-लगातार होती जा रही है हवा जहरीली
नई दिल्ली। दिल्ली में प्रदूषण का स्तर शुक्रवार की सुबह बेहद जहरीले स्तर पर रहा और शहर के कई हिस्सों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 400 से अधिक रहा। राजधानी की बेहद प्रदूषित हवा ने एक बार फिर अटकलें तेज कर दी हैं कि यहां की आप सरकार यातायात प्रबंधन के लिए ऑड-ईवन नियम वापस लाएगी। ऑड-ईवन यातायात प्रबंधन नियम 13 नवंबर से 10 दिनों के लिए लागू होने वाला था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसे ‘महज दिखावा’ करार दिए जाने और 12 नवंबर को दिवाली से पहले के दिनों में एक्यूआई में थोड़ा सुधार होने के बाद योजना को रद्द कर दिया गया था। लेकिन दिवाली के बाद हवा की गुणवत्ता एक बार फिर खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है।
0 और 50 के बीच AQI को अच्छा, 51 और 100 के बीच संतोषजनक, 101 और 200 के बीच मध्यम, 201 और 300 के बीच खराब, 301 और 400 के बीच बहुत खराब, 401 और 450 के बीच गंभीर और 450 से ऊपर बेहद गंभीर माना जाता है।
वाहनों का उत्सर्जन
दिल्ली की प्रदूषित हवा के लिए दोष का एक बड़ा हिस्सा वाहनों के उत्सर्जन पर लगाया गया है और ऑड-ईवन नियम इसी को लक्ष्य बनाना चाहता है। दिल्ली सरकार और आईआईटी-कानपुर की एक जॉइन्ट प्रोजेक्ट में पाया गया है कि दिल्ली में कुल प्रदूषण स्तर में वाहन उत्सर्जन का योगदान लगभग 38 प्रतिशत है। लेकिन अभी तक इस बात का कोई निर्णायक सबूत नहीं है कि ऑड-ईवन नियम वास्तव में प्रदूषण के स्तर को कम करता है, जो कथित तौर पर आसपास के राज्यों में पराली जलाने और प्रतिकूल मौसम और हवा की स्थिति जैसे कारकों के कारण भी बढ़ता है।
राय ने दिया था संकेत
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय पहले ही संकेत दे चुके हैं कि प्रदूषित हवा को देखते हुए दिल्ली के लिए ऑड-ईवन नियम पर फिर से विचार किया जा सकता है। खासकर अगर AQI 450 के स्तर को पार करता है। इस बीच, ग्रैप IV उपाय लागू हैं, जो अन्य कारकों के अलावा, दिल्ली में बीएस 3 पेट्रोल और बीएस 4 डीजल वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाते हैं। हालांकि, ऐसी रिपोर्टें हैं जो इस बात पर रोशनी डालती हैं कि प्रतिबंध जमीनी स्तर पर प्रभावी नहीं है। दिल्ली सरकार ने प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने के तरीकों पर गौर करने के लिए छह सदस्यीय टास्क फोर्स का भी गठन किया है। लेकिन आलोचकों का तर्क है कि प्रभावी समाधान गायब हैं।
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