गठबंधन पर संकट : नीतीश ने अरुणाचल में उतारा लोकसभा प्रत्याशी

  • बिहार के साथ केंद्र की राजनीति में चित भी मेरी पट भी मेरी का चला दांव

-टालनी पड़ी बिहार के सीएम को संयोजक बनाने के लिए बुलाई बैठक

पटना। बिहार के सीएम नीतीश कुमार की नाराजगी दूर करने के लिए विपक्षी गठबंधन इंडिया की बैठक टल गई। बैठक में नीतीश को गठबंधन का संयोजक और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को नेता बनाने पर फैसला होना था। यह बैठक अब कब होगी, इस पर अब तक फैसला नहीं हो पाया है। हालांकि, गठबंधन में जारी मतभेद के बीच जदयू ने अरुणाचल प्रदेश पश्चिम लोकसभा सीट से उम्मीदवार घोषित कर कांग्रेस को अपने तेवर का अहसास करा दिया है। दरअसल, नीतीश बिहार के साथ केंद्र की राजनीति में चित भी मेरी पट भी मेरी का दांव चला है। नीतीश चाहते हैं कि गठबंधन उन्हें उनकी शर्तों पर संयोजक बनाए। इसके अलावा उनकी इच्छा है कि बिहार में लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव भी कराए जाएं। साथ चुनाव कराकर नीतीश की योजना विधानसभा में अपनी पार्टी की सीटों की संख्या बढ़ाकर राज्य की राजनीति में अपना दबदबा बरकरार रखने की है।

असमंजस में राजद

नीतीश के इस दांव से राजद-कांग्रेस असमंजस में है। राजद को पता है कि अगर साथ चुनाव हुए तो अनुकूल परिस्थितयों में सारा लाभ जदयू को मिलेगा। राजद के पास पहले से ही विधानसभा की 79 सीटें हैं। पार्टी के आधार और गठबंधन में सीटों की अपनी हिस्सेदारी में पार्टी इससे ज्यादा सीटें नहीं जीत सकती। हालांकि, अनुकूल परिस्थितियों और भाजपा को नुकसान का सीधा लाभ जदयू को होगा और उसकी संख्या 43 से बढ़कर राजद के करीब हो सकती है। ऐसी स्थिति में राजद का तेजस्वी की ताजपोशी का दावा बेहद कमजोर हो जाएगा। अरुणाचल से उम्मीदवार उतारकर नीतीश ने कांग्रेस की परेशानी बढ़ा दी है। इसके जरिये उन्होंने संदेश दिया है कि उन्हें गठबंधन में बिहार के इतर दूसरे राज्यों में भी सीटें चाहिए।

खतरा नहीं उठाना चाहते नीतीश

राजद चाहती है कि नीतीश राष्ट्रीय राजनीति का रुख करते हुए तेजस्वी की ताजपोशी पर सहमति दें। इस पर सहमति नहीं बनने के बाद ही कथित तौर पर राजद की ओर से जदयू को तोड़ने की कोशिश हुई। दूसरी ओर नीतीश नहीं चाहते कि राष्ट्रीय राजनीति का दांव फेल होने के बाद उनके हाथ से राज्य की सत्ता भी चली जाए। इस मामले में दोनों दलों के बीच मतभेद इतना गहरा है कि नीतीश ने एक जनवरी को पूर्व सीएम राबड़ी देवी को जन्मदिन की बधाई तक नहीं दी।

ईडी की तेजस्वी से पूछताछ पर नजर

जदयू की निगाहें आय से अधिक संपत्ति मामले में ईडी की शुक्रवार को डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से होने वाली पूछताछ पर टिकी हैं। राजनीतिक अनिश्चितता और अविश्वास के माहौल के बीच तेजस्वी ने शनिवार से तय ऑस्ट्रेलिया की यात्रा टाल दी है। सूत्रों का कहना है कि अगर ईडी की पूछताछ में तेजस्वी के खिलाफ कार्रवाई होती तो राज्य की राजनीति करवट लेगी।

सीट बंटवारे पर भी पेच

इस बीच राजद और जदयू के सीट बंटवारे को लेकर भी पेच फंस गया है। दोनों दलों ने कांग्रेस के समक्ष 17:17:4:2 का फॉर्मूला पेश किया है। मतलब राजद-जदयू 40 में से 34 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं और बाकी की छह में चार सीटें कांग्रेस और दो वाम दलों को देना चाहती है। इस फॉर्मूले पर न तो कांग्रेस सहमत है और न ही वाम दल।

भाजपा की देखो और इंतजार करो की रणनीति

राजद और जदयू के बीच जारी खींचतान मामले में भाजपा फिलहाल चुप है। पार्टी देखो और इंतजार करो की रणनीति पर आगे बढ़ रही है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अगर टकराव बढ़ा तो जदयू में टूट संभव है। चूंकि कांग्रेस, राजद और वाम दलों की संयुक्त ताकत बहुमत से महज आठ कम है, ऐसे में जदयू में टूट से परिस्थिति में बड़ा बदलाव आ सकता है।

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