90 सेकेंड के लिए रुकी ‘प्रलय की घड़ी’

-ये बताएगी कब खत्म होंगे इंसान? जंग-जलवायु परिवर्तन हैं असली वजह

(फोटो : क्लार्क2)

नई दिल्ली। लगातार दूसरे साल प्रलय की घड़ीको आधी रात से 90 सेकेंड पर सेट किया गया है। जैसे ही इस घड़ी में 12 बजेगा, वैसे ही तय हो जाएगा कि धरती अब मनुष्यों के रहने लायक नहीं बची है। इसे कयामत की घड़ी भी कहते हैं। यहीं से शुरू हो जाएगा इंसानों का सर्वनाश. हर साल यह घड़ी यह तय करती है कि मानव जाति के प्राकृतिक, राजनीतिक, परमाणु जंग को रोकने के लिए कितना समय है।

पिछले 75 वर्षों में, घड़ी की सूइयां इस हिसाब से घूमती हैं कि जलवायु परिवर्तन और परमाणु युद्ध सहित पृथ्वी पर मानव सभ्यता को समाप्त करने वाले खतरों से निपटने के लिए कदम उठाए गए थे या नहीं। पिछले साल भी इस घड़ी की सुइयों मध्यरात्रि से डेढ़ मिनट पहले सेट किया गया था। इससे पहले ऐसे हालात शीत युद्ध के दौरान थे। दो साल से अगर इस घड़ी की सुइयां इतने पर ही सेट है, इसका मतलब ये है कि इंसान हर मामले में धरती को नुकसान पहुंचा रहा है। प्रलय के नजदीक जा रहा है। राजनीतिक, प्राकृतिक, सांस्कृतिक और पर्यावरण को बिगाड़ रहा है। बुलेटिन के अध्यक्ष और सीईओ रैशेल ब्रोंसन ने कहा कि घड़ी को ऐसे सेट करने का मतलब ये नहीं कि दुनिया स्थिर है।

हिरोशिमा-नागासाकी बमबारी के बाद बनाई गई थी घड़ी

ब्रोंसन ने कहा कि इसका एकदम उल्टा हो रहा है। धरती को बचाने के लिए दुनिया भर की सरकारों और समुदायों के लिए कई तरह के सकारात्मक कदम उठाने होंगे। यह घड़ी और उससे जुड़े बुलेटिन के लिए परमाणु वैज्ञानिकों ने हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बमबारी के बाद एक समूह बनाया। यह मैनहट्टन परियोजना के तहत शिकागो यूनिवर्सिटी में बना था।

बढ़ता तापमान, जंग और एआई

1947 में कलाकार और बुलेटिन सदस्य मार्टिल लैंग्सडॉर्फ ने यह बताने के लिए कि मानवता अपने विनास के कितने करीब है, यह प्रलय की घड़ी बनाई थी. इस बार के बुलेटिन में रूस-यूक्रेन युद्ध, गाजा-इजरायल युद्ध और पिछले साल का सबसे गर्म वर्ष होना, विनाश की एक प्रमुख वजह मानी गई है। एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को भी विकास के लिए एक विघटनकारी तकनीक के रूप में देखा जा रहा है। इससे भ्रष्टाचार और दुष्प्रचार बढ़ने की आशंका है।

घड़ी का मकसद जागरूक करना

रैशेल ने बताया कि नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश सकारात्मक कदम है। बुलेटिन ने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि घड़ी का उद्देश्य लोगों को भयभीत करना नहीं है, बल्कि उन्हें जागरूक करना है। सही दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करना है। पूरा बयान दुनिया को सुरक्षित बनाने के लिए आवश्यक कार्रवाइयों को सूचीबद्ध करता है। लोगों से ऐसी कार्रवाई के लिए अपनी सरकारों पर दबाव डालने का आग्रह करता है।

यहां तय किया जाता है प्रलय का समय

डूम्सडे क्लॉक केलर सेंटर में स्थित है। यह शिकागो विश्वविद्यालय हैरिस स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी में है। फिलहाल शिकागो विश्वविद्यालय के प्रो. डैनियल होल्ज़ विज्ञान और सुरक्षा बोर्ड के अध्यक्ष हैं, जो हर साल घड़ी की सुइयां निर्धारित करते हैं।

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