इराक-अजरबैजान में खतरा ज्यादा
नई दिल्ली। मिडिल-ईस्ट में फर्जी जीपीएस सिग्नल भेजकर विमानों को भटकाए जाने की खबरें हैं। इसको लेकर डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन ने सभी भारतीय एयरलाइंस को एडवाइजरी जारी की है। दरअसल, कुछ महीनों से खबरें सामने आ रही थीं कि मिडिल-ईस्ट में कॉमर्शियल फ्लाइट्स और जेट्स को फर्जी सिग्नल भेजा जा रहा है। ये सिग्नल जमीन से भेजे गए। ये विमान के नेविगेशन सिस्टम में घुसपैठ करने, जीपीएस सिग्नलों को ओवरराइट करने और विमान को भटकाने के लिए काफी हैं। सितंबर में ईरान के पास कई विमानों के नेविगेशन सिस्टम ने काम करना बंद कर दिया था। इस वजह से एक विमान बिना अनुमति के ईरानी हवाई क्षेत्र में प्रवेश कर गया था।
इराक में खतरा ज्यादा
रिपोर्ट के मुताबिक, स्पूफिंग का खतरा सबसे ज्यादा उत्तरी इराक और अजरबैजान में है। यहां फर्जी सिग्नल भेजकर विमानों को भटकाए जाने की कई घटनाएं सामने आई हैं। हालांकि, ये फर्जी सिग्नल कौन, कहां से भेज रहा है इसकी जानकारी नहीं मिल सकी है। माना जा रहा है कि इजराइल-हमास जंग के चलते इलाके में जो मिलिट्री इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम लगाए गए हैं उसकी वजह से सिग्नल्स जाम हो रहे हैं और स्पूफिंग हो रही है।
सिस्टम को जाम होने से रोकने के रास्ते ढूंढ रहे
डीजीसीए ने एडवाइजरी जारी करते हुए कहा- एविएशन इंडस्ट्री नए खतरों और ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम जैमिंग और स्पूफिंग की रिपोर्टों के कारण अनिश्चितताओं से जूझ रही है। ये खतरनाक हो सकता है। नेविगेशन सिस्टम को जाम होने से रोकने के रास्ते ढूंढे जा रहे हैं।
कैसे की जा रही गड़बड़ी?
स्पूफिंग से मतलब सिग्नल में छेड़छाड़ कर उपयोगकर्ता की नेविगेशन प्रणाली में हेरफेर करने की कोशिश करना होता है। मध्य-पूर्व के कुछ हिस्सों में उड़ान भरने वाले विमानों को शुरू में एक नकली जीपीएस सिग्नल मिलता है जो गलत जानकारी देता है और वह विमान को अपने तय रास्ते से भटका देता है। ये सिग्नल काफी मजबूत होता है, जो कई बार विमान की सभी नेविगेशन प्रणाली को जाम कर देता है।
अब तक12 घटनाएं आईं सामने
मध्य-पूर्व में विमानों के जीपीएस में गड़बड़ी की अब तक करीब 12 घटनाएं सामने आई हैं। सबसे आखिरी मामला 20 नवंबर को तुर्की में अंकारा के पास दर्ज किया गया था। इसके अलावा सितंबर में ईरान के पास कई विमानों के नेविगेशन सिस्टम ने काम करना बंद कर दिया था। इस वजह से एक विमान बिना अनुमति के ईरानी हवाई क्षेत्र में प्रवेश कर गया था। पायलट और विमानन प्रणाली से जुड़े कई लोगों ने इस मुद्दे को उठाया है।
घटनाओं के पीछे की वजह स्पष्ट नहीं
डीजीसीए और बाकी विमानन प्राधिकरणों को इन घटनाओं के पीछे की वजह स्पष्ट नहीं है। हालांकि, माना जा रहा है कि मध्य-पूर्व में जारी संघर्ष की वजह से क्षेत्र में तैनात सैन्य उपकरणों की तरंगों की वजह से ऐसी घटनाएं हो रही हैं। इस तरह की घटनाओं के सबसे ज्यादा मामले उत्तरी इराक और अजरबैजान के एक व्यस्त हवाई मार्ग पर आए हैं। इराक के कुर्द के एरबिल के पास भी कई घटनाएं दर्ज की गई हैं।
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