अरुणाचल से महाराष्ट्र आए 60 वाहन नकली

-फर्जी इंजन और चेचिस नंबर का भंडाफोड़

मुंबई। महाराष्ट्र के परिवहन अधिकारियों ने पिछले तीन साल में पंजीकृत अरुणाचल प्रदेश के 60 ऐसे वाहनों का पता लगाया है, जो असली नहीं हैं। पालघर जिले के वसई क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) में दोबारा पंजीकृत 60 वाहनों पर फर्जी इंजन और चेसिस नंबर पाए हैं। अरुणाचल प्रदेश से आई इन गाड़ियों में अधिकांश वाहन- बस और ट्रक हैं। ट्रांसपोर्टर और वाहनों से जुड़े कार्यकर्ता इसे बहुत बड़ा ‘घोटाला’ बता रहे हैं। वसई आरटीओ कार्यालय का क्षेत्राधिकार पालघर जिले पर है। आरटीओ का दावा है कि इन वाहनों को महाराष्ट्र में ट्रांसफर कराने से पहले अरुणाचल प्रदेश में फर्जी दस्तावेजों के साथ पंजीकृत किया गया होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि इंजन और चेसिस नंबर वाहन निर्माताओं के रिकॉर्ड से मेल नहीं खाते। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक आधिकारिक दस्तावेजों से वाहनों से जुड़े फर्जीवाड़े का संकेत मिलता है।

34 बसों और 26 ट्रकों का मामला

दस्तावेजों से पता चलता है कि वसई आरटीओ ने संबंधित ऑटोमोबाइल निर्माताओं के अधिकृत डीलरों से संपर्क कर वाहन रिकॉर्ड का सत्यापन कराया। गड़बड़ी का पता लगने के बाद RTO ने पिछले महीने पुलिस के पास मामला दर्ज कराया। महाराष्ट्र के अन्य जिलों और आरटीओ को भी इस संबंध में आगाह किया गया है। वसई आरटीओ ने इन 60 वाहनों में शामिल, 34 बसों और 26 ट्रकों को ट्रैक करने की जरूरत पर जोर दिया है।

नकली चेसिस के साथ इंजन पर भी गलत नंबर

बड़े पैमाने पर वाहनों के कथित फर्जीवाड़े को लेकर पिछले साल, वाशी आरटीओ ने मामला दर्ज किया था। अरुणाचल में पंजीकृत लगभग आधा दर्जन बसों के संबंध में नकली कागजातों के आरोप में यह मामला दर्ज किया गया था। ट्रांसपोर्टरों और कार्यकर्ताओं के मुताबिक आरटीओ के अधिकारियों और कर्मचारियों को वाहन के चेसिस और इंजन नंबर से छेड़छाड़ के मामले पकड़ने की ट्रेनिंग दी जाती है। केवल एक नजर में छेड़छाड़ पकड़े जा सकते हैं। उन्होंने हैरानी जताई है कि वसई आरटीओ के अधिकारी इतनी बड़ी संख्या में वाहनों के नकली चेसिस और इंजन नंबरों को पकड़ने में कैसे नाकाम रहे?

तीन वर्षों में पकड़े गए 60 नकली वाहन

अधिकारियों को संदेह है कि टैक्स से बचने या कानून के अनुपालन से बचने के लिए वाहनों को पूर्वोत्तर राज्य से बाहर भेजे जाने की आशंका है। वसई आरटीओ के उप क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी दशरथ वाघुले ने कहा कि परिवहन आयुक्त कार्यालय के निर्देश पर, उन्होंने पिछले तीन वर्षों में इन 60 वाहनों के बारे में पता चला। इनका अरुणाचल प्रदेश में पंजीकरण हुआ है। वाघुले ने कहा, पुलिस इस मामले में गहन जांच कर रही है। प्रथम दृष्टया लगता है कि वाहनों को फर्जी दस्तावेजों के सहारे अरुणाचल प्रदेश में पंजीकृत कराया गया। आम तौर पर वाहन खरीदने-बेचने या मालिक का पता बदलने पर वाहन पंजीकरण दूसरे राज्यों में कराए जाते हैं।

बसों के बैंक लोन, जबकि ट्रकों में बीएस-IV इंजन का मामला

आरटीओ अधिकारियों और एजेंटों के अनुसार, जिन बसों की बात हो रही है, फाइनांस के बाद बैंक लोन का भुगतान न होने की सूरत में, बैंकों ने इनकी नीलामी कराई होगी। ट्रक बीएस-IV इंजन वाले हैं। डीलर सरकार की तरफ से समय सीमा से पहले इन्हें बेचने में विफल रहे होंगे। उन्होंने कहा कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर वाहनों को पहले अरुणाचल प्रदेश में पंजीकृत कराया गया। इसके बाद महाराष्ट्र में वाहनों के दोबारा रजिस्ट्रेशन के लिए वहां से एनओसी का जुगाड़ किया गया। इस समय राष्ट्रव्यापी ऑनलाइन वाहन पंजीकरण प्रणाली की शुरुआत नहीं हुई थी।

कोरोना महामारी में हुई कागज से छेड़छाड़

इस मामले में एक आरटीओ एजेंट ने कहा, कोविड-19 महामारी के दौरान, बैंकों ने मासिक किश्त का भुगतान न होने पर बसें जब्त कर लीं। बैंकों ने वाहनों की नीलामी कराई, लेकिन उन पर सरकारी टैक्स बकाया था। बसों को खरीदने वाले लोगों ने टैक्स चुकाने के बजाय चेसिस और इंजन नंबर के साथ छेड़छाड़ कर इन्हें दूसरे राज्यों में पंजीकृत करा लिया। अरुणाचल प्रदेश में पंजीकरण से पहले, नीलाम की गई बसों के पंजीकरण आधिकारिक तौर पर रद्द नहीं किए गए थे, क्योंकि उन पर टैक्स बकाया थे। इस सूरत में एक ही बस दो चेसिस और इंजन नंबरों के साथ दो आरटीओ में पंजीकृत है।

मुंबई में आठ साल से पुराने वाहनों पर पाबंदी

आरटीओ अधिकारियों के अनुसार, 8 साल से अधिक पुराने वाहनों को मुंबई में चलने की अनुमति नहीं है। ऐसे में आठ साल से अधिक समय पहले खरीदे गए वाहनों के फर्जी दस्तावेज तैयार कराए गए। खरीदने की तारीख से छेड़छाड़ के बाद इन्हें अरुणाचल प्रदेश में पंजीकृत कराया गया। महाराष्ट्र में फिर से पंजीकृत कराने के लिए कागजात से फिर छेड़छाड़ की गई।

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