पीएम मोदी ने गगनयान मिशन के लिए किया नामों का ऐलान
तिरुवनंतपुरम। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को उन चार अंतरिक्ष यात्रियों के नामों की घोषणा की, जो देश के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन-‘गगनयान’ के लिए प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने थुंबा स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, अंगद प्रताप, अजीत कृष्णन और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला गगनयान मिशन के लिए नामित किये गए अंतरिक्ष यात्री हैं। उन्होंने इन चारों को ‘अंतरिक्ष यात्री पंख’ प्रदान किए। मोदी ने इन चार अंतरिक्ष यात्रियों को ‘चार ताकतें’ करार दिया, जो देश के 1.4 अरब लोगों की आकांक्षाओं को समाहित करती हैं। पीएम मोदी ने कहा कि चार दशक बाद कोई भारतीय, अंतरिक्ष में जाने के लिए तैयार है और इस बार उलटी गिनती (काउंटडाउन), समय और यहां तक कि रॉकेट भी हमारा है। इस अंतरिक्ष मिशन के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ये चार अंतरिक्ष यात्री सिर्फ चार नाम या व्यक्ति नहीं हैं, बल्कि वे 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं को अंतरिक्ष में ले जाने वाली चार ‘शक्तियां’ हैं। मोदी ने केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख एस सोमनाथ सहित अन्य गणमान्य लोगों की उपस्थिति में चार अंतरिक्ष यात्रियों के नाम की घोषणा की। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें इस बात पर गर्व और खुशी है कि गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन में उपयोग किए गए अधिकतर पुरजे भारत में बने हैं, जो अंतरिक्ष अन्वेषण में राष्ट्र की आत्मनिर्भरता को रेखांकित करता है। मोदी ने अंतरिक्ष यात्रियों की प्रशंसा की और कहा कि उनका नाम भारत की सफलता के साथ जुड़ गया है। उन्होंने प्रशिक्षण के प्रति उनके समर्पण और भावना की सराहना की और कहा कि वे भारत की ‘अमृत पीढ़ी’ के प्रतिनिधि हैं, जो कभी हार नहीं मानती और सभी प्रतिकूल परिस्थिति को चुनौती देने की ताकत रखती है। मोदी ने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत का योगदान युवा पीढ़ी में न केवल वैज्ञानिक सोच के बीज बो रहा है बल्कि देश को 21वीं सदी में एक ‘ग्लोबल प्लेयर’ के रूप में उभरने में भी मदद करेगा।
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कैसे चुने गए अंतरिक्ष यात्री
अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए आवेदन करने वाले बहुत से टेस्ट पायलटों में से, 12 लोगों को सितंबर 2019 में बेंगलुरु में हुए पहले चरण के चयन में सफलता मिली। यह चयन भारतीय वायु सेना के अधीन आने वाले इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन द्वारा किया गया था। कई चरणों के चयन के बाद, आईएएम और इसरो ने अंतिम 4 लोगों को चुना। 2020 की शुरुआत तक, इसरो ने चारों को शुरुआती प्रशिक्षण के लिए रूस भेजा, जो कोविड-19 के कारण कुछ देरी के बाद 2021 में पूरा हुआ। उसके बाद से चारों को कई एजेंसियों और सशस्त्र बल की ओर से ट्रेनिंग दी जा रही है। इसरो अपने मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र को प्रशिक्षण के लिए विभिन्न सिमुलेटरों से लैस करने पर काम कर रहा है। वे फिट रहने के लिए आईएएफ के साथ नियमित रूप से उड़ान भरना जारी रखते हैं।
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कब लॉन्च होगा गगनयान मिशन
इसरो के गगनयान मिशन साल 2025 तक लॉन्च होगा। हालांकि इसके शुरुआती चरणों को इसी साल यानी 2024 तक पूरा किया जा सकता है। इसमें दो मानवरहित मिशन को अंतरिक्ष में भेजना शामिल है। जब ये मिशन सफल होंगे उसके बाद ही एस्ट्रोनॉट को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।
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क्या है गगनयान मिशन
गगनयान मिशन इसरो द्वारा विकसित भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। गगनयान मिशन भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन है। इस मिशन के तहत 4 चालक दल के सदस्यों को 400 किलोमीटर की कक्षा में तीन दिनों के मिशन के लिए लॉन्च करना और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है। इसरो ने इस मिशन की टेस्टिंग पिछले साल की थी।
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ये हैं चार जांबाज
प्रशांत बालकृष्णन नायर
केरल के पलक्कड़ के नेनमारा के रहने वाले हैं। उनको रूस में मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन के लिए ट्रेनिंग दी गई थी। प्रशांत एयरफोर्स में ग्रुप कैप्टन के रूप में सेवाएं दे रहे हैं।
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अजित कृष्णन
एस्ट्रोनॉट अजित कृष्णन वायुसेना के टेस्ट पायलट हैं। वह भी प्रशांत बालाकृष्णन की तरह ही एयरफोर्स में ग्रुप कैप्टन के रूप में कार्यरत हैं।
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अंगद प्रताप
मिशन गगनयान के एस्ट्रोनॉट अंगद प्रताप भी वायुसेना में फाइटर और टेस्ट पायलट हैं। वह भी ग्रुप कैप्टन के तौर पर सेवाएं दे रहे हैं।
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शुभांशु शुक्ला
अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला वायुसेना में विंग कमांडर के तौर पर सेवाएं दे रहे हैं। गगनयान मिशन के लिए न जाने कितने पायलटों का टेस्ट हुआ, जिनमें से तीन अन्य के साथ शुभांशु शुक्ला को भी चुना गया।
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