–मणिपुर आईटीएलएफ ने भी निकाली रैली
—
इंफाल। मणिपुर की राजधानी इंफाल में दो छात्रों के अपहरण और हत्या के विरोध में बुधवार को लगातार दूसरे दिन हजारों छात्रों ने शहर के केंद्र की ओर कूच करते हुए रैलियां निकाली। वहीं, कुकी समुदाय के शीर्ष संगठन ‘इंडीजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम’ (आईटीएलएफ) की महिला इकाई ने मणिपुर में करीब पांच महीने से जारी जातीय हिंसा के दौरान आदिवासी महिलाओं से दुष्कर्म और हत्या मामले की सीबीआई से जांच कराने का आदेश देने में विलंब के खिलाफ चुराचांदपुर में प्रदर्शन किया। इंफाल घाटी में प्रदर्शन और हिंसा की आशंका को देखते हुए मणिपुर पुलिस, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और आरएएफ के कर्मियों को तैनात किया गया है। एक छात्र नेता थोकचोम खोगेंद्र सिंह ने कहा, हम साथी छात्रों के अपहरण तथा हत्या के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं और हमने सभी से विरोध स्वरूप काले बैज पहनने को कहा है। विभिन्न स्थानों से मार्च कर रहे युवकों और युवतियों को नारे लगाते हुए देखा गया। उनमें से कई ने जुलाई में लापता हुए दो छात्रों की हत्या के विरोध में तख्तियां और उनके शवों की तस्वीरें ली हुई थी जो हाल में सोशल मीडिया पर सामने आयी थीं। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि वे स्थिति पर नजर रख रहे हैं। वहीं, आईटीएलएफ की महिला इकाई की संयोजक मैरी जोन ने पूछा कि कुकी महिलाओं की हत्या और दुष्कर्म की जांच शुरू क्यों नहीं की गयी है। उन्होंने कहा, यह रैली उन दो युवाओं की हत्या मामले में सीबीआई की त्वरित कार्रवाई के खिलाफ है जो एक-दूसरे से प्यार करते थे और घर से भाग गए थे। आदिवासी महिलाओं से दुष्कर्म, उनकी निर्वस्त्र परेड कराने और हमारे पुरुषों की हत्या की कई घटनाएं हुई लेकिन कोई सीबीआई जांच नहीं कराई गई। मैरी जोन ने कहा, हमारे खिलाफ यह पक्षपात क्यों है? हम आदिवासियों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं की सीबीआई जांच की मांग करते हैं। यह रैली लमका पब्लिक ग्राउंड से शुरू हुई और तिपईमुख रोड तथा आई बी रोड से गुजरते हुए ‘वॉल ऑफ रिमेम्ब्रेंस’ तक पहुंची जहां जातीय हिंसा में मारे गए लोगों के डमी ताबूत रखे हुए थे। छह जुलाई से लापता दो छात्रों की हत्या के विरोध में प्रदर्शन कर रहे स्थानीय लोगों और आरएएफ कर्मियों के बीच मंगलवार रात को झड़प हो गयी जिसके बाद कानून प्रवर्तन अधिकारियों को प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े, लाठीचार्ज करना पड़ा और रबड़ की गोलियां चलानी पड़ी जिसमें 45 लोग घायल हो गए। घायलों में ज्यादातर छात्र हैं। इस बीच, मणिपुर पुलिस ने कहा कि सीआरपीएफ/आरएएफ ने प्रदर्शनकारियों से निपटते वक्त जातिवादी टिप्पणियां करने से इनकार किया है। यह स्पष्टीकरण एक वीडियो के सोशल मीडिया पर आने के बाद आया है जिसमें आरएएफ के एक कर्मी को कथित तौर पर यह कहते हुए सुना गया, यह हमारी जाति नहीं है, कुछ भी करो। सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने इस वीडियो की निंदा की है।
पुलिस ने मंगलवार रात सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, व्हाट्सएप समूहों/ट्विटर पर आए एक वीडियो में आरएएफ कर्मियों को हिंसक भीड़ से निपटते वक्त जातिवादी टिप्पणियां करते हुए दिखाया गया है। क्लिप में सुनायी दे रही आवाज आरएएफ कर्मियों की नहीं है। ऐसा लगता है कि वीडियो बनाने वाले व्यक्ति ने आरएएफ बलों की छवि बिगाड़ने के लिए अपनी आवाज में जानबूझकर जातिवादी टिप्पणियां रिकॉर्ड की। पुलिस ने कहा, यह कथित वीडियो आरएएफ कर्मियों को बदनाम तथा हतोत्साहित करने के लिए बनाया गया है जो पूरे समर्पण और ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। पुलिस ने कहा, आरएएफ कर्मी कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए इंफाल के विभिन्न हिस्सों में दिन और रात तैनात हैं। आरएएफ कर्मी न्यूनतम बल प्रयोग के सिद्धांत पर काम करते हैं। राज्य सरकार ने बुधवार को स्कूलों में अवकाश घोषित किया है लेकिन इंफाल के कुछ संस्थानों के छात्रों ने अपने स्कूल में एकत्रित होने का आह्वान किया।
—
कल सार्वजनिक अवकाश
राज्य सरकार ने कानून एवं व्यवस्था की स्थिति के मद्देनजर सभी स्कूलों में 27 और 29 सितंबर को सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है। 28 सितंबर को पैगंबर मोहम्मद की जयंती ईद-ए-मिलाद के अवसर पर राज्य में सार्वजनिक अवकाश है। झड़पों के बाद राज्य सरकार ने किसी भी तरह की भ्रामक सूचनाओं और अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए एक अक्टूबर को रात सात बजकर 45 मिनट तक इंटरनेट मोबाइल सेवाओं पर फिर से प्रतिबंध लगा दिया। राज्य में तीन मई को भड़की जातीय हिंसा के बाद इंटरनेट पर पाबंदी लगायी गयी थी और चार महीने से अधिक समय बाद इसे हटाया गया था।
—
हिंसा की ऐसे हुई शुरुआत
अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में जनजातीय एकजुटता मार्च के बाद तीन मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़क गई थी। हिंसा की घटनाओं में अब तक 175 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं मणिपुर की आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की आबादी लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी आदिवासियों की आबादी करीब 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।
—
इंफाल पहुंची सीबीआई की टीम
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा कि सीबीआई के विशेष निदेशक अजय भटनागर के नेतृत्व में एजेंसी के अधिकारियों की एक टीम यहां पहुंच गई है और उसने जुलाई में लापता हुए दो युवकों की हत्या मामले की जांच शुरू कर दी है। सिंह ने प्रेसवार्ता में कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें आश्वासन दिया कि दोनों युवकों का अपहरण और हत्या करने वालों को गिरफ्तार किया जाएगा और सजा दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा, इंफाल में उतरने के बाद, सीबीआई टीम ने जांच शुरू कर दी है। उन्होंने इस बारे में कोई विवरण साझा नहीं किया कि सीबीआई टीम जांच के लिए किन जगहों पर गई।
–
छह महीने के लिए बढ़ाया गया अफस्पा कानून
इधर, मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (अफस्पा) को छह महीने का विस्तार दिया गया, जबकि इम्फाल घाटी के 19 थानों और असम की सीमा से सटे एक इलाके को इस कानून के दायरे से बाहर रखा गया है। एक अधिसूचना में बुधवार को इसकी जानकारी दी गयी। एक आधिकारिक अधिसूचना में कहा गया है कि मणिपुर की मौजूदा कानून-व्यवस्था की स्थिति का विश्लेषण करने के बाद राज्य सरकार की राय है कि जमीनी स्तर पर विस्तृत मूल्यांकन करना वांछनीय नहीं है क्योंकि सुरक्षा एजेंसियां कानून-व्यवस्था बनाए रखने में व्यस्त हैं। मणिपुर के राज्यपाल ने 19 थाना क्षेत्रों में आने वाले इलाकों को छोड़कर, पूरे मणिपुर राज्य को एक अक्टूबर से छह महीने की अवधि के लिये ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित किया है। जिन थाना क्षेत्रों में यह कानून लागू नहीं किया गया है, उनमें इम्फाल, लांफेल, सिटी, सिंगजामेई, सेकमाई, लैमसांग, पास्टोल, वांगोई, पोरोम्पैट, हेंगांग, लामलाई, इरिबुंग, लीमाखोंग, थौबल, बिष्णुपुर, नंबोल, मोइरंग, काकचिन और जिरबाम शामिल हैं।
—
इधर, कांग्रेस बोली-सीएम से इस्तीफा लें पीएम
कांग्रेस ने मणिपुर में दो छात्रों के शवों की तस्वीर वाला वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित होने के बाद राज्य में पैदा हुए हालात को लेकर बुधवार को केंद्र और प्रदेश सरकार पर कानून-व्यवस्था की स्थिति संभालने में विफल रहने का आरोप लगाया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का इस्तीफा लेना चाहिए। मुख्य विपक्षी दल ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी मणिपुर की स्थिति को चुनौती के रूप में स्वीकारें और सर्वदलीय बैठक बुलाकर प्रदेश में शांति बहाली का प्रयास करें। मणिपुर में दो युवकों की हत्या के खिलाफ प्रदर्शन कर रही भीड़ पर मंगलवार को पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किए जाने के कुछ घंटे बाद मणिपुर सरकार ने अगले पांच दिनों के लिए इंटरनेट सेवाओं पर फिर से प्रतिबंध लगा दिया। इम्फाल घाटी में दो युवकों की हत्या के खिलाफ प्रदर्शन कर रही भीड़ पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया, जिसमें कई छात्र घायल हो गए। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, 147 दिनों से मणिपुर के लोग परेशान हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के पास राज्य का दौरा करने का समय नहीं है। इस हिंसा में छात्रों को निशाना बनाए जाने की भयावह तस्वीरों ने एक बार फिर पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है।
0000

