नई दिल्ली। देश की बिजली का लगभग 70% उत्पादन कोयले से होता है। इस महीने की शुरुआत से भारत के बिजली संयंत्रों में कोयले के भंडार में लगभग 17% की गिरावट आई है जिस कारण लगभग एक चौथाई पावर प्लांट बंद हो गए हैं। भारत के कई हिस्से लंबे समय तक ब्लैकआउट का सामना कर रहे हैं, जबकि कुछ उद्योग कोयले की कमी के कारण उत्पादन में कटौती कर रहे हैं। इधर रेलवे ने कई ट्रेनों को 24 मई रद्द कर दिया ताकि कोयला लदी मालगाड़ियों को तेजी से चलाया जा सके।
ऊर्जा मंत्रालय के मुताबिक देश के 18 पिटहेट प्लांट यानी ऐसे बिजलीघर, जो कोयला खदानों के मुहाने पर ही हैं, उनमें तय मानक का 78% कोयला है। जबकि दूर दराज के 147 बिजलीघर (नॉन-पिटहेट प्लांट) में मानक का औसतन 25% कोयला उपलब्ध है। यदि इन बिजलीघरों के पास कोयला स्टॉक तय मानक के मुताबिक 100% होता तो पिटहेट प्लांट 17 दिन और नॉन-पिटहेट प्लांट्स 26 दिन चल सकते हैं। देश के कुल 173 पावर प्लांट्स में से 106 प्लांट्स में कोयला शून्य से लेकर 25% के बीच ही है।
इन राज्यों में भीषण बिजली संकट
भीषण गर्मी और कोयले की किल्लत के चलते दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र समेत देश के 13 राज्य बिजली संकट का सामना कर रहे हैं। आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, झारखंड, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान समेत कई राज्यों में भारी बिजली कटौती की जा रही है।
देश के कई पावर प्लांट की सांस फूली
सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (सीईए) की डेली कोल स्टॉक रिपोर्ट के मुताबिक, 165 थर्मल पावर स्टेशनों में से 56 में 10 फीसदी या उससे कम कोयला बचा है जबकि 26 थर्मल पावर स्टेशनों के पास पांच फीसदी से भी कम स्टॉक बचा है। कुछ उद्योग कोयले की कमी के कारण उत्पादन में कटौती कर रहे हैं। अप्रैल की शुरुआत से भारत के बिजली संयंत्रों में कोयले के भंडार में लगभग 17 प्रतिशत की गिरावट आई है जोकि आवश्यक स्टॉक का एक तिहाई है।
दिल्ली में मेट्रो-अस्पताल तक जूझ रहे संकट से
बिजली कटौती का असर सारे देश के साथ ही अब राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी होने लगा है। कोयले की कमी के गहराते संकट के बीच दिल्ली सरकार ने मेट्रो और अस्पतालों समेत कई आवश्यक संस्थानों को 24 घंटे बिजली आपूर्ति में असमर्थता जताई है। दिल्ली के बिजली मंत्री सत्येंद्र जैन ने केंद्र को पत्र लिखा और अनुरोध किया कि वह राष्ट्रीय राजधानी को बिजली की आपूर्ति करने वाले बिजली संयंत्रों को पर्याप्त कोयले की उपलब्धता सुनिश्चित करें।
दिल्ली में सिर्फ एक दिन का स्टाक
दिल्ली के बिजली मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया कि राजधानी के प्लांट्स में एक दिन का ही स्टॉक बचा हुआ है। दादरी-2 और ऊंचाहार बिजली स्टेशनों से बिजली आपूर्ति बाधित हो सकती है। वर्तमान में दिल्ली में बिजली की 25-30% मांग इन बिजली स्टेशनों से ही पूरी की जा रही है। इन स्टेशनों में पिछले कुछ दिनों से कोयले की कमी है। ऐसे में समस्या कभी भी गहरा सकती है।
एनटीपीसी ने कहा- पूरी क्षमता से चल रहीं यूनिट्स
दिल्ली के बिजली संकट पर एनटीपीसी ने कहा दादरी की सभी 6 और ऊंचाहार की 5 यूनिट्स पूरी क्षमता से चल रही हैं और वहां नियमित कोयला आपूर्ति हो रही है। मौजूदा स्टॉक क्रमशः 140000 मीट्रिक टन और 95,000 मीट्रिक टन है और आयात कोयले की आपूर्ति भी पाइपलाइन में है।
पूरी क्षमता से चलें प्लांट्स: जोशी
केंद्रीय कोयला और खनन मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि देशभर के थर्मल प्लांट्स के पास 2.20 करोड़ टन कोयला है, जो 10 दिन के लिए काफी है। ऐसे में उन्हें पूरी क्षमता के साथ उत्पादन करना चाहिए। सीसीएल के प्रबंध निदेशक पीएम प्रसाद ने बताया कि प्लांट्स को रोज 2.2 लाख टन कोयला दिया जाएगा।
यूपी में 3 हजार मेगावाट की कम सप्लाई
उधर, अकेले यूपी में ही 3 हजार मेगावॉट से ज्यादा की कमी है। वहां 23 हजार मेगावॉट बिजली की डिमांड है, जबकि सप्लाई 20 हजार मेगावाॅट है। बिजली कटौती का मुख्य कारण देश के एक चौथाई बिजली प्लांट्स का बंद होना है। इनमें से 50% प्लांट कोयले की कमी के चलते बंद हैं।
पंजाब में भी बिजली संकट बढ़ा
पंजाब में बिजली संकट बढ़ गया है। करीब 46 डिग्री टैंप्रेचर के बावजूद 12 घंटे तक कट लग रहे हैं। शहरों में 4 से 5, तो गांवों में 10 से 12 घंटे के कट झेलने पड़ रहे हैं। इसको लेकर अब आप सरकार के बिजली मंत्री हरभजन सिंह ने सफाई दी है। उन्होंने कहा कि पिछली चन्नी सरकार इस सीजन के लिए कोई प्रबंध करके नहीं गई। पिछले साल के मुकाबले बिजली की मांग 40% बढ़ी है। ऐसे में 24 घंटे बिजली के लिए कोशिश की जा रही है।
मध्य प्रदेश में 660 मेगावाट बिजर्ली कम
मध्य प्रदेश में बिजली की मांग के बीच कमी बरकरार है। गुरुवार को मांग के मुकाबले करीब 660 मेगावाट बिजली की कमी दिन में हुई। इसकी भरपाई ग्रामीण इलाकों में अघोषित बिजली कटौती से करनी पड़ी। कुछ पावर प्लांट में कोयला कम पड़ने से उत्पादन घटाना पड़ा। दिन में सर्वाधिक 12200 मेगावट की मांग रही और 11540 मेगावाट की आपूर्ति हुई।
उत्तर प्रदेश में भी गहरा सकता है संकट
उत्तर प्रदेश में कोयले का स्टॉक तेजी से कम हो रहा है। जरूरत का 25 फीसदी कोयला स्टॉक ही फिलहाल मौजूद है और यदि आने वाले दिनों में सप्लाई न बढ़े तो फिर संकट गहरा सकता है। यूपी के सरकारी सूत्रों का कहना है कि अप्रैल के शुरुआती सप्ताह में ही प्रचंड गर्मी पड़ी है और इसके चलते बिजली की मांग में इजाफा हुआ है।
राजस्थान में भी पावर कट का आदेश
राजस्थान की सरकार ने आधिकारिक तौर पर ही आदेश दे दिया है कि ग्रामीण इलाकों में तीन घंटे की कटौती की जाए। इसके अलावा जिलों में दो घंटे और डिविजनल लेवल पर एक घंटे की कटौती का आदेश दिया गया है। राज्य के ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने कहा, ‘कोयले का संकट पूरे देश में ही है। हम 15 रुपये प्रति यूनिट तक दे रहे हैं, लेकिन उसके बाद भी बिजली की पूरी सप्लाई नहीं मिल पा रही है।’
उत्तराखंड में दो से ढाई घंटे की कटौती
उत्तराखंड में बिजली संकट बना हुआ है। गर्मी के कारण बिजली की मांग में भारी वृद्धि हुई है, जबकि उपलब्धता मांग के अनुरूप नहीं है। बाजार से बिजली खरीद के बावजूद बिजली की कमी बनी हुई है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों और उद्योगों में दो से ढाई घंटे बिजली की कटौती की जा रही है। हालांकि, पिछले कुछ दिनों से कटौती में कमी आई है।
झारखंड में प्रतिदिन 2500 मेगावाट बिजली की है मांग
झारखंड में प्रतिदिन 2500 मेगावाट बिजली की मांग है, लेकिन आपूर्ति 2100 तक ही होती है। शहरों में चार से पांच और गांवों में छह से सात घंटे की बिजली कटौती हो रही है। इंडियन एनर्जी एक्सचेंज से राज्य को बिजली की अपेक्षा है। फिलहाल निर्धारित मांग के अनुरूप एक्सचेंज से बिजली नहीं मिल पा रही है।

