सिर्फ 15 मीटर की ‘ड्रिलिंग’ बाकी, तैयार किए गए रास्ते में भेजा गया कर्मी बोला- सब ओके

सिलक्यारा सुरंग बचाव अभियान : शीघ्र ही काम फिर से होगा शुरू -एनडीएमए

नई दिल्ली। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने शुक्रवार को कहा कि उत्तराखंड में सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए मलबे के रास्ते ‘ड्रिलिंग’ के काम में बृहस्पतिवार से कोई और प्रगति नहीं हुई है। एनडीएमए के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल सेवानिवृत्त सैयद अता हसनैन ने कहा कि फंसे हुए श्रमिकों तक पहुंचने के लिए लगभग 15 मीटर की ‘ड्रिलिंग’ अभी भी बाकी है। बताया गया कि गुरुवार की रात खराब हुई मशीन में सुधार कार्य जारी है। इस बीच वहीं श्रमिकों को बचाने के लिए सुरंग में मलबे के बीच से 800 मिलीमीटर व्यास वाले स्टील पाइप का उपयोग करके बनाए गए रास्ते में एनडीआरएफ का एक कर्मी पहिये वाले स्ट्रेचर पर नीचे की ओर मुंह करके लेटकर अंदर गया। उस व्यक्ति ने वहां का जायजा लेकर बताया कि सांस लेने में कुछ दिक्कत नहीं है और सब कुछ ठीक है। श्रमिकों तक पहुंचते ही उन्हें निकाला जा सकता है।

एनडीएमए सदस्य ने यह भी कहा कि सभी श्रमिक सुरक्षित हैं और उनके रिश्तेदारों, केंद्रीय मंत्री वी. के. सिंह और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उनसे बात की है। हसनैन ने यह भी कहा कि केंद्रीय एजेंसियां और कई राज्य सरकारें बचाव कार्यों में सक्रिय रूप से शामिल हैं। यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था, जिससे उसमें काम कर रहे 41 श्रमिक फंस गए थे।

मीडिया समय सीमा की अटकलें न लगाएं

हसनैन ने बचाव अभियान का विवरण देते हुए उन्होंने कहा कि यदि किसी तरह की कोई बाधा नहीं आई तो ऑगर मशीन से एक घंटे में लगभग 4-5 मीटर तक की ‘ड्रिल’ की जा सकती है। हसनैन ने मीडिया को सलाह दी कि बचाव अभियान पूरा होने की समय सीमा के बारे में अटकलें न लगाएं, क्योंकि इससे गलत धारणा पैदा होती है। उन्होंने कहा, ‘‘यह एक कठिन और चुनौतीपूर्ण अभियान है।

स्ट्रेचर में कर्मी को भेजा गया तैयार रास्ते में

श्रमिकों को बचाने के लिए सुरंग में मलबे के बीच से 800 मिलीमीटर व्यास वाले स्टील पाइप का उपयोग करके एक रास्ता बनाया जा रहा है। एनडीआरएफ का एक कर्मी तैयार किये गए रास्ते में गया। वह पहिये वाले स्ट्रेचर पर नीचे की ओर मुंह करके लेटकर अंदर गया। उन्होंने बताया कि इस दौरान पाया गया कि पाइप के अंदर पर्याप्त जगह है और कर्मी को सांस लेने में कोई कठिनाई महसूस नहीं हुई।

12 से 15 मीटर और करना पड़ेगी ड्रिलिंग

रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान ऑगर मशीन में दिक्कत आने के बाद रुके काम को दोबारा शुरू कर दिया गया है। ड्रिल मशीन का प्लेटफॉर्म ठीक किया गया। मुड़े हुए पाइप को ठीक किया जा रहा है। अभी मजदूरों से 9 मीटर दूर है पाइप। बचावकर्मियों को दूसरी तरफ फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए मलबे के बीच से 12-14 मीटर और ड्रिलिंग करनी पड़ेगी।

आशान्वित हैं सुरंग में फंसे श्रमिक

अंतरराष्ट्रीय सुरंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने बताया कि ”सुरंग में फंसे हुए मजदूर सुरक्षित और स्वस्थ हैं, ऐसे में जल्दबाजी नहीं करना बहुत आवश्यक है। अगर हम इस तरह की स्थिति में जल्दबाजी करते हैं तो ऐसी चुनौतियां पैदा हो सकती हैं जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। उन्होंने कहा, ‘‘सुरंग में काम करने वाले लोग मानसिक रूप से दृढ़ होते हैं और वे आशान्वित हैं।

पाइप काटने वेल्डर टीम पाइप के अंदर गई

अब तक मिली जानकारी के मुताबिक, कंक्रीट को तेजी से सख्त करने के लिए एक्सेलेरेटिंग एजेंट का उपयोग करके ऑगर मशीन के प्लेटफॉर्म को मजबूत किया जाता है। मुड़े हुए पाइप को काटने के लिए वेल्डर की टीम पाइप के अंदर गई है। मुड़े हुए पाइप को काटने का काम जारी है। इसके तुरंत बाद ऑगर की रीअसेंबलिंग शुरू हो जाएगी।

पाइप के मुंह पर कुछ रुकावटें थीं

बचाव पर प्रधानमंत्री कार्यालय के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा, ”यह एक कठिन काम है, इसलिए इसमें समय लग रहा है। हम बरमा मशीन को उसकी नींव पर मजबूती से स्थापित करने में सक्षम हुए हैं। पाइप के मुंह पर कुछ रुकावटें थीं, जिन्हें हमें काटकर साफ़ करना था।

ड्रिल मशीन का प्लेटफॉर्म ठीक किया गया

रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान ऑगर मशीन में दिक्कत आने के बाद रुके काम को दोबारा शुरू कर दिया गया है। ड्रिल मशीन का प्लेटफॉर्म ठीक किया गया। मुड़े हुए पाइप को ठीक किया जा रहा है। अभी मजदूरों से 9 मीटर दूर है पाइप। बचावकर्मियों को दूसरी तरफ फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए मलबे के बीच से 12-14 मीटर और ड्रिलिंग करनी पड़ेगी।

सीएम धामी व केंद्रीय मंत्री सिंह रात भर रुके रहे

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल सेवानिवृत्त वीके सिंह भी बचाव कार्यों की देखरेख के लिए उत्तरकाशी में ही रूके हुए हैं। बुधवार शाम उत्तरकाशी पहुंचे धामी फिलहाल सिलक्यारा के निकट मातली में रह रहे हैं जहां उन्होंने अपना अस्थाई कैंप कार्यालय स्थापित किया है । जनरल सिंह उत्तरकाशी में स्थित नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में ठहरे हुए हैं ।

मोदी ने की सीएम धामी से फोन पर बात

उत्तरकाशी सुरंग बचाव पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बात की और रेस्क्यू ऑपरेशन के बारे में जानकारी ली जानकारी। पीएम ने टनल के अंदर फंसे मजदूरों का हाल और उन्हें दिए जाने वाले भोजन और रोजमर्रा की चीजों के बारे में भी जानकारी ली। राहत और बचाव कार्य में लगे कर्मियों की स्थिति और सुरक्षा के बारे में भी जानकारी ली गई।

ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल

उत्तरकाशी सुरंग बचाव अभियान में इस्तेमाल की जा रही ड्रोन तकनीक पर स्क्वाड्रन इंफ्रा माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड के एमडी और सीईओ सिरिएक जोसेफ ने कहा, “यह (ड्रोन) लेटेस्ट तकनीकों में से एक है जो सुरंग के अंदर जा सकता है। यह उन क्षेत्रों में भी जा सकता है जहां जीपीएस भी नहीं जाता है।

सुरंग में फंसे हुए मजदूर सुरक्षित और स्वस्थ

उत्तरकाशी सुरंग हादसे में फंसे हुए 41 श्रमिकों के लिए खाना पैक किया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय सुरंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने बताया कि सुरंग में फंसे हुए मजदूर सुरक्षित और स्वस्थ हैं, ऐसे में जल्दबाजी नहीं करना बहुत आवश्यक है। अगर हम इस तरह की स्थिति में जल्दबाजी करते हैं तो ऐसी चुनौतियां पैदा हो सकती हैं जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते।

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