टिकैत नहीं इस बार ये दो चेहरे कर रहे किसान आंदोलन को लीड

  • किसान आंदोलन 2.0 को लीड कर रहे सरवन सिंह पंढेर

(फोटो : पंढेर, जगजीत डडवाल)

चंडीगढ़। किसान आंदोलन का जिक्र जब भी होता है तो दिमाग में सबसे पहला नाम राकेश टिकैत का आता है। राकेश टिकैत ने ही 2020 में हुए किसान आंदोलन को लीड किया था। कृषि कानूनो को विरोध में शुरू हुए इस आंदोलन का नेतृत्व करने वाले राकेश टिकैत इस बार शुरू हुए किसानों के आंदोलन का नेतृत्व नहीं कर रहे हैं। इस बार दो नए चेहरे इस आंदोलन को लीड कर रहे हैं। इसमें एक नाम पंजाब किसान नेता सरवन सिंह पंढेर का है, जिनके नेतृत्व में पंजाब से हजारों किसान दिल्ली कूच कर रहे हैं। वहीं दूसरा नाम जगजीत सिंह डल्लेवाल का है जो इस आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं।

सरवन सिंह पंढेर

सरवन सिंह पंढेर पंजाब के अमृतसर जिले के गांव पंधेर के रहने वाले हैं। वह दसवीं तक पढ़े हैं। उनकी उम्र 45 साल है। वो हमेशा से किसान हितों के लिए बढ़चढ कर बोलते हैं। वो अकाली दल के नेता विक्रम मजीठिया के करीबी माने जाते हैं। पंधेर छात्र जीवन से ही आंदोलनों में शामिल रहे हैं। पंढेर के पास करीब सवा दो एकड़ जमीन है। इस समय पंढेर माझा के किसान संगठन किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव हैं। साल 2020 में हुए किसान आंदोलन के दौरान पंढेर पर दिल्ली में हिंसा भड़काने का आरोप भी लगा था। वो सरकार से बातचीत में शामिल किसानों की कमेटी भी भी शामिल रहे हैं। वो पहले भाकियू उगराहां के साथ थे। लेकिन वो अब पुरानी किसान मजदूर संघर्ष कमेटी का बड़ा चेहरा है। 2007 में किसान मजदूर संघर्ष कमेटी का गठन हुआ था। किसान संघर्ष कमेटी से अलग होकर सतनाम सिंह पन्नू ने इसका गठन किया था। ये संगठन भी किसानों के हकों की बात करता है।

जगजीत सिंह डल्लेवाल

जगजीत सिंह डल्लेवाल पहले संयुक्त किसान मोर्चा का हिस्सा रहे हैं। बाद में उन्होंने बलबीर सिंह राजेवाल के साथ मिलकर चार अलग संगठन बना लिए। जगजीत सिंह डल्लेवाल के नेतृत्व में कृषि संगठन बीकेयू (एकता सिद्धूपुर) ने छोटे समूहों को साथ लिया और एक समानांतर संगठन एसकेएम (गैर-राजनीतिक) का गठन किया। इसमें हरियाणा, राजस्थान, एमपी के किसान समूह भी शामिल हैं। इसने किसान मजदूर मोर्चा के साथ हाथ मिलाया और ‘दिल्ली चलो’ के आह्वान के साथ अमृतसर और बरनाला में रैलियां कीं।

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अगर किसानों के साथ अन्याय हुआ तो दिल्ली हमसे ज्यादा दूर नहीं’

किसानों के धरना-प्रदर्शन के बीच टिकैत का पहला बयान

(फोटो : राकेश टिकैत)

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में किसानों का प्रदर्शन जारी है। किसान बड़ी तादाद में दिल्ली की सीमा पर डटे हुए हैं। इस बीच भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का बड़ा बयान सामने आया है। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, “देश में बड़ी पूंजीवाद कंपनिया हैं। उन्होंने एक राजनीतिक पार्टी बना ली है और इस देश पर कब्जा कर लिया है। ऐसे में दिक्कते आएंगी ही, अगर उनके (किसान) साथ कोई अन्याय हुआ। सरकार ने उनके लिए कोई दिक्कत पैदा की तो ना वो किसान हमसे ज्यादा दूर हैं और ना दिल्ली हमसे ज्यादा दूर है’ टिकैत ने कहा कि जब दिल्ली में 13 महीने किसान आंदोलन चला। उस दौरान हमारी सरकार के साथ 12 दौर की बातचीत हुई। उन्होंने कहा कि 22 जनवरी 2021 के बाद भारत सरकार से हमारी कोई बात नहीं हुई। अब तीन साल बाद यह बातचीत शुरू हुई है। किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च पर किसान नेता नरेश टिकैत कहा कि पूरे देश में विरोध प्रदर्शन चल रहा है। सरकार को हमारे साथ बैठकर बातचीत करनी चाहिए और किसानों को सम्मान देना चाहिए। सरकार को इस मुद्दे पर सोचना चाहिए और कोशिश करनी चाहिए। साथ ही इसका समाधान निकालना चाहिए।

सरकार किसानों के साथ करती है अन्याय : रमेश

वहीं कांग्रेस महासचिव संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि जो सरकार एमएस स्वामीनाथन और चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देती है, वही सरकार किसानों के साथ अन्याय करती है। किसान संगठनों की 3-4 मुख्य मांगें हैं। उनकी सबसे बड़ी मांग है- स्वामीनाथन फार्मूला लागू किया जाए और दूसरी प्रमुख मांग है- एमएसपी कानून। उन्होंने मोदी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि एमएसपी ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’है न कि ‘मोदी विक्रय मूल्य’।

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