श्रीलंका में जल्द बनेगी अंतरिम सरकार… भाई महिंदा को प्रधानमंत्री पद से हटाएंगे श्रीलंका के राष्ट्रपति

-नए प्रधाानमंत्री के नाम से नियुक्त की जाएगी राष्ट्रीय परिषद

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कोलंबो। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे झुक गए हैं। वे अपने भाई प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को हटाने के लिए तैयार हो गए हैं। इसके साथ ही श्रीलंका में जल्द ही नई अंतरिम सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया है। श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति और मौजूदा सांसद मैत्रीपाला सिरीसेना ने राष्ट्रपति के साथ बैठक के बाद कहा कि गोटबाया राजपक्षे इस बात पर सहमत हुए हैं कि एक नए प्रधाानमंत्री के नाम से एक राष्ट्रीय परिषद नियुक्त की जाएगी और मंत्रिमंडल में सभी राजनीतिक दलों के सांसद शामिल होंगे। महिंदा की पूरी कैबिनेट का इस्तीफा लिया जाएगा। हालांकि अब तक यह साफ नहीं हो सका है कि कैबिनेट के इस्तीफे कब होंगे और नई सरकार का गठन कब तक होगा। इस बीच, श्रीलंका में सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी हैं।

गौरतलब है, सिरीसेना, राजपक्षे से पहले राष्ट्रपति थे। वह इस महीने की शुरूआत में करीब 40 अन्य सांसदों के साथ दलबदल करने से पहले सत्तारूढ़ दल के सांसद थे। प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे सहित गोटाबाया और उनके परिवार का पिछले 20 वर्षों से श्रीलंका के लगभग हर क्षेत्र में वर्चस्व रहा है। मार्च से सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे लोगों ने मौजूदा संकट के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया है। हालांकि, आर्थिक संकट में फंसने के बाद श्रीलंका में तकरीबन महीने भर से सरकार विरोधी जन आंदोलन चल रहा है। आंदोलनकारी राजपक्षे परिवार से सत्ता छोड़ने की मांग कर रहे हैं। इस दौरान कई बार गोटबया राजपक्षे और उनके भाई प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफे की मांग साफ ठुकरा दी थी। लेकिन ताजा जानकारी के अनुसार अब श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया अपने भाई को प्रधानमंत्री पद से हटाने के लिए तैयार हो गए हैं।

असंतुष्टों ने भारत को दी राजनीतिक हालात की जानकारी

श्रीलंका में सत्तारूढ़ एसएलपीपी गठबंधन के बागियों जिनका प्रतिनिधित्व पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना के नेतृत्व वाली ‘श्रीलंका फ्रीडम पीपुल्स पार्टी’ (एसएलएफपी) कर रही है, ने भारतीय उच्चायुक्त गोपाल बागले से मुलाकात की और उन्हें देश में मौजूदा राजनीतिक गतिरोध तथा सबसे खराब आर्थिक मंदी को दूर करने के लिए अपनी एक अंतरिम सरकारी व्यवस्था की योजना के बारे में जानकारी दी। एसएलएफपी के ये सदस्य श्रीलंका में सत्तारूढ़ ‘श्रीलंका पीपुल्स पार्टी’ (एसएलपीपी) में शामिल हैं, लेकिन इन्होंने अभी बगावती रुख इख्तियार कर रखा है।


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