1962 से चुनाव प्रचार में हुई थी बॉलीवुड स्टार की एंट्री

-अटल की प्रतिद्वंद्वी के समर्थन में बलराज साहनी ने किया था प्रचार

-वाजपेयी को पसंद करने के चलते नेहरू नहीं आए कांग्रेस प्रत्याशी के लिए वोट मांगने

(फोटो : जोशी)

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल बज चुका है। तमाम राजनीतिक दलों के बड़े नेताओं और स्टार कैंडीडेट्स ने चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया है। कई उम्मीदवारों ने प्रचार के लिए सेलिब्रिटीज और फिल्मी सितारों का सहारा लेना भी शुरू कर दिया है। ऐसे में उस चुनाव की बात भी सामने आती है जब प्रचार में फिल्मी सितारों की एंट्री हुई थी। यह चुनाव साल 1962 का था जो यूपी का पहला चुनाव था जिसमें प्रचार में बॉलीवुड स्टार बलराज साहनी की एंट्री हुई थी।

1962 के चुनाव में उत्तर प्रदेश की बलरामपुर सीट पर मुक़ाबला जनसंघ प्रत्याशी और कांग्रेस नेता सुभद्रा चौधरी के बीच था। 1957 का चुनाव जीत चुके अटल बिहारी के अंदर पिछली जीत का उत्साह था। वहीं, कांग्रेस ने भी पिछली हार का बदला लेने के लिए दो बार संसद रह चुकी सुभद्रा जोशी को चुनाव में उतार दिया। सुभद्रा जोशी का नाम सुनकर अटल बिहारी भी चौंक गए। अटल के सहयोगी दुलीचंद्र बताते हैं कि उन्होंने कहा कि बलरामपुर की जनता सुभद्रा को इतना नहीं जानती जितना मुझे पहचानती है। मेरी जीत में कोई शक नहीं है और अटल जी चुनाव प्रचार में जुट गए।

बॉलीवुड एक्टर बलराज साहनी उतरे प्रचार में

सुभद्रा जोशी पाकिस्तान के पंजाब की रहने वाली थीं, वह बंटवारे के बाद भारत आई और दिल्ली में बस गयी थीं। सुभद्रा पहले अंबाला और करनाल से सांसद रह चुकी थीं और पंडित जवाहरलाल नेहरू के कहने पर बलरामपुर के चुनावी मैदान में उतरने को तैयार हुई थीं। सुभद्रा चाहती थीं कि पंडित नेहरू खुद बलरामपुर आकर उनका प्रचार करें। वहीं, नेहरू अटल बिहारी के खिलाफ प्रचार नहीं करना चाहते थे। ऐसे में उन्होंने लोकप्रिय चेहरों की तलाश करते हुए बॉलीवुड एक्टर बलराज साहनी को प्रचार के लिए चुना। उन दिनों बलराज साहनी फिल्म ‘दो बीघा जमीन’ से पूरे देश में पॉपुलर हो गए थे।

सुभद्रा की सभाओं में जमकर भीड़

दुलीचंद बताते हैं कि ये पहला मौका था जब कोई फिल्म स्टार चुनाव प्रचार करने के लिए उतरा था। बलरामपुर में जब ये बात फैल गयी कि सुभद्रा के लिए प्रचार करने बलराम साहनी आ रहे हैं तो उनकी सभाओं में भीड़ उमड़ने लगी। । जब बलराज बलरामपुर की गलियों से गुजरे तो लोग उनकी एक झलक पाने के लिए अपने घरों की छतों और खिड़कियों पर खड़े दिखे। गलियों में और मैदान पर इतनी भीड़ उमड़ी कि पैर रखने की जगह नहीं थी। बलराज साहनी ने शाम तक जनसभा की।

अटल बिहारी की जीती हुई सीट हार में बदल गई

बलराज साहनी की जनसभा के बाद सुभद्रा जोशी के पक्ष में ऐसा माहौल बना कि अटल बिहारी की जीती हुई सीट हार में बदल गई। प्रचार के बाद जब चुनाव के नतीजे आए तो अटल बिहारी वाजपेयी हार चुके थे। सुभद्रा जोशी ने अटल को मात्र 2052 वोट से चुनाव हरा दिया और उनकी जीती सीट हाथ से निकल गई। पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जिद के बाद, अटल बिहारी को राज्यसभा से संसद भेजा गया लेकिन इस हार को वह कभी भूल नहीं पाए। इस हार का जिक्र उन्होंने अपनी किताब ‘मेरी संसदीय यात्रा’ में भी किया है। हालांकि बाद में 1967 के चुनाव में बलरामपुर में फिर सुभद्रा जोशी और अटल के बीच आमना-सामना हुआ। इसमें अटल ने सुभद्रा जोशी को 32,000 से अधिक वोटों से हराया और संसद में पहुंचे।

00000

प्रातिक्रिया दे