काशी और महाकाल की तर्ज पर संवारा जाएगा मां कामाख्या मंदिर

–प्रधानमंत्री मोदी ने किया मां कामाख्या मंदिर कॉरिडोर का शिलान्यास

–पीएम बोले-रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद आया मां कामाख्या के द्वार


ऐसा

8 किमी दूर गुवाहाटी से कामाख्या

5 मंदिर एकसाथ जुड़ेंगे

498 करोड़ रुपए की लागत

इंट्रो

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को गुवाहाटी के वेटरनरी कॉलेज से मां कामाख्या मंदिर कॉरिडोर का शिलान्यास किया। इसके अलावा मोदी ने 11 हजार 600 करोड़ रुपए के कई अन्य प्रोजेक्ट्स का भी भूमिपूजन और लोकार्पण किया। मोदी ने दावा किया कि मां कामाख्या देवी के विश्व प्रसिद्ध मंदिर को उज्जैन के महाकाल लोक और बनारस के काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर करीब 498 करोड़ रुपए खर्च कर डेवलप किया जाएगा।

गुवाहाटी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को दावा किया कि आजादी के बाद सत्ता में रहे लोग पूजा स्थलों के महत्व को नहीं समझ सके और उन्होंने राजनीतिक वजहों से अपनी ही संस्कृति पर शर्मिंदा होने की प्रवृत्ति स्थापित की। गुवाहाटी में 11,600 करोड़ रुपए की परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करने के बाद एक रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि कोई भी देश अपना इतिहास मिटाकर प्रगति नहीं कर सकता। केंद्र सरकार द्वारा 498 करोड़ रुपए की लागत से बनाए जा रहे कामाख्या मंदिर गलियारा परियोजना पर उन्होंने कहा कि इसके तैयार हो जाने के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस ‘शक्ति पीठ’ में आएंगे और इससे पूरे पूर्वोत्तर के पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा। मोदी ने कहा, यह पूर्वोत्तर का प्रवेश द्वार बन जाएगा। हजारों वर्षों की चुनौतियों के बावजूद ये हमारी संस्कृति और हमने खुद को कैसे संरक्षित रखा है, इस बात के प्रतीक हैं। हमारी मजबूत संस्कृति का हिस्सा रहे इनमें से कई प्रतीक आजकल खंडहर बन गए हैं। उन्होंने कहा कि ‘कामाख्या दिव्यलोक परियोजना’ इस शक्ति पीठ की तीर्थयात्रा के अनुभव को बिल्कुल पलट देगी। प्रधानमंत्री ने दावा किया कि आजादी के बाद लंबे समय तक सरकार चलाने वाले लोग ऐसे धर्म स्थलों का महत्व नहीं समझ सके और उनकी उपेक्षा की। उन्होंने कहा, राजनीतिक लाभ के कारण उन्होंने अपनी ही संस्कृति और इतिहास पर शर्मिंदा होने की प्रवृत्ति स्थापित की। कोई भी देश अपने इतिहास को भुलाकर तथा मिटाकर और अपनी जड़ों को काटकर विकसित नहीं हो सकता है। मोदी ने कहा, हालांकि, पिछले 10 साल में स्थिति बदली है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत ‘डबल-इंजन’ सरकार की नीति विरासत स्थलों के विकास और संरक्षण की है। उन्होंने असम को एक उदाहरण बताया और कहा कि यह ऐसा स्थान है, जहां धर्म, अध्यात्मिकता और इतिहास आधुनिकता के साथ जुड़े हैं। मोदी ने कहा कि जिन परियोजनाओं की उन्होंने शुरुआत की, उससे न केवल पूर्वोत्तर में, बल्कि बाकी के दक्षिण एशिया में संपर्क सुविधा मजबूत होगी। उन्होंने कहा, आज, युवा चाहते हैं कि असम और पूर्वोत्तर का दक्षिण एशिया की तरह विकास किया जाए। आपका सपना मोदी का संकल्प है। मोदी आपके सपने को पूरा करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगा। यह मोदी की गारंटी है।

असम में 10 साल बाद लौटी शांति

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि पिछले 10 साल में असम में शांति लौटी है। 7,000 से अधिक लोगों ने हथियार छोड़े हैं और मुख्यधारा में लौटे हैं। मोदी ने कहा, 10 से अधिक प्रमुख शांति समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। एक वक्त में मैंने असम में पार्टी के लिए काम किया था। मैंने अपनी आंखों से गुवाहाटी में सड़कें अवरुद्ध होने और बम विस्फोट की घटनाएं देखी हैं। यह अब बीते वक्त की बात है। उन्होंने कहा कि राज्य के साथ ही क्षेत्र के कई इलाकों से सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम, 1958 (आफस्पा) हटा लिया गया है।

पूर्वोत्तर में रिकॉर्ड पर्यटक

पिछले दशक में पूर्वोत्तर में रिकॉर्ड संख्या में पर्यटक आए हैं। हम ऐतिहासिक स्थलों के उत्थान के लिए एक नयी योजना लेकर आएंगे और इसलिए हमने इस साल के बजट में पर्यटन पर ध्यान केंद्रित किया है। असम तथा पूर्वोत्तर में इसके लिए असीम संभावना है। प्रधानमंत्री ने दावा किया कि पिछले 10 साल में क्षेत्र में विकासात्मक गतिविधियों के लिए खर्च चार गुना बढ़ाया गया है। मोदी ने असम से राज्यसभा सदस्य रहे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नाम का जिक्र किए बिना कहा, ऐसा पहले तब भी नहीं किया गया था, जब प्रधानमंत्री असम से चुने गए थे।

मां कामाख्या कॉरिडोर

नीलांचल पर्वत पर मां कामाख्या देवी के मंदिर के अलावा कई और मंदिर हैं। यहां मातंगी, कमला, त्रिपुर सुंदरी, काली, तारा, भुवनेश्वरी, बगलामुखी, छिन्नमस्तिका, भैरवी, धूमावती देवियों और दशमहाविद्या (देवता के दस अवतार) के मंदिर भी हैं। नीलांचल पहाड़ी के चारों ओर भगवान शिव के पांच मंदिर कामेश्वर, सिद्धेश्वर, केदारेश्वर, अमरतोकेश्वर, अघोरा और कौटिलिंग मंदिर हैं। इन्हीं सब को मिलाकर मां कामाख्या कॉरिडोर तैयार होगा।

देश के पांच मंदिरों में कॉरिडोर

00 जगन्नाथ मंदिर कॉरिडोर, पुरी, ओडिशा

00 काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर, वाराणसी, यूपी

00 महाकाल लोक, उज्जैन, मप्र

00 बांके बिहार मंदिर कॉरिडोर, मथुरा, यूपी

00 देवभूमि कॉरिडोर, द्वारिका, गुजरात

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