नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 की रणभेरी आज शनिवार दोपहर 3 बजे के बाद चुनाव आयोग द्वारा बुलाई गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में हो सकता है। मुख्य चुनाव आयुक्त चुनाव का पूरा शेड्यूल तथा आचार संहिता लागू होने की घोषणा करेंगे। सूत्रों ने बताया कि लोकसभा चुनाव सात से आठ चरणों में हो सकते हैं। आम चुनावों के साथ ही आयोग ओडिशा, सिक्किम, अरुणाचल और आंध्र प्रदेश के विधानसभा चुनावों के कार्यक्रम की भी घोषणा करेगा। चुनाव की घोषणा होते ही आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी। मौजूदा लोकसभा का कार्यकाल 16 जून को खत्म हो रहा है और उससे पहले नई सरकार के गठन की प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
गौरतलब है कि नवनिुयुक्त चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू ने शुक्रवार को अपना पदभार संभाल लिया। चीफ इलेक्शन कमीश्नर राजीव कुमार ने सुबह दोनों चुनाव आयुक्तों का स्वागत किया। दोनों के पदभार संभालने के बाद 11 बजे के आसपास चुनाव आयोग की एक अहम बैठक हुई। इस बैठक में लोकसभा चुनावों की तैयारियों की समीक्षा की गई। बैठक में चुनाव का पूरा शेड्यूल तैयार किया गया जिसकी घोषणा आज की जाएगी। चुनाव आयोग के सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इसकी लाइव स्ट्रीमिंग की जाएगी। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर में चुनाव होंगे या नहीं? यह भी आज साफ हो जाएगा।
आपको बता दें कि, चुनाव की घोषणा से लेकर प्रक्रिया पूरी होने यानी नतीजे जारी होने तक आचार संहिता लागू रहती है। आदर्श आचार संहिता का मतलब पार्टियों और उम्मीदवारों के लिए बनाई गई गाइडलाइंस से है। आदर्श आचार संहिता को राजनीतिक दलों की सहमति से तैयार किया गया है। एमसीसी के तहत कुछ नियम हैं जिनका राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को पालन करना आवश्यक होता है। उल्लंघन की स्थिति में चुनाव आयोग सख्त कार्रवाई करता है। एमसीसी अपने आप में कानूनी रूप से प्रभावी नहीं है लेकिन चुनाव आयोग को इसकी शक्तियां जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत मिलती हैं।
क्या है आदर्श आचार संहिता?
आदर्श आचार संहिता चुनाव आयोग द्वारा बनाए गए दिशानिर्देशों का एक संग्रह है ताकि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराए जा सकें। आदर्श आचार संहिता को आठ भागों में बांटा गया है। इसमें चुनाव प्रचार से संबंधित नियमों के साथ-साथ विज्ञापन और आचरण से संबंधित दिशानिर्देश भी शामिल हैं। आदर्श आचार संहिता का भौगोलिक दायरा संपूर्ण निर्वाचन क्षेत्र है।
पिछली बार 7 चरणों में हुए थे चुनाव
आपको बता दें कि 2019 में लोकसभा चुनाव सात चरणों में करवाए गए थे। पिछली बार 10 मार्च को चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान किया था। पहले चरण की वोटिंग 11 अप्रैल और आखिरी चरण के लिए 19 मई को वोटिंग हुई थी। नतीजे 23 मई को आए थे। उस चुनाव के वक्त देश में 91 करोड़ से ज्यादा वोटर्स थे, जिनमें से 67 फीसदी ने वोट डाला था।
2019 में क्या रहे थे नतीजे
ज्ञात हो कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 2014 से भी बड़ी जीत हासिल की थी। 2014 में बीजेपी ने 282 सीट जीती थी, जबकि 2019 में 303 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं, एनडीए ने 353 सीटें हासिल की थी। बीजेपी को 37.7% से ज्यादा वोट मिले थे, जबकि एनडीए ने 45% वोट हासिल किए थे। कांग्रेस 52 सीटों पर ही जीत सकी थी।
एनडीए और इंडिया के बीच मुख्य मुकाबला
ज्ञात हो कि भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए का मुकाबला करने के लिए विपक्षी पार्टियों ने ‘इंडिया’ गठबंधन बनाया है। इस गठबंधन में दो दर्जन से ज्यादा विपक्षी पार्टियां हैं जबकि, एनडीए में लगभग 40 पार्टियां हैं। एनडीए के पास इस समय 350 से ज्यादा सांसद हैं जबकि, इंडिया ब्लॉक के पास लगभग 150 सांसद हैं।
कई राज्यों में इंडिया ब्लॉक को झटका
हालांकि, कई राज्यों में इंडिया ब्लॉक को झटका भी लगा है, क्योंकि वहां की पार्टियों ने अकेले ही लड़ने का फैसला लिया है। उदाहरण के लिए ममता बनर्जी की टीएमसी इंडिया ब्लॉक का हिस्सा है, लेकिन पश्चिम बंगाल की सभी 42 सीटों पर टीएमसी अकेले चुनाव लड़ रही है।
97 करोड़ वोटर्स, 2 करोड़ नए जुड़े
2024 लोकसभा चुनाव में 97 करोड़ लोग वोटिंग कर सकेंगे। आयोग ने बताया कि वोटिंग लिस्ट में 18 से 29 साल की उम्र वाले 2 करोड़ नए वोटर्स को जोड़ा गया है। 2019 लोकसभा चुनाव के मुकाबले रजिस्टर्ड वोटर्स की संख्या में 6% की बढ़ोतरी हुई है।
साथ ही जेंडर रेशो भी 2023 में 940 से बढ़कर 2024 में 948 हो गया है।
85+ उम्र के बुजुर्ग ही घर से वोट दे सकेंगे
चुनाव आयोग की सिफारिश के बाद अब केवल 85 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग मतदाता ही पोस्टल बैलट से वोटिंग कर सकेंगे। अभी तक 80 साल से ज्यादा उम्र के लोग इस सुविधा के पात्र थे। 85 की उम्र पार चुके वोटर्स को यह सुविधा देने के लिए चुनाव संचालन नियम 1961 में संशोधन किया गया है।
लोकसभा चुनाव के लिए सेंट्रल फोर्स की तैनाती शुरू
लोकसभा और 4 राज्यों में विधानसभा चुनावों के लिए 3.4 लाख से ज्यादा सेंट्रल फोर्स के जवानों को तैनात किया जाएगा। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, अति-संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव पूर्व तैनाती के हिस्से के रूप में लगभग 2,000 कंपनियों को तैनात किया जाएगा। जिसमें करीब 1.5 लाख जवान होंगे।
1111111111111111111111111111111111
आदर्श आचार संहिता के मुख्य नियम
आदर्श आचार संहिता लागू होते ही सरकार पर लोकलुभावन घोषणाएं करने पर रोक लग जाती है। सरकार कोई नीतिगत निर्णय नहीं ले सकती।
जब तक आचार संहिता प्रभावी रहती है तब तक कोई भी नई योजना लागू नहीं की जा सकती।
मंत्रियों द्वारा चुनाव कार्य के लिए सरकारी मशीनरी के इस्तेमाल पर प्रतिबंध है।
सरकार किसी भी तरह का वित्तीय अनुदान, सड़क या अन्य सुविधाओं का वादा, तदर्थ नियुक्ति नहीं कर सकती।
पहले से चल रहे विकास कार्यों और योजनाओं पर रोक नहीं लगाती है। हां, इन्हें चुनावी प्रचार के तौर पर इस्तेमाल करने पर रोक जरूर है।
चुनाव से प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े अधिकारियों के तबादला-पोस्टिंग पर रोक लग जाती है। जरूरत पड़े तो चुनाव आयोग से अनुमति लेकर छूट ली जा सकती है।
सरकारी खर्च पर पार्टी की उपलब्धियों के विज्ञापन नहीं दिए जा सकते।
सांसद निधि से नया फंड नहीं जारी किया जा सकता।
सरकार से जुड़े वित्तीय संस्थान किसी का कर्ज राइट-ऑफ नहीं कर सकते।
–
राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों के लिए निर्देश और अन्य नियम
कोई पार्टी या उम्मीदवार ऐसी किसी गतिविधि में शामिल नहीं होगा जिससे धर्म, संप्रदाय, जाति या भाषा के चलते तनाव की स्थिति पैदा हो।
दूसरे राजनीतिक दलों, प्रत्याशियों की आलोचना करते हुए मर्यादा का ध्यान रखा जाए। निजी जिंदगी की आलोचना न की जाए।
धर्म/जाति के नाम पर वोट नहीं मांगे जाएंगे। धार्मिक स्थलों का चुनाव प्रचार के लिए इस्तेमाल न हो।
वोट खरीदने, उन्हें पोलिंग स्टेशन तक लाने के लिए वाहनों का इंतजाम नहीं कर सकते।
जुलूस इस तरह निकाले जाएं कि दूसरे दलों को दिक्कत न हो। एक पार्टी के पोस्टर दूसरी पार्टी नहीं हटाएगी।
जनसभाओं और जुलूसों की जानकारी पहले से स्थानीय प्रशासन को देकर अनुमति लेनी होगी।
मतदान से 48 घंटे पहले चुनाव प्रचार पर रोक लग जाती है।
0000000000000000

