- इसरो प्रमुख ने तैयारियों को लेकर दी जानकारी
- इसके बाद तीन और परीक्षण वाहन मिशन आयोजित करेगा इसरो
(फोटो : सोमनाथ)
नई दिल्ली। इसरो के बहुप्रतिक्षित गगनयान मिशन को लेकर जोरदार तैयारियां जारी है। मिशन को लेकर इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि मिशन की पहली टीवी-डी1 परीक्षण उड़ान 21 अक्तूबर को आयोजित की जाएगी। इसके बाद इसरो तीन और परीक्षण वाहन मिशन आयोजित करेगा। बता दें, 21 अक्तूबर आयोजित पहली परीक्षण उड़ान के परिणामों के आधार पर बाकी परीक्षण किए जाएंगे। इन परीक्षण में क्रू मॉड्यूल को परखा जाएगा, जिसमें क्रू एस्केप प्रणाली भी शामिल है। गगनयान का यह हिस्सा तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाने में उपयोग होगा।
वापसी में बंगाल की खाड़ी में उतारा जाएगा मॉड्यूल
केंद्रीय विज्ञान, तकनीक व अंतरिक्ष राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह के अनुसार, यह परीक्षण श्री हरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से होगा। इसमें क्रू मॉड्यूल की उड़ान, उसे वापस उतारने और समुद्र से रिकवर करने की प्रक्रियाएं शामिल होंगी। मॉड्यूल को वापसी में बंगाल की खाड़ी में उतारा जाना है। इसे भारतीय नौसेना रिकवर करेगी। इसके लिए नौसैनिकों का गोताखोर दल बनाया गया है, एक जहाज को भी तैयार किया गया। चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग और सूर्य के लिए आदित्य यान एल1 के सफल प्रक्षेपण के बाद गगनयान मिशन भारत को खगोल विज्ञान पर काम कर रहे अग्रणी देशों में शामिल करवा सकता है।
क्रू-एस्केप से बचेगा जीवन
इसरो ने बताया था कि फ्लाइट टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन1 की तैयारियां जारी हैं। मिशन में किसी अनहोनी की दशा में अंतरिक्ष यात्रियों को बचाने में यह क्रू-एस्केप प्रणाली काम आएगी। उड़ान भरते समय अगर मिशन में गड़बड़ी हुई तो यह प्रणाली क्रू मॉड्यूल के साथ यान से अलग हो जाएगी, कुछ समय उड़ेगी और श्रीहरिकोटा से 10 किमी दूर समुद्र में उतरेगी। इसमें मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को नौसेना की ओर से समुद्र से सुरक्षित वापस लाया जाएगा।
अगले साल भेजा जा सकता है गगनयान
गगनयान भारत का पहला अंतरिक्ष मिशन है, इसे अगले साल के आखिर या 2025 की शुरुआत तक भेजा जा सकता है। 2024 में मानव रहित परीक्षण उड़ान होगी, जिसमें एक व्योममित्र रोबोट भेजा जाएगा।
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