‘पश्चिम एशिया में उभर रहीं नई चुनौतियां, हमारा एकजुट रहना जरूरी’

-वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा

नई दिल्ली। जी-20 की मेजबानी के बाद भारत की कूटनीति में ग्लोबल साउथ समिट काफी अहम माना जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दूसरी वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने ग्लोबल साउथ के देशों के लिए एक ग्लोबल केंद्र का उद्घाटन किया, जिसका नाम दक्षिण रखा। पीएम ने बताया कि इस केंद्र का प्रस्ताव उन्होंने वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट के पहले चरण यानी जनवरी में रखा था। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दूसरे वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट के उद्घाटन सत्र में कहा, ‘मैंने पहले सम्मेलन के दौरान ग्लोबल साउथ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना का प्रस्ताव दिया था। मुझे खुशी है कि दक्षिण विकास और ज्ञान साझा करने की पहल ग्लोबल साउथ सेंटर फॉर एक्सीलेंस का आज उद्घाटन किया जा रहा है।’

दुनिया का सबसे अनूठा मंच

पीएम मोदी ने कहा कि वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ 21वीं सदी की बदलती हुई दुनिया का सबसे अनूठा मंच है। भौगोलिक रूप से ग्लोबल साउथ हमेशा से रहा है, लेकिन उसे इस प्रकार से आवाज पहली बार मिल रही है। ये हमारे साझा प्रयासों से हो पाया है। हम 100 से ज्यादा अलग-अलग देश हैं, लेकिन हमारे हित समान हैं, हमारी प्राथमिकताएं समान हैं।

जी-20 की अध्यक्षता संभाली

उन्होंने आगे कहा, ‘पिछले साल दिसंबर में जब भारत ने जी-20 की अध्यक्षता संभाली तब हमने इसमें ग्लोबल साउथ के देशों की आवाज को आगे बढ़ाना अपनी प्राथमिकता मानीं। इसके साथ ही भारत मानता है कि नई टेक्नोलॉजी नॉर्थ और साउथ के बीच दूरियां बढ़ाने का नया स्त्रोत नहीं बनना चाहिए।’

बातचीत और कूटनीति पर जोर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘हम सभी देख रहे हैं कि पश्चिम एशिया क्षेत्र की घटनाओं से नई चुनौतियां उभर रही हैं। भारत ने सात अक्तूबर को इजराइल में हुए आतंकी हमले की निंदा की है। हमने संयम भी बरता है। हमने बातचीत और कूटनीति पर जोर दिया है। हम इजराइल और हमास के बीच संघर्ष में नागरिकों की मौत की भी कड़ी निंदा करते हैं। फलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास से बात करने के बाद हमने फलस्तीन के लोगों को मानवीय सहायता भी भेजी है। यह वह समय है जब ग्लोबल साउथ के देशों को व्यापक वैश्विक भलाई के लिए एकजुट होना चाहिए।’

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ग्लोबल साउथ की बढ़ती भूमिका पर लगाया जा रहा अवरोध’ : जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ग्लोबल साउथ के देशों से आर्थिक सांद्रता की तुलना में कमजोरियों को कम करने के लिए आत्मनिर्भरता की दिशा में काम करने का आह्वान किया। उन्होंने कोविड-19 के समय को याद किया। विदेश मंत्री ने कहा कि कोविड -19 का समय दूर-दराज के भौगोलिक क्षेत्रों पर बुनियादी आवश्यकताओं के लिए निर्भरता के खतरों की याद दिलाता है, इसलिए आत्मनिर्भरता की दिशा में काम करने की जरूरत है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने जी-20 की भारत की अध्यक्षता की उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला और बताया कि कैसे इसने ग्लोबल साउथ या विकासशील देशों के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए ईमानदारी से काम किया। जयशंकर ने कहा, ‘नई दिल्ली के नेताओं के घोषणापत्र को ग्लोबल साउथ की वास्तविक और गंभीर चिंताओं पर जी-20 का ध्यान वापस लाने के लिए याद किया जाएगा।’ उन्होंने कहा कि दस्तावेज मजबूत, सतत, संतुलित और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा संदेश है। विदेश मंत्री ने कोई विशेष संदर्भ दिए बिना कहा कि वर्तमान समय के प्रमुख मुद्दों को सुलझाने में ग्लोबल साउथ की बढ़ती भूमिका पर अवरोध लगाया जा रहा है।

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