श्रीलंकाई अधिकारी ने कहा- सुलझ गया है कच्चातिवु मुद्दा

-विवाद पर पहली बार श्रीलंका ने किया बयान

कोलंबो। कच्चातिवु द्वीप विवाद पर पहली बार श्रीलंका ने प्रतिक्रिया दी है। श्रीलंका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि ‘कच्चातिवु विवाद अब सुलझ चुका है और इस पर दोनों देशों के बुद्धिमान व्यक्तियों ने हस्ताक्षर किए हैं। भारत और श्रीलंका के बीच स्थित इस द्वीप को लेकर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी अपने विरोधी कांग्रेस और डीएमके पर हमलावर है।’ बीजेपी का आरोप है कि 1974 में कांग्रेस सरकार ने जानबूझकर कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया था। इस कारण आज भारतीय मछुआरों को परेशानी हो रही है। श्रीलंकाई नौसेना आए दिन इस द्वीप के आसपास के इलाकों में मछली पकड़ने वाले भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार करती है।

श्रीलंका ने कच्चातिवु पर क्या कहा

एशियानेट न्यूजएबल से बात करते हुए श्रीलंकाई सरकार के एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, कच्चातिवु के मुद्दे को उठाना भारत का मामला है, न कि कोलंबो का। भारत और श्रीलंका ने ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर 1974 में समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। अधिकारी ने कहा कि कच्चातिवु द्वीप जाफना साम्राज्य का हिस्सा था और दोनों देशों के ‘बुद्धिमान व्यक्तियों’ ने 1970 के दशक में समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। हालांकि, अधिकारी ने यह भी बताया कि इस समय टिप्पणी करना अनुचित होगा क्योंकि दोनों देशों में चुनाव नजदीक हैं।

कच्चातिवु पर बीजेपी ने कांग्रेस को घेरा

31 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कच्चातिवु द्वीप को लेकर कांग्रेस पर हमला बोला था, जिसे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने श्रीलंको को सौंप दिया था। पाक जलडमरूमध्य से एडम ब्रिज तक के ऐतिहासिक जल क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सीमा का सीमांकन करने के लिए इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। एक अप्रैल को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कांग्रेस सरकार ने उस क्षेत्र में भारतीय मछुआरों के अधिकार छीन लिए हैं और इसके लिए जिम्मेदारी लेने से इनकार कर रही है।

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