नई दिल्ली। राज्य की ऋण लेने की शक्तियों पर केंद्र के हस्तक्षेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केरल सरकार की याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया, जिसमें केंद्र के खिलाफ केरल के एक मुकदमे में अंतरिम राहत की मांग की गई थी। न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायाधीश केवी विश्वनाथन की पीठ ने अंतरिम राहत के मुद्दे पर आदेश सुरक्षित रख लिया। केरल सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने संघीय ढांचे में केंद्र के रवैये पर सवाल उठाए हैं। केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि केरल सरकार का अपना अधिनियम कहता है कि वे अपने स्वयं के वित्तीय अनुशासन को नियंत्रित करेंगे और प्रस्तुत किया कि वित्त आयोग की सिफारिशों के उल्लंघन का कोई सवाल ही नहीं है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने समय-समय पर केंद्र और केरल को साथ बैठकर बातचीत करने और मुद्दों को सुलझाने का सुझाव दिया। इससे पहले केंद्र सरकार ने प्रस्ताव दिया था कि चालू वित्त वर्ष में शर्तों के अधीन एकमुश्त उपाय के रूप में केरल को 5,000 करोड़ रुपये की राशि दी जा सकती है। केरल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने केंद्र के प्रस्ताव पर असहमति व्यक्त करते हुए कहा था कि यह इस धारणा पर आधारित है कि राज्य अतिरिक्त उधार लेने का हकदार नहीं है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि 5,000 करोड़ रुपये पर्याप्त नहीं होंगे।
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