—पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के गैर मुस्लिमों को मिलेगी भारतीय नागरिकता
—नागरिकता कानून में विपक्ष को दिखा चुनावी एजेंडा
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इंट्रो
सीएए पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपना वादा निभाया। लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए देशभर में आज से लागू हो गया है। मोदी सरकार ने इसे लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया। नागरिकता कानून में संशोधन का बिल दिसंबर 2019 में ही संसद के दोनों सदनों से पास हो गया था और जनवरी-2020 में राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी। अब पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर मुस्लिमों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी।
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नई दिल्ली। विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए), 2019 को लागू करने से जुड़े नियमों को सोमवार को अधिसूचित कर दिया गया। इससे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से दस्तावेज के बिना आने वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। गौरतलब है कि गृह मंत्री अमित शाह ने 10 फरवरी को कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले देश में विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए), 2019 को लागू हो जाएगा। इसे लेकर कोई कन्फ्यूजन नहीं होना चाहिए। शाह की घोषणा के एक माह बाद सीएए की अधिसूचना जारी हाे गई।
एक बार सीएए के नियम जारी हो जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारतीय नागरिकता देना शुरू कर देगी। सीएए को दिसंबर, 2019 में संसद में पारित किया गया था और बाद में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई थी, लेकिन इसके खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गये थे। यह कानून अब तक लागू नहीं हो सका था क्योंकि इसके कार्यान्वयन के लिए नियमों को अब तक अधिसूचित किया जाना बाकी था, लेकिन अब रास्ता साफ हो गया है।
संसदीय कार्य नियमावली के अनुसार, किसी भी कानून के नियम राष्ट्रपति की मंजूरी के छह महीने के भीतर तैयार किए जाने चाहिए अन्यथा सरकार को लोकसभा और राज्यसभा की अधीनस्थ विधान समितियों से अवधि में विस्तार करने की मांग करनी होगी। वर्ष 2020 से गृह मंत्रालय नियम बनाने के लिए संसदीय समिति से नियमित अंतराल पर अवधि में विस्तार प्राप्त करता रहा है। गृह मंत्रालय ने आवेदकों की सुविधा के लिए एक पोर्टल तैयार किया है क्योंकि पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। आवेदकों को वह वर्ष बताना होगा जब उन्होंने यात्रा दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया था। एक अधिकारी ने कहा, आवेदकों से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। वर्ष 27 दिसंबर, 2023 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि सीएए को लागू होने से को कोई नहीं रोक सकता क्योंकि यह देश का कानून है। इस बीच, पिछले दो वर्षों में नौ राज्यों के 30 से अधिक जिला अधिकारियों और गृह सचिवों को नागरिकता अधिनियम-1955 के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने की शक्तियां दी गई हैं। गृह मंत्रालय की 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, एक अप्रैल 2021 से 31 दिसंबर 2021 तक इन तीन देशों के गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदायों के कुल 1,414 विदेशियों को भारतीय नागरिकता दी गई।
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छत्तीसगढ़ समेत नौ राज्य
नौ राज्य जहां पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत पंजीकरण या देशीयकरण द्वारा भारतीय नागरिकता दी जाती है, उनमें गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र शामिल हैं। असम और पश्चिम बंगाल में यह मुद्दा राजनीतिक रूप से बहुत संवेदनशील है, लेकिन सरकार ने इन दोनों राज्यों में से किसी भी जिले को अब तक नागरिकता प्रदान करने की शक्ति नहीं प्रदान की है।
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किसे मिलेगी नागरिकता
00 पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी धर्म से जुड़े शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी।
00 कानून के मुताबिक, जो लोग 31 दिसंबर 2014 से पहले आकर भारत में बस गए थे, उन्हें ही नागरिकता दी जाएगी।
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किसी की छिनेगी नागरिकता
सीएए किसी भी भारतीय की नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है। गृहमंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि सीएए में किसी भारतीय की नागरिकता छीनने का प्रावधान नहीं है।
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क्या मुस्लिमों को डरने की जरूरत है?
सीएए से भारतीय मुस्लिमों को डरने की जरूरत नहीं है। इस कानून से भारतीय नागरिकों से इसका कोई सरोकार नहीं है। संविधान के तहत भारतीयों को नागरिकता का अधिकार है। सीएए या कोई कानून इसे नहीं छीन सकता।
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