बड़ी कामयाबी: स्मार्टफोन से घर बैठे न्यूरोलॉजिकल विकारों का लगा सकेंगे पता, वैज्ञानिकों ने विकसित किया मोबाइल ऐप

पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक स्तर पर कई तरह की न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम तेजी से बढ़ता हुआ देखा गया है। हमारी तंत्रिका तंत्र पूरे शरीर में फैली एक जाल है, जो देखने से लेकर सूंघने और चलने से लेकर बोलने तक में हमारी मदद करती है। तंत्रिका तंत्र के माध्यम से ही मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी, मांसपेशियां एक दूसरे से जुड़ी रहती हैं और ठीक से सामान्य काम करती रहती हैं। चीजों को याद रखने, बोलने, निगलने, सांस लेने और यहां तक कि आंत और मूत्राशय के कार्य भी इन्हीं तंत्र द्वारा संचालित किए जाते हैं। हालांकि इसमें होने वाली किसी भी तरह की समस्या गंभीर दिक्कतों का कारण बन सकती है।

आंकड़े बताते हैं कि तंत्रिका संबंधी विकार से हर साल लाखों लोग प्रभावित होते हैं, इनमें से ज्यादातर लोगों को जब तक परेशानी गंभीर रूप न ले ले, तब तक समस्या का पता ही नहीं चल पाता है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिकों ने समय पर न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य समस्याओं का घर बैठे निदान करने का तरीका विकसित किया है। शोधकर्ताओं ने एक ऐसा मोबाइल ऐप बनाया है जिसकी मदद से आप घर बैठे ही न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का पता लगा सकते हैं। आइए इस ऐप के बारे में विस्तार से जानते हैं।

अल्जाइमर जैसे रोगों का पता लगाना आसान

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा स्मार्टफोन ऐप विकसित किया है, जो आंखों के क्लोजअप रिकॉर्ड करके आपमें अल्जाइमर, अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसॉर्डर (एडीएचडी) और कई तरह के अन्य न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य समस्याओं का घर बैठे पता लगाने में मदद कर सकती है।

इस अध्ययन को फिलहाल एसीएम कंप्यूटर ह्यूमन इंटरेक्शन कॉनफ्रेंस ऑन ह्यूमन फैक्टर इन कंप्यूटिंग सिस्टम (सीएचआई 2022) सम्मेलन में प्रस्तुत किया जाना है, जहां से इसे मान्यता मिल सकती है।

कैसे काम करेगा यह ऐप?

रिपोर्ट्स के मुताबिक यह ऐप नियर-इन्फ्रारेड कैमरा का उपयोग करके व्यक्ति की पुतली के आकार में बदलाव के आधार पर न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का पता लगाने में मदद करेगी। नियर-इन्फ्रारेड कैमरा, स्मार्टफोन में फेस रिकग्नाइजेशन के लिए बनाया गया है, जो सेल्फी कैमरा के साथ लगा होता है।

शोध से पता चलता है कि पुतली का आकार किसी व्यक्ति के तंत्रिका संबंधी कार्यों के बारे में जानकारी प्रदान कर सकता है। उदाहरण के लिए, कठिन संज्ञानात्मक कार्य करने या फिर कुछ अप्रत्याशित ध्वनि सुनने की स्थिति में स्वाभाविक रूप से पुतली का आकार बढ़ जाता है। इसी तकनीक को आधार बनाकर इस ऐप को विकसित किया गया है।

ऐप से मिलगी सटीक जानकारी

शोधकर्ताओं का कहना है कि नियर-इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रम में, पुतली को आईरिस से आसानी से अलग रखते हुए इसका अध्ययन किया जा सकता है। यह ऐप आंखों में सब-मिलीमीटर सटीकता के साथ भी पुतली के आकार की गणना करने में सक्षम है।

विशेषज्ञों का कहना है कि इस ऐप के माध्यम से बुजुर्ग लोगों में भी अच्छे परिणाम देखे जा सकते हैं। इसके लिए ऐप इंटरफेस को सरल रखने पर ध्यान दिया गया है। सम्मेलन के बाद ऐप को प्रमाणिकता मिलते ही इससे संबंधित अन्य जानकारियां साझा की जाएंगी।

शुरुआती संकेत काफी उत्साहवर्धक

कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय के शोधकर्ता कॉलिन बैरी कहते हैं, वैसे तो अभी भी इस ऐप में बहुत काम किया जाना बाकी है, लेकिन नैदानिक प्रयोगशाला सेटिंग्स के परीक्षण के आधार पर पता चलता है कि इससे आसानी से ही घर बैठे लोगों के लिए न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य समस्याओं का पता लगाना आसान हो जाएगा। यह ऐप निश्चित ही एक बड़ी क्रांति साबित होगी, जिसके माध्यम से लोगों को अपनी परेशानियों का आसानी से पता चल सकेगा।

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