चांद पर उतरा पहला प्राइवेट स्पेसक्राफ्ट, रचा इतिहास

  • भारत के बाद बना दूसरा देश, दक्षिणी ध्रुव पर की सुरक्षिेत लैंडिंग
  • ह्यूस्टन बेस्ड प्राइवेट कंपनी इंट्यूटिव मशीन्स को मिली कामयाबी

(फोटो : स्पेस क्रॉफ्ट)

ह्यूस्टन। अब तक आपने नासा, इसरो को चांद पर उतरते देखा होगा। लेकिन दुनिया में पहली बार एक प्राइवेट कंपनी ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर स्पेसक्राफ्ट उतारकर इतिहास रच दिया है। अमेरिका की ह्यूस्टन बेस्ड प्राइवेट कंपनी इंट्यूटिव मशीन्स का लैंडर ओडिसियस चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंड हो गया है। कंपनी ने इसे 15 फरवरी 2024 को लॉन्च किया था। इसके साथ ही अमेरिका चांद के दक्षिाण ध्रुव पर उतरने वाला दूसरा देश बन गया है। इससे पहले भारत के चंद्रयान-3 ने साउथ पोल पर उतरकर कीर्तिमान बनाया था।

रिपोर्ट के मुताबिक, लैंडिंग से पहले ओडिसियस के नेविगेशन सिस्टम में कुछ खराबी आई थी। वैज्ञानिकों को लगा कि शायद स्पेसक्राफ्ट नीचे गिर गया है और अब इससे संपर्क नहीं हो पाएगा, लेकिन कुछ ही देर बाद फिर कनेक्शन जुड़ा। स्पेसक्राफ्ट से सिग्नल मिलने लगे। इसके बाद सुरक्षिनत लैंडिंग कराने में कंपनी सफल रही. जैसे ही स्पेसक्राफ्ट ने टचडाउन किया, कर्मचारी खुशी में झूम उठे। जमकर तालियां बजाईं। भारतीय समय के मुताबिक, स्पेसक्राफ्ट की लैंडिंग 4 बजकर 53 मिनट पर हुई।

ओडिसियस चांद की सतह पर मौजूद

मिशन के डायरेक्टर टिम क्रेन ने कहा कि हम बिना किसी संदेह के कह सकते हैं कि ओडिसियस चांद की सतह पर है। हम उससे कनेक्ट कर पा रहे हैं। यह पल अंतरिक्ष के क्षेत्र में निजी कंपनियों की भागीदारी के लिए बेहद अहम है। क्योंकि भारत समेत दुनिया के कई देशों में अंतरिक्ष के क्षेत्र में निजी कंपनियों को मौका दिया जा रहा है। इससे भविष्य में चांद पर मानव भेजने की कोशिश को भी बल मिलेगा। इस मिशन के साथ करीब 50 वर्षों बाद एक बार अमेरिका एक बार फिर चांद पर पहुंचा है। इससे पहले 1972 में अपोलो मिशन भेजा गया था, तब अमेरिकी लैंडर धीरे-धीरे चंद्रमा की मिट्टी में समा गया था।

आखिर क्या करेगा ओडिसियस

टिम क्रेन ने कहा, ओडिसियस मून मिशन का मकसद चंद्रमा की सतह पर मौजूद धूल की स्टडी करना है। क्योंकि अपोले मिशन पर गए अंतरिक्ष यात्रिलयों ने बताया था कि वहां काफी धूल है, जिसकी वजह से उनके उपकरण खराब हो गए थे। अब साइंटिस्ट जानना चाहते हैं कि जब कोई स्पेसक्राफ्ट चांद की सतह पर उतरता है, तो वहां जो धूल उठती है, वह कैसे काम करती है। कैसे फिर सतह पर बैठ जाती है। उसकी ग्रैविटी का स्तर क्या है। आप जानकर हैरान होंगे कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भी इस स्पेसक्राफ्ट में 6 ब्लॉक्स खरीदे हैं, और अपने उपकरण भेजे हैं। नासा के प्रशासक बिल नेल्सन ने कहा, अमेरिका चंद्रमा पर लौट आया है। मानव इतिहास में पहली बार एक अमेरिकी कंपनी ने चांद की यात्रा की है। यह नासा की शक्ति को वादे को दर्शाता है।

चंद्रमा का साउथ पोल

ओडिसियस को 15 फरवरी को स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट पर लॉन्च किया गया था। इसने एक नए तरह के सुपरकूल्ड तरल ऑक्सीजन, तरल मीथेन प्रणोदन सिस्टम प्रणाली का दावा किया, जिसने इसे क्विक टाइम में अंतरिक्ष के जरिए दौड़ने की अनुमति मिली। इसकी लैंडिंग साइट, मालापर्ट ए, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से 300 किलोमीटर (180 मील) दूर है। ओडिसियस पर ले जाए गए उपकरणों में यह चेक करने के लिए कैमरे लगाए गए हैं कि अंतरिक्ष यान के इंजन प्लम के तहत चंद्रमा की सतह कैसे बदलती है।

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