सीबीआई-एनआईए ने मणिपुर में मनमानी के आरोपों का किया खंडन
इंफाल। एनआईए और सीबीआई ने मणिपुर के आदिवासी समूह की ओर लगाए गए मनमानी के आरोपों का खंडन किया है। केंद्रीय एजेंसियों ने सोमवार को कहा कि जातीय संघर्ष का सामना कर रहे अशांत राज्य में की जाने वाली हर गिरफ्तारी जांच टीमों के द्वारा जुटाए गए सबूतों पर आधारित है। जांच एजेंसियों ने कहा कि जातीय हिंसा के माहौल में यहां काम कर रहे एनआईए और सीबीआई के अधिकारियों को 2015 में सैन्यकर्मियों पर हमले सहित विभिन्न मामलों में जांच पूरी करने की कठिन चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। मनमानी के आरोप इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फ्रंट (आईटीएलएफ) की ओर से लगाए गए हैं। यह संगठन मणिपुर की पहाड़ियों के कुकी समुदाय प्रतिनिधित्व करने का दावा करता है। दोनों एजेंसियों के अधिकारियों ने इसके आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि किसी भी समुदाय, धर्म या संप्रदाय के खिलाफ कोई पक्षपात नहीं दिखाया गया है और केवल भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की नियम पुस्तिका का पालन किया गया है।
‘मणिपुरी छात्रों के मामले में सबूतों पर आधारित थीं गिरफ्तारियां’
अधिकारियों ने बताया कि इसी तरह सीबीआई ने रविवार को जो गिरफ्तारियां कीं, वे दो लापता मणिपुरी छात्रों के मामलों की जांच के दौरान एकत्र किए गए प्रारंभिक सबूतों पर आधारित थीं। उन्होंने बताया कि सीबीआई, मणिपुर पुलिस और सेना के संयुक्त अभियान में चारों को गिरफ्तार किया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कानून-व्यवस्था के लिए कोई प्रतिकूल स्थिति न हो। मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मैतई समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए गए थे। इसके बाद तीन मई को जातीय झड़पें शुरू हुईं। इसमें 180 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हो चुके हैं।
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