सुप्रीम कोर्ट का झटका
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक को बड़ा झटका दिया है। चुनावी बॉण्ड संबंधी जानकारी का खुलासा करने के लिए समयसीमा बढ़ाने का अनुरोध करने वाली उसकी याचिका सोमवार को खारिज कर दी। कोर्ट ने बैंक को 12 मार्च को कामकाजी घंटे समाप्त होने तक निर्वाचन आयोग को चुनावी बॉण्ड संबंधी विवरण उपलब्ध कराने का आदेश दिया। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने निर्वाचन आयोग को भी एसबीआई द्वारा साझा की गई जानकारी 15 मार्च को शाम पांच बजे तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करने का निर्देश दिया। इस पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल रहे। पीठ ने एसबीआई को नोटिस दिया कि यदि बैंक उसके निर्देशों और समयसीमा का पालन करने में विफल रहता है तो शीर्ष अदालत अपने 15 फरवरी के फैसले की ‘जानबूझकर अवज्ञा’ करने के लिए उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 15 फरवरी को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए केंद्र की चुनावी बॉण्ड योजना को रद्द कर दिया था और इसे ‘असंवैधानिक’ करार देते हुए निर्वाचन आयोग को चंदा देने वालों, चंदे के रूप में दी गई राशि और चंदा प्राप्तकर्ताओं का 13 मार्च तक खुलासा करने का आदेश दिया था। लोकसभा चुनाव से पहले आए इस फैसले में न्यायालय ने चुनावी बॉण्ड योजना को तत्काल बंद करने तथा इस योजना के लिए अधिकृत वित्तीय संस्थान (एसबीआई) को 12 अप्रैल, 2019 से अब तक खरीदे गए चुनावी बॉण्ड का विस्तृत ब्योरा छह मार्च तक निर्वाचन आयोग को सौंपने का निर्देश दिया था। न्यायालय ने एसबीआई की उस याचिका पर सुनवाई की जिसमें राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए प्रत्येक चुनावी बॉण्ड के विवरण का खुलासा करने के लिए समय-सीमा 30 जून तक बढ़ाए जाने का अनुरोध किया गया था। पीठ ने एक अन्य याचिका पर भी सुनवाई की जिसमें एसबीआई के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध किया गया है। पीठ ने कहा कि एसबीआई शीर्ष अदालत द्वारा जारी निर्देशों के अनुपालन पर अपने अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक का हलफनामा दाखिल करेगा। सुनवाई के दौरान, पीठ ने एसबीआई की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे की दलीलों पर गौर किया कि विवरण एकत्र करने और उनका मिलान करने के लिए अधिक समय की आवश्यकता है क्योंकि जानकारी इसकी शाखाओं में दो अलग-अलग कक्षों में रखी गई थी। उन्होंने कहा कि अगर मिलान प्रक्रिया न करनी हो तो एसबीआई तीन सप्ताह के भीतर इस प्रक्रिया को पूरा कर सकता है। पीठ ने कहा कि उसने एसबीआई को चंदा देने वालों और चंदा प्राप्त करने वालों के विवरण का अन्य जानकारी से मिलान करने का निर्देश नहीं दिया है।
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पीठ ने कहा- जो निर्देश दिया था, वह आसानी से उपलब्ध
पीठ ने कहा कि अर्जी में एसबीआई की दलीलों से पर्याप्त संकेत मिलता है कि न्यायालय ने जिस जानकारी का खुलासा करने का निर्देश दिया था वह आसानी से उपलब्ध है। उसने कहा, उपरोक्त चर्चा के मद्देनजर, 30 जून, 2024 तक चुनावी बॉण्ड की खरीद और उन्हें भुनाए जाने के विवरण को सार्वजनिक करने की समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध करने वाली एसबीआई की याचिका खारिज की जाती है।
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चुनाव आयोग को ऐसे निर्देश
पीठ ने कहा, एसबीआई को 12 मार्च को कामकाजी घंटों की समाप्ति तक विवरण का खुलासा करने का निर्देश दिया जाता है। उसने कहा, जहां तक ईसीआई (भारत निर्वाचन आयोग) का संबंध है, हम निर्देश देते हैं कि ईसीआई जानकारी संकलित करेगा और 15 मार्च, 2024 को शाम पांच बजे तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर विवरण प्रकाशित करेगा।
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