चीन की बीआरआई परियोजना का भारत ने फिर किया विरोध

  • जयशंकर बोले- संप्रभुता-क्षेत्रीय अखंडता का हो सम्मान

(फोटो : जयशंकर)

नई दिल्ली। भारत ने एक बार फिर चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड पहल (बीआरआई) का समर्थन करने से इनकार कर दिया, जिससे वह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में एकमात्र ऐसा देश बन गया जिसने अरबों डॉलर की इस बुनियादी ढांचा परियोजना का समर्थन नहीं किया है। एससीओ के शासनाध्यक्षों की परिषद की 22वीं बैठक के अंत में जारी संयुक्त विज्ञप्ति में कहा गया, ईरान, कजाखस्तान, किर्गिज गणराज्य, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के प्रति अपने समर्थन की फिर से पुष्टि की है। इसमें कहा गया है कि उन्होंने यूरेशियन आर्थिक संघ और बीआरआई के विकास को संरेखित करने के प्रयासों सहित इस परियोजना को संयुक्त रूप से लागू करने के लिए चल रहे काम पर ध्यान दिया। जुलाई में नई दिल्ली द्वारा आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान भारत ने बीआरआई का समर्थन नहीं किया था, जबकि अन्य सदस्यों ने परियोजना का समर्थन किया था।

पीओके से है रास्ता

भारत ने 60 अरब डॉलर की लागत वाले चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को लेकर भी चीन के समक्ष विरोध जताया है क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से होकर गुजर रहा है। बिश्केक में शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि एससीओ सदस्यों को अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का सख्ती से पालन करते हुए, एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करते हुए और आर्थिक सहयोग को प्रोत्साहित करके क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।

एक और आर्थिक गलियारा

जयशंकर ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा और अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा समृद्धि बढ़ाने वाला बन सकता है। भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा जिसकी घोषणा अमेरिका, भारत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ के नेताओं ने सितंबर में जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर संयुक्त रूप से की थी।

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