सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के राज्यपाल से पूछा- तीन साल तक क्या किया

लंबित विधेयक मामले में सुप्रीम कोर्ट नाराज

विधानसभा से पारित विधेयकों को मंजूरी न देने पर जताई नाराजगी

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तमिलनाडु विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी न देने पर राज्यपाल आरएन रवि पर कड़ी नाराजगी जताई। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्यपाल से पूछा, ये विधेयक 2020 से लंबित हैं, आप 3 साल से क्या कर रहे थे? तमिलनाडु सरकार की ओर कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया कि राज्यपाल के पास 12 विधेयक लंबित हैं, जिनमें से 10 विधेयक राज्यपाल ने वापस लौटा दिए हैं। मामले में अलगी सुनवाई 1 दिसंबर को होगी।

सीजेआई की पीठ ने कहा, मुद्दा ये नहीं है कि क्या किसी विशेष राज्यपाल ने देरी की, बल्कि ये है कि क्या सामान्य तौर पर संवैधानिक कार्यों को करने में देरी हुई है? उन्होंने कहा, क्या कोई राज्यपाल किसी विधेयक को विधानसभा में वापस भेजे बिना उसे रोक सकता है? राज्यपाल को विधेयकों को मंजूरी देने के लिए कोर्ट के आदेश का इंतजार क्यों करना पड़ रहा है?

कोर्ट के आदेश के बाद आपने लिया निर्णय : सीजेआई

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, राज्यपाल ने 10 नवंबर को तमिलनाडु सरकार द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी होने के बाद ही 10 विधेयकों को सरकार को वापस लौटा दिया। उन्होंने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से पूछा, राज्यपाल ने 13 नवंबर को इन विधेयकों का निपटारा कर दिया। ये विधेयक जनवरी, 2020 से लंबित हैं। इसका मतलब है कि राज्यपाल ने कोर्ट के आदेश के बाद निर्णय लिया। आखिर राज्यपाल 3 साल तक क्या कर रहे थे?

राज्यपाल की ओर से वेंकटरमणी ने रखा पक्ष

राज्यपाल की ओर पेश अटॉर्नी जनरल वेंकटरमणी ने पीठ से कहा, विवाद केवल उन विधेयकों से संबंधित है, जो राज्य-संचालित विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति से संबंधित राज्यपाल की शक्तियों को छीनने का प्रयास करते हैं। चूंकि यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, इसलिए कुछ पुनर्विचार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, वर्तमान राज्यपाल ने नवंबर, 2021 में ही पदभार संभाला है। कोर्ट द्वारा सरकार की याचिका पर नोटिस जारी करने के बाद राज्यपाल ने कुछ विधेयकों को पारित भी किया है।

काफी समय से है राज्यपाल व सरकार में टकराव

ये पहली बार नहीं है जब तमिलनाडु सरकार और राज्यपाल किसी मुद्दे को लेकर आमने-सामने आए हैं। पिछले कई महीनों से दोनों के बीच टकराव जारी है। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त राज्यपाल रवि के बीच लंबित विधेयकों, स्टालिन की विदेश यात्राओं और सरकार के द्रविड़ मॉडल को लेकर भिड़ंत हो चुकी है। इस साल शुरुआत में एक कार्यक्रम में राज्यपाल की टिप्पणी को लेकर भी खूब हंगामा हुआ था।

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