इलेक्टोरल बॉन्ड की लिस्ट बढ़ाएगी राजनीतिक पार्टियों की मुश्किलें… 12 मार्च तक एसबीआई को दो अलग-अलग डेटा सेट जमा कराने होंगे

  • लोकसभा चुनाव से पहले एसबीआई के जरिये खुलेगा पूरा कच्चा चिट्ठा

-सुप्रीम कोर्ट ने ने इलेक्टोरल बॉन्ड को बताया है अवैध

-एसबीआई को देनी होगी 24 घंटे के भीतर जानकारी

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को अवैध बता दिया और स्टेट बैंक द्वारा मोहलत मांगने के बावजूद मंगलवार 12 मार्च को उसे चुनावी चंदे का सारा डाटा चुनाव आयोग के साथ शेयर करना ही होगा। एसबीआई ने मांग की थी कि काम जटिल है इसलिए 30 जून 2024 तक का समय चाहिए लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह मांग खारिज कर दी है अब सवाल यह है कि आखिर इन इलेक्टोरल बॉन्ड्स का रहस्य जब खुलेगा तो किन किन राजनीतिक दलों की मुश्किलें बढ़ेंगी। दरअसल, चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पादरीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर 15 फरवरी को फैसला दिया था कि ये पूरी तरह अवैध हैं और इसका डाटा स्टेट बैंक को चुनाव आयोग के साथ शेयर करना होगा, जबकि चुनाव आयोग चंदे की जानकारी सार्वजनिक करेगा।

2018 में लागू हुए थे इलेक्टोरल बॉन्ड

बता दें कि इलेक्टोरल बॉन्ड 2018 की 29 जनवरी को कानूनी तौर पर लागू हुए थे। स्टेट बैंक की 29 ब्रांचों से अलग-अलग रकम के इलेक्टोरल बॉन्ड्स जारी किए जाते थे, ये रकम एक हजार से लेकर एक करोड़ रुपये तक की होती थी जिसे कोई भी अपनी पसंदीदा पार्टी के मुताबिक चुन सकता था लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इस चुनावी चंदे की प्रक्रिया को अवैध करार दिया है, जिससे सभी राजनीतिक दलों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

यहां होती है इलेक्टोरल बॉन्ड्स की डिटेल

जानकारी के मुताबिक इसकी सारी जानकारी एक ही ब्रांच में अलग-अलग रखी जाती है। एसबीआई का कहना था कि डोनर्स और रिसीवर्स की डिटेल्स अलग-अलग सीलबंद लिफाफों में मुंबई की मेन ब्रांच में रखी गई है जिसकी डिटेल निकालने में मुश्किल होगी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को कोई भी रियायत नहीं दी है।

सूचना के अधिकार का उल्लंघन है गोपनीयता

बता दें कि इलेक्टोरल बॉन्ड्स को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 2019 में ही चुनौती दी गई थी, और अब जब यह अवैध घोषित हुई है तो कोर्ट का कहना है कि इस मामले में गोपनीयता अनुच्छेद 19(1) और सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। ऐसे में इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी पब्लिक करनी ही होगी। कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर सेट टाइमलिमिट के तहत सुप्रीम कोर्ट जानकारी नहीं दी जाती है तो यह कोर्ट की अवमानना होगी जिसके चलते स्टेट बैंक के खिलाफ कोर्ट एक्शन भी ले सकता है। इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) का दावा है कि मार्च 2018 से जनवरी 2024 के बीच राजनीतिक दलों ने चुनावी बॉन्ड के जरिए 16,492 करोड़ रुपये का चंदा हासिल किया है। चुनाव आयोग में दाखिल 2022-23 के लिए ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी को 1,294 करोड़ रुपये से ज्यादा का चंदा इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए मिला था। उसकी कुल कमाई 2,360 करोड़ रुपये रही, यानी भाजपा की कुल कमाई में 40 फीसदी हिस्सा इलेक्टोरल बॉन्ड का रहा।

0000000

प्रातिक्रिया दे