राजीव गांधी के साथ कांग्रेस का प्रचार कर चुके हैं ‘भाजपा के राम’

-अरुण गोविल 80 के दशक में कांग्रेस के सदस्य थे, आज हैं भाजपा प्रत्याशी

नई दिल्ली। लगभग चार दशक पहले टीवी सीरियल ‘रामायण’ में मुख्य भूमिका निभाने के बाद से अरुण गोविल हिंदुओं के आराध्य राम का चेहरा बन गए हैं। केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा ने अरुण गोविल को उनके जन्मस्थान मेरठ से अपना लोकसभा उम्मीदवार बनाया है। पहली बार चुनावी मैदान में उतरे अरुण गोविल को भाजपा ने अपने तीन बार के सीटिंग सांसद राजेंद्र अग्रवाल का टिकट काटकर उम्मीदवार बनाया है। अग्रवाल साल 2009 से लगातार मेरठ सीट से जीत रहे हैं। 2021 में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अरुण गोविल बीजेपी में शामिल हुए थे। अब टीवी के राम भाजपा के लिए काम करते हैं। 1987 में टीवी सीरियल रामायण शुरू हुआ। उस दौरान, गोविल की लोकप्रियता को देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उन्हें कांग्रेस में शामिल होने के लिए कहा था। आउटलुक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गोविल को कई मौकों पर राजीव गांधी के साथ प्रचार करते हुए भी देखा गया था। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि साल 1988 में कांग्रेस ने गोविल को पार्टी की सदस्यता दी और चुनाव लड़ने को भी कहा। हालांकि उन्होंने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया

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‘राम’ से पहले भाजपा ने लड़ाया था ‘रावण’ को चुनाव

जहां रामानंद सागर के रामायण के राम ने 1980 के दशक के अंत और 90 के दशक की शुरुआत में कांग्रेस का समर्थन किया। वहीं शो के रावण अरविंद त्रिवेदी ने भारतीय जनता पार्टी में शामिल होना पसंद किया। उन्होंने भाजपा से लोकसभा चुनाव भी लड़ा। 1991 में पार्टी के टिकट पर वह गुजरात के साबरकांठा से सांसद बने। हालांकि, 1996 के चुनावों में वह गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री अमर सिंह चौधरी की पत्नी और कांग्रेस उम्मीदवार निशा चौधरी से हार गए थे। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली पहली एनडीए सरकार के दौरान त्रिवेदी 2002-03 तक केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के अध्यक्ष भी रहे। 2021 में त्रिवेदी का निधन हुआ था।

सीता ने ढहाया था कांग्रेस का किला

1990 की शुरुआत में जब राम मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन चरम पर था। भाजपा ने सीता की भूमिका निभाने वाली दीपिका चिखलिया को भी वडोदरा, गुजरात से मैदान में उतारा था। हालांकि 26 साल की चिखलिया को राजनीति का कोई अनुभव नहीं था। लेकिन रामायण की सीता को चुनाव में देखकर जनता के आश्चर्य का ठिकाना न था। चुनावी रैलियों में ‘सीता’ की एक झलक पाने के लिए जमकर भीड़ उमरती। महिलाएं उनके पैर छूने को आतुर रहतीं। नतीजा यह रहा कि वडोदरा में कांग्रेस का किला ढह गया। इस सीट पर पहली बार भाजपा को जीत मिली। दो बार के सांसद रंजीत सिंह गायकवाड़ की बुरी हार हुई। दीपिका को 49.98 फीसदी वोट मिले और वह भाजपा सांसद बन गईं।

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