-आईआईटी रुड़की ने एंटी टेररिज्म मिशन के लिए किया है तैयार
-इन ड्रोन्स का वजन है करीब 200 ग्राम
-30 मिनट तक लगातार एवं 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ने में सक्षम
(फोटो : नैनो ड्रोन)
जम्मू। आईआईटी रूड़की के तीन युवा इंजीनियर्स की टीम ने दो साल पहले रक्षा स्टार्टअप की शुरुआत की थी। इसने ‘कामीकेज’ यूएवी सहित नैनो ड्रोन के तीन एडिशन डेवलप किए हैं। इन ड्रोन का इस्तेमाल घुसपैठ रोधी और आतंकवाद रोधी अभियान में किया जा सकता है। स्टार्टअप ‘आईडीआर’ के सह संस्थापक मयंक प्रताप सिंह ने बताया कि यह पहली बार है जब इस देश में ही नैनो ड्रोन को विकसित किया गया है। उन्होंने कहा कि 2021 में स्टार्टअप स्थापित करने के महज दो साल के भीतर हमने नैनो ड्रोन के तीन संस्करण विकसित किए है। इनका इस्तेमाल सक्रिय रूप से सुरक्षा बलों के घुसपैठ रोधी और आतंकवाद रोधी अभियान में मदद के लिए किया जा रहा है।
ये है खासियत
सिंह ने बताया कि आईडीआर रिसर्च एंड डेवलपमेंट ने तीन स्वरूपों में दूत एमके1 ड्रोन को पेश किया है। इसे उत्तर-प्रौद्योगिकी संगोष्ठी में प्रस्तुत किया गया। यह संगोष्ठी हाल में परिचालन चुनौतियों के समाधान और सेना के लिए अत्याधुनिक उपकरणों की खरीद पर विचार विमर्श के लिए आयोजित की गई थी। उन्होंने बताया कि करीब 200 ग्राम के ये ड्रोन 30 मिनट तक लगातार एवं अधिकतम 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बिना अधिक शोर किए उड़ान भर सकते हैं। ड्रोन का एक संस्करण बाहरी क्षेत्र में अभियानों में मदद के लिए है, जबकि दूसरा संस्करण बंद स्थान के लिए है एवं तीसरा विस्फोटक संस्करण (कामीकेज) है।
आपात स्थिति में 10 सेकंड में तैनाती
सिंह के मुताबिक ये ड्रोन आपात स्थिति में महज 10 सेकेंड में तैनात किए जा सकते हैं। विस्फोटक से युक्त ड्रोन में एक बटन होता है जो धमाके के लिए इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने बताया कि इस ड्रोन में ऐसी प्रौद्योगिकी है जो दुश्मन के ठिकाने की पहचान कर वहां पर धमाका करती है। सिंह ने बताया कि यह दिसंबर में तैयार हो जाएगा। इसकाीरेंज 1.5 किलोमीटर है जबकि इंडोर या इमारत में इसे 200 से 300 मीटर तक संचालित किया जा सकता है। सेना ने इसकी 20 इकाई निर्मित कराई है।
भारतीय परिस्थितियों के लिए तैयार
इन नैनो ड्रोन पर मोटे तौर पर पांच से छह लाख रुपये का खर्च आएगा। सिंह ने कहा कि हमारे ड्रोन को खासतौर पर भारतीय परिस्थितियों के लिए तैयार किया गया है। ये ड्रोन ऊंचाई वाले इलाकों, रेगिस्तान और विभिन्न मौसमी परिस्थितियों में परीक्षण के दौरान कसौटी पर खरे उतरे हैं। उन्होंने कहा कि ये ड्रोन आंतवाद रोधी अभियान,सीमित क्षेत्र पर लड़ाई, इंडोर लड़ाई, खुफियागिरी, निगरानी आदि अभियानों के लिए आवश्यक हैं। भारत में इस समय जिन लघु ड्रोन का इस्तेमाल किए जा रहा है, वे अमेरिका में निर्मित ‘ब्लैक हॉर्नेट’ हैं।
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