-आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में सड़कों पर उतरे लोग
कोलंबो। श्रीलंका में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के तत्काल इस्तीफे की मांग को लेकर करीब 1000 व्यापार यूनियन ने बृहस्पतिवार को एक दिन की देशव्यापी हड़ताल का आयोजन किया। देश में अभूतपूर्व आर्थिक संकट से निपटने में नाकाम रहने के कारण उनके इस्तीफे की मांग की जा रही है।
वर्ष 1948 में ब्रिटेन से आजादी के बाद से श्रीलंका पहली बार इस तरह की अप्रत्याशित आर्थिक उथल-पथल का शिकार है। इस संकट का आंशिक कारण विदेशी मुद्री की कमी है, जिसका मतलब है कि श्रीलंका जरूरी खाद्य पदार्थों और ईंधन के आयात का भुगतान करने में समर्थ नहीं है। इसके कारण जरूरी चीजों की कमी होने समेत अधिकतर वस्तुओं के दाम बढ़ गये। सड़कों पर 31 मार्च से ही जमा प्रदर्शनकारी देश के इस भीषण आर्थिक संकट के लिए द्वीपीय देश पर पिछले करीब 20 साल से शासन कर रहे राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और उनके परिवार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
‘जनता के आगे झुको, सरकार घर जाओ’
कई क्षेत्रों की यूनियन ने हड़ताल में भाग लिया जिसमें राज्य सेवा, स्वास्थ्य, बंदरगाह, बिजली, शिक्षा और डाक विभाग के कर्मी शामिल हुए। इस दौरान हड़ताल की एक विषय वस्तु निर्धारित की गई जो थी, ‘जनता के आगे झुको, सरकार घर जाओ। इसी के मद्देनजर लोगों ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से ‘घर जाने की मांग की। स्वास्थ्यकर्मियों के व्यापार यूनियन के रवि कुमुदेश ने कहा कि बृहस्पतिवार की हड़ताल के बाद वे सरकार को इस्तीफा देने के लिए एक सप्ताह का समय देंगे। रवि ने कहा कि इसके बाद सरकार के इस्तीफा देने तक वे लगातार हड़ताल करेंगे।

