उद्घाटन से पहले निर्माणाधीन राम मंदिर के गर्भगृह में पहली आरती

  • राम मंदिर ट्रस्ट ने जारी किया वीडियो

(फोटो : राम मंदिर)

अयोध्या। श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र की ओर से राम मंदिर निर्माण की प्रगति दर्शाने वाली तस्वीरें अथवा वीडियो प्रायः सोशल मीडिया पर साझा की जाती है। इससे अलग गुरुवार को रामलला के निर्माणाधीन दिव्य मंदिर के गर्भगृह में आरती का वीडियो पहली बार जारी किया गया। इस वीडियो को लोग आश्चर्य मिश्रित भाव से देखते रहे। उन्हें समझ में नहीं आया कि उद्घाटन से पहले ही मंदिर में आरती क्यों और कैसे हो रही है। श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र महासचिव चंपत राय इसका जवाब देते हैं कि भारत ही नहीं दुनिया में राम मंदिर लाखों है लेकिन श्रीरामजन्म भूमि एक ही है और वह अयोध्या में है। यह वही स्थान है जहां रामलला का प्राकट्य हुआ।

भूमि के लिए संघर्ष

रामलला की इस प्राकट्य भूमि का सनातन काल से महत्व रहा है। यही कारण है कि बीते पांच सालों से इस भूमि के लिए संघर्ष हुआ। अयोध्या का पूरी प्रमाणिकता से इतिहास लेखन करने वाले अमावां राम मंदिर ट्रस्ट के सचिव एवं पूर्व आईपीएस अधिकारी आचार्य किशोर कुणाल बताते हैं कि ब्रिटिश कमिश्नर से लेकर गर्वनरों तक व मुगल कालीन इतिहासकारों ने भी माना कि यह वह पवित्र भूमि हैं, जहां प्रत्येक राम नवमी के अवसर पर देश के विभिन्न हिस्सों से लाखों श्रद्धालु आकर माथा टेकते थे। आइने अकबरी में भी इसका जिक्र बहुत साफ लफ्जों में किया गया है।

सुबह व शाम दोनों समय आरती-पूजा

रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येन्द्र दास बताते हैं कि 22/23 दिसम्बर 1949 को रामलला के प्राकट्य के बाद से उस स्थान पर पर आरती-पूजा कभी बंद ही नहीं हुई। उन्होंने बताया कि छह दिसम्बर 1992 को विवादित ढांचे के ध्वंस के बाद भी रामलला वहीं विराजमान थे, तब भी टेंट में उनकी पूजा अर्चना चल रही थी। पुनः सुप्रीम फैसले के बाद जब राम मंदिर निर्माण की बारी आई तो प्रश्नगत स्थल का सबसे पहले समतलीकरण होना था। इसीलिए नया अस्थाई भवन बनाकर 25 मार्च 2020 को रामलला को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में यहां प्रतिष्ठित कराया गया। उस समय निर्धारित स्थल को चिह्नित कर वहां भगवान ध्वज लगा दिया गया था जो आज भी मौजूद है, उस ध्वज के स्थान पर नियमित रूप से सुबह रामलला की आरती के बाद एक पुजारी व एक कर्मचारी जाते हैं और आरती-पूजा कर भोग लगाते हैं। इसी सायं आरती के बाद भी वहां पुजारी जाकर आरती-पूजा करते हैं।

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