सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को नहीं माना जा सकता सही, सभी पक्ष 27 तक लिखित में दें दलीलें

अडाणी-हिंडनबर्ग मामले पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार यानी आज हिंडनबर्ग रिसर्च और अडानी ग्रुप मामले की सुनवाई हुई। हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में किए गए खुलासे को लेकर याचिकाकर्ता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट को सत्‍य बयान के तौर पर नहीं मान सकते हैं। हमें ह‍िंडनबर्ग रिपोर्ट को तथ्‍यात्‍मक तौर से सही मानने की आवश्‍यकता नहीं है। सेबी इसकी जांच कर रही है। शीर्ष अदालत ने आगे कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट की सत्‍यता परखने का कोई साधन नहीं है, जिस कारण उसने सेबी से इस मामले की जांच करने को कहा है। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है। कोर्ट ने सोमवार 27 नवंबर तक सभी पक्षों से लिखित दलीलें मांगी हैं।

वहीं दूसरी ओर याचिका दायर करने वालों का कहना है कि बाजार नियामक सेबी की गतिविधियां संदिग्‍ध हैं, क्‍योंकि उनके पास 2014 से ही पूरी डिटेल है। उनका दावा है कि खुफिया निदेशालय ने 2014 में सेबी अध्यक्ष के साथ पूरी डिटेल शेयर किए थे। बता दें कि 24 जनवरी 2023 को अमेरिका की शॉर्ट-सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप लगाए गए थे। केस की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 6 सदस्यीय कमेटी बनाई थी।

पीठ ने पूछा- जांच पर संदेह के लिए क्या साक्ष्‍य हैं

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने याचिकाकर्ता से सवाल करते हुए कहा कि सेबी की जांच पर संदेह करने वाले साक्ष्य कहां हैं? यह सवाल तब कोर्ट ने किया जब याचिकाकर्ताओं ने कहा कि सेबी ने जांच पूरी कर ली है, लेकिन खुलासा नहीं किया है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम जांच से पहले ही सेबी की जांच का आंकलन कैसे कर सकते हैं।

सिर्फ 10 दिन की देरी हुई जांच में : सेबी

सेबी के सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि आवेदन दायर किया गया है, जो सेबी के सदस्‍यों के खिलाफ दावा करता है। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सेबी के खिलाफ एक अवमानना ​​​​याचिका दायर की गई थी, जिसे केवल 10 दिनों की देरी में जांच पूरी कर ली गई है।

कब आई थी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट

गौरतलब है कि 24 जनवरी को अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग ने गौतम अडानी की सभी कंपनियों को लेकर एक रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें कई गंभीर आरोप लगाए गए थे। वहीं अडानी ग्रुप ने इस रिपेार्ट को पूरी तरह से झूठ बताया था। इस रिपोर्ट के आने के बाद अडानी ग्रुप के सभी शेयरों में बड़ी तेजी से गिरावट आई थी और इनकी संपत्ति को भी तगड़ा नुकसान हुआ था। बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया और अब इस मामले की सुनवाई चल रही है।

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