संयुक्त राष्ट्र में भारतीय मीडिया के सवालों से कन्नी काट गए ट्रूडो

  • निज्जर हत्याकांड से जुड़े आरोपों को भारत द्वारा खारिज करने पर किए गए थे सवाल

संयुक्त राष्ट्र। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने प्रमुख खालिस्तानी अलगाववादी नेता की हत्या में भारत की संलिप्तता के बारे में संसद में लगाए गए उनके आरोपों को भारत द्वारा खारिज किए जाने के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दिया। ट्रूडो संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्च स्तरीय 78वें सत्र में हिस्सा लेने के लिए संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय आए हैं। बुधवार को वह संयुक्त राष्ट्र परिसर में विशेष रूप से निर्मित एसडीजी पवेलियन में आयोजित जलवायु महत्वाकांक्षा शिखर सम्मेलन, यूक्रेन पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक और ‘ग्लोबल कार्बन प्राइसिंग’ विषय पर एक कार्यक्रम में शामिल हुए। संयुक्त राष्ट्र परिसर में दो अलग-अलग अवसरों और आयोजन स्थलों पर ‘पीटीआई-भाषा’ ने ट्रूडो से भारत द्वारा उनके आरोपों को खारिज करने को लेकर सवाल पूछा लेकिन उन्होंने इनका जवाब नहीं दिया और अपने सुरक्षाकर्मियों के साथ वहां से चले गए।

भारत का पलटवार

भारत ने कनाडा की संसद में दिए गए ट्रूडो के बयान को दृढ़ता से खारिज किया और कहा कि ‘‘कनाडा में किसी भी तरह की हिंसा में भारत सरकार की संलिप्तता के आरोप बेतुके और बेबुनियादी हैं”। ट्रूडो ने कनाडा की संसद में प्रतिबंधित खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) के प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर (45) की हत्या में ‘‘भारत सरकार के एजेंटों” की भूमिका का आरोप लगाया था। निज्जर भारत के सर्वाधिक वांछित आतंकवादियों में से एक था और उस पर 10 लाख रुपये का इनाम था। पश्चिमी कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर दो अज्ञात हमलावरों ने 18 जून को निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

चरम पर हैं दोनों देशों के बीच तनाव

हाल के महीनों में भारत और कनाडा के बीच द्विपक्षीय संबंध तनावपूर्ण रहे हैं। कारोबार वार्ता पटरी से उतर गई है और कनाडा ने हाल में व्यापार वार्ता भी रद्द कर दी। दोनों देशों के बीच बढ़ते राजनयिक विवाद के बीच भारत ने कनाडा में रह रहे अपने सभी नागरिकों और देश की यात्रा का विचार कर रहे लोगों को उत्तर अमेरिकी देश में बढ़ती घृणा अपराध और भारत विरोधी घटनाओं के मद्देनजर ‘‘अत्यंत सावधानी” बरतने की सलाह दी है। नयी दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने बेहद कड़े शब्दों में अपने परामर्श में भारतीय राजनयिकों और ‘‘भारत विरोधी एजेंडा” का विरोध करने वाले भारतीय समुदाय के एक वर्ग को निशाना बनाए जाने के ‘‘खतरे” का उल्लेख किया और ऐसी घटनाओं के मद्देनजर भारतीय नागरिकों को कनाडा की यात्रा करने से बचने को कहा।


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