़यंत्र था। सुप्रीम कोर्ट का फैसला एतिहासिक है। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश चमत्कार है। केजरीवाल पर भगवान बजरंगबली का आशीर्वाद है। यह देश में बड़े बदलाव का संकेत है। आप नेता आतिशी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला सत्य और लोकतंत्र की जीत है। लोकसभा चुनाव के बाद देश में तानाशाही खत्म हो जाएगी। वहीं, आप नेता गोपाल राय ने कहा कि एससी का फैसला देश से प्यार करने वालों के लिए उम्मीद की किरण है। आप कार्यालय में जश्न का माहौल है।
इन शर्तों के साथ मिली जमानत
अरविंद केजरीवाल को समर्पण कर दो जून को जेल में लौटना होगा।
50 हजार रुपये का बॉण्ड व इतने का ही मुचलका भरना होगा।
आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अपनी भूमिका पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकेंगे।
वे किसी भी आधिकारिक फाइल पर तब तक दस्तखत नहीं करेंगे, जब तक कि मामला उपराज्यपाल से मंजूरी हासिल करने जितना जरूरी न हो।
केजरीवाल मुख्यमंत्री कार्यालय और दिल्ली सचिवालय में नहीं जाएंगे।
वे किसी भी गवाह से बात नहीं कर सकेंगे और मामले से जुड़े आधिकारिक दस्तावेजों को नहीं देख सकेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणियां कीं
- अरविंद केजरीवाल को दी गई अंतरिम जमानत को उनके खिलाफ मामले से जुड़े गुण-दोष पर दी गई राय न माना जाए।
- केजरीवाल के खिलाफ गंभीर आरोप हैं, लेकिन वे अब तक दोषी करार नहीं दिए गए हैं।
- उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है, न ही वे समाज के लिए खतरा हैं।
- लोकसभा चुनाव के मद्देनजर समग्र और उदार दृष्टिकोण उचित है।
- केजरीवाल डेढ़ साल तक बाहर थे। उन्हें (ईडी द्वारा) पहले या बाद में गिरफ्तार किया जा सकता था, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
00000000000000000000000000

