बेटी को मौत से बचाने यमन जाने देने की मांग

-मां की याचिका पर अदालत ने केंद्र से मांगा जवाब

(फोटो : बेटी)

नई दिल्ली। केरल की एक महिला ने अपनी बेटी को मौत की सजा से बचाने के लिए यमन जाने देने की मांग की है। महिला की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। बता दें कि महिला की बेटी को यमन में वहां के एक नागरिक की हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई है। महिला अपनी बेटी को बचाने की कोशिश करना चाहती है और इसके लिए वह यमन जाना जाने की तैयारी कर रही है। हालांकि यमन जाने पर भारत सरकार ने प्रतिबंध लगाया हुआ है। जिसके कारण महिला को यमन जाने में परेशानी हो रही है।

बेटी पर यमन में हत्या का आरोप

महिला की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश सुब्रमण्यम प्रसाद ने केंद्र के वकील से दो हफ्ते में यथास्थिति को लेकर रिपोर्ट देने को कहा है। कोर्ट अब 16 नवंबर को इस मामले पर सुनवाई करेगा। बता दें कि यह याचिका प्रेमा कुमारी ने दायर की है, जिनकी बेटी निमिषा प्रिया यमन की जेल में बंद है। निमिषा पेशे से नर्स है और नौकरी के सिलसिले में यमन गई थी। निमिषा पर आरोप है कि उसने साल 2017 में यमन के रहने वाले तलाल अब्दो माहदी को दवाई की ओवरडोज देकर मार डाला था। दरअसल निमिषा का पासपोर्ट तलाल के पास जमा था और पासपोर्ट पाने के लिए ही निमिषा प्रिया ने तलाल को दवाई की ओवरडोज देकर मार डाला। साल 2020 में निमिषा को मौत की सजा सुनाई गई। सुनवाई के दौरान निमिषा ने कोर्ट को बताया कि तलाल ने फर्जी दस्तावेज बनाकर उसे अपनी पत्नी साबित कर दिया था और उसे प्रताड़ित करता था। निमिषा भागकर भारत ना आ जाए, इसके लिए तलाल ने निमिषा का पासपोर्ट अपने पास रख लिया था।

मां ने मांगी सरकार से मदद

निमिषा को बचाने का अब एकमात्र तरीका तलाल के परिवार को उसकी हत्या के बदले में ब्लड मनी देकर निमिषा की सजा माफ कराने का ही है। यही वजह है कि प्रेमा कुमारी ने यमन जाने देने के लिए सरकार से मदद मांगी है और साथ ही भारत सरकार से तलाल के परिजनों से मुलाकात की व्यवस्था कराने और कूटनीतिक प्रयास करने की भी मांग की है। इससे पहले निमिषा को बचाने के लिए बीते साल ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ ने भी हाईकोर्ट में याचिका दायर कर निमिषा को बचाने के लिए कूटनीतिक हस्तक्षेप और ब्लड मनी देने की मांग की गई थी। हालांकि हाईकोर्ट ने बल्ड मनी के लिए भारत सरकार को बातचीत के लिए निर्देश देने से मना कर दिया।

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