-अयोध्या में श्री राम मंदिर के उद्घाटन के खिलाफ कोर्ट में दायर हुई जनहित याचिका
-चारो शंकराचार्यों ने भी इस कार्यक्रम को कहा है सनातन परंपरा के खिलाफ
-याचिका में कहा गया- चुनावी लाभ के लिए हो रहा यह आयोजन
नई दिल्ली। इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अयोध्या में निर्माणाधीन मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पर रोक लगाने की मांग की गई है। याचिका में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर शंकराचार्यों द्वारा उठाई गई आपत्तियों का हवाला देते हुए इसे सनातन परंपरा के खिलाफ बताया गया है। कहा गया है कि भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव का लाभ उठाने के लिए यह कर रही है। याचिका पर तुरंत सुनवाई की मांग की गई है। गाजियाबाद के भोला दास की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि अयोध्या में 22 जनवरी को धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होने जा रहा है। वहां पर निर्माणाधीन मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी। यह प्राण प्रतिष्ठा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा की जाएगी और इसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल हो रहे हैं, जो कि गलत है। याची ने अपनी जनहित याचिका में इसके लिए कई आधार बताए हैं। याची की ओर से कहा गया है कि यह प्राणप्रतिष्ठा गलत है, क्योंकि सनातन धर्म के अगुवा शंकराचार्यों की ओर से इस पर आपत्ति उठाई गई है। दूसरा, पूस महीने में कोई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाते हैं। 25 जनवरी को पूर्णिमा है।
नहीं होते पूर्णिमा तक कोई धार्मिक आयोजन
पूर्णिमा तक कोई धार्मिक आयोजन नहीं होते हैं। तीसरा, मंदिर अभी निर्माणाधीन है। अपूर्ण मंदिर में किसी भी देवी-देवता की प्राण-प्रतिष्ठा नहीं हो सकती है। देवी-देवताओं की प्राण-प्रतिष्ठा पूर्ण मंदिर में होती है। इसके अलावा पीएम और सीएम योगी का इस प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होना संविधान के खिलाफ है क्योंकि देश का संविधान भाईचारे को बढ़ावा देने वाला है। पीएम और सीएम के ऐसे कार्यक्रमों में शामिल होने से देश के भाईचारे की भावना को झटका लगेगा, जो कि सही नहीं है। याची अधिवक्ता अनिल कुमार बिंद ने बताया कि पीएम मोदी के कार्यक्रम पर रोक लगाने वाली जनहित याचिका मंगलवार को दाखिल हो गई है। कोशिश की जाएगी कि उस पर हाईकोर्ट जल्दी सुनवाई कर याचिका स्वीकार कर ले।
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पीएम मोदी प्रतीकात्मक यजमान, मिश्रा हैं मुख्य यजमान
बता दें, पहले प्रधानमंत्री मोदी को मुख्य यजमान बताया गया था। लेकिन अब प्राण प्रतिष्ठा कराने वाले कर्मकांडी ब्राह्मणों और मुहूर्तकारों ने बताया कि मंगलवार से 22 जनवरी तक चलने वाले वैदिक अनुष्ठान के मुख्य यजमान मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्र और उनकी धर्म पत्नी ऊषा मिश्रा को बनाया गया है, जबकि पीएम नरेंद्र मोदी प्रतीकात्मक यजमान होंगे।
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‘मदुरई-तिरुपति मंदिर का निर्माण भी प्राण प्रतिष्ठा के बाद हुआ : रविशंकर
ज्योतिषमठ शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने निर्माणाधीन राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा पर आपत्ति जताई है। उनकी इस आपत्ति पर बुधवार को आर्ट ऑफ लिविंग के श्री श्री रविशंकर ने बताया कि कई मंदिर ऐसे हैं जिनका निर्माण प्राण प्रतिष्ठा के बाद किया गया है। रविशंकर ने कहा कि शंकराचार्य एक विचारधारा के हैं। लेकिन यहां ऐसे अन्य प्रावधान भी है, जो प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंदिर के निर्माण की अनुमति देता है। मदुरई मंदिर और तिरुपति बालाजी मंदिर में भी ऐसा ही हुआ था। यहां भी मंदिर का निर्माण बाद में किया गया था।
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