00 सिम्स की बदहाली छुट्टी के दिन हाईकोर्ट में सीजे की डिवीजन बेंच ने की सुनवाई
00 कलेक्टर की रिपोर्ट पर जताई नाराजगी, कहा- एसीएस 2 दिन विजिट कर बनाएं रिपोर्ट
बिलासपुर। सिम्स की बदहाली पर स्वत: संज्ञान लेकर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा ने कलेक्टर से प्राप्त रिपोर्ट पर सख्त नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि वीडियोग्राफी और रिपोर्ट में जमीन आसमान का अंतर है। हाईकोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि एडिशनल चीफ सेक्रेटरी स्वयं 2 दिन सिम्स जाकर रिपोर्ट दें।हाईकोर्ट ने तीन कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति करते हुए अलग से रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।
सिम्स की बदहाल स्थिति पर अवकाश के दिन डिवीजन बेंच की सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता मौजूद थे। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिंह ने सबसे पहले कलेक्टर की रिपोर्ट का अवलोकन किया। रिपोर्ट देखते ही उन्होंने कहा कि कलेक्टर को सिम्स इसलिए भेजा गया था कि वहां की वास्तविक स्थिति की रिपोर्ट मिल सके, लेकिन उनके द्बारा दी गई रिपोर्ट और वीडियोग्राफी में जमीन आसमान का अंतर है। कोर्ट ने कलेक्टर के निरीक्षण के दौरान बनाए गए वीडियो को देखते हुए कहा कि इस रिपोर्ट में 16 नंबर पाइंट है, जिसमें सुरक्षा और सफाई की जिम्मेदारी बुंदेला सिक्यूरिटी सर्विस की बताई गई है। निरीक्षण में बदहाली दिखी इसलिए ठेका कंपनी को सफाई व्यवस्था दुरूस्त करने के निर्देश दिए गए हैं। चीफ जस्टिस सिन्हा ने कहा कि निर्देश क्यों ? वो इतने साल से ठेका चला रहे हैं, उनसे व्यवस्था सुधरती नहीं है क्या? कोर्ट ने कहा कि सिम्स को प्राइवेट हॉस्पिटल तो नहीं बना सकते, कम से कम उसका एक चौथाई तो बना दें।
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि कलेक्टर की रिपोर्ट से कोर्ट संतुष्ट नहीं है। सिम्स एक मेडिकल कॉलेज है। इतनी बड़ी बिल्डिंग है, यहां प्रतिदिन 2500 से अधिक लोग आते हैं लेकिन व्यवस्था के नाम पर यहां कुछ भी नहीं है। संसाधन होने के बाद भी उसका फायदा मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। हाईकोर्ट ने एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को व्यक्तिगत रूप से 26 व 27 अक्टूबर को सिम्स जाकर निरीक्षण करने और रिपोर्ट कोर्ट में सबमिट करने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई 1 नवंबर को रखी गई है।
कोर्ट कमिशनर भी देंगे अलग रिपोर्ट
चीफ जस्टिस ने तीन कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करते हुए उन्हें भी अलग से रिपोर्ट बनाने के निर्देश दिए हैं।इनमें एडवोकेट अपूर्व त्रिपाठी, संघर्ष पांडेय और एक महिला अधिवक्ता सुश्री सूर्या कवलकर डांगी शामिल हैं। ये सभी सिम्स में जाकर वहां की मशीनों की स्थिति को देखकर रिपोर्ट बनाकर कोर्ट में सबमिट करेंगे। इसके लिए टेक्निकल एक्सपर्ट भी रखने कहा गया है जिससे यह स्पष्ट हो सके की कितनी मशीन बंद हैं और कितनी चल रही हैं।
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शिकायत बॉक्स में लगा जंग, कभी खुलता ही नहीं
कलेक्टर की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि सिम्स में पूर्व में एक पीआईएल की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के निर्देश पर शिकायत बॉक्स लगाया गया था।इस शिकायत बॉक्स में जंग लग चुका है और इसे कभी खोला ही नहीं गया। उस वक्त निर्देश में कहा गया था कि जो लोग सामने आकर शिकायत नहीं करना चाहते वह शिकायत बॉक्स में अपनी शिकायत डाल दें, जिस पर कार्रवाई की जा सके लेकिन इसका कभी सदुपयोग नहीं हुआ।
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हटाए गए अधीक्षक डा. नायक की नियुक्ति
हाईकोर्ट की पहली सुनवाई में चीफ जस्टिस ने डीन की अनुपस्थिति में मौजूद एम एस डॉ शिंदे की फिटनेस को देखते हुए नाराजगी जाहिर की थी। इसके बाद उन्हें हटा दिया गया। अब डॉ.सुजीत नायक को एमएस बनाया गया है।
हाईकोर्ट में जानकारी दी गई है कि डॉक्टर नायक की नियुक्ति रेगुलर है। उधर सिम्स के सूत्र बताते हैं कि आज तक सिम्स में रेगुलर एम एस की नियुक्ति ही नहीं की गई है। यह पद हमेशा से प्रभार पर चल रहा है और आज तक इसके लिए डीपीसी भी नहीं हुई है।
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