एंटीबायोटिक्स के लिए डॉक्टर्स को लिखनी होगी वजह

–केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का बड़ा फैसला, जारी की नई गाइडलाइन

नई दिल्ली। हमारे देश में लोग एंटीबायोटिक का उपोग धड़ल्ले से करते हैं। इसे खाने का दुष्परिणाम क्या होता, इससे ज्यादातर लोग अंजान हैं। अब इस गंभीर मसले पर सरकार ने ध्यान देना शुरू कर दिया है। स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक डॉ. अतुल गोयल ने मेडिकल कॉलेजों के सभी डॉक्टरों से एक पत्र में अपील की है कि एंटीबायोटिक दवा लिखते समय उचित कारण का अनिवार्य रूप से उल्लेख करें। बता दें कि महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अंदर काम करती हैं। एंटीबायोटिक को लेकर सरकार क्या कदम उठाने जा रही है। इसे लेकर एक पत्र जारी हुआ है जिसमें न केवल डॉक्टर, बल्कि फार्मासिस्टों नसीहत देते हुए कहा गया है कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स नियमों की अनुसूची एच और एच1 को लागू करें और केवल वैध नुस्खे यानी प्रिस्क्रिप्शन देखने के बाद ही एंटीबायोटिक्स बेचें।

2019 में 4.95 मिलियन मौतें

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि एंटीबायोटिक विश्व के शीर्ष सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों में से एक है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी पत्र में कहा गया है, अनुमान है कि वर्ष 2019 में 1.27 मिलियन वैश्विक मौत बैक्टीरिया एएमआर के कारण हुई है जबकि 4.95 मिलियन मौतें केवल दवा-प्रतिरोधी संक्रमणों से हुई।

खतरनाक है लगातार सेवन

पत्र में बताया गया कि एंटीबायोटिक्स आधुनिक चिकित्सा के कई लाभों को खतरे में डालता है। यह प्रतिरोधी रोगाणुओं के कारण होने वाले संक्रमण की प्रभावी रोकथाम और इलाज को भी खतरे में डालता है, जिस वजह से लंबी बीमारी होती है और मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। मेडिकल कॉलेजों को अपील करते हुए पत्र में कहा गया कि ये कॉलेज न केवल देश में एक बड़े वर्ग के स्वास्थ्य का देखभाल करते हैं बल्कि डॉक्टरों की युवा पीढ़ी को भी तैयार करते हैं। आने वाली चुनौतियों से भी इन्हें ही निपटना होगा। इस कारण यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि डॉक्टर मेडिकल कॉलेजों में अगली पीढ़ी के डॉक्टरों के लिए एंटीबायोटिक्स का सही उपयोग करना इन्हें बताए।

एंटीबायोटिक्स की ऐसी खपत

2000——3.2 अरब डोज

2011—-4.75 अरब डोज

2019——5.07 अरब डोज

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