वकीलों से कहा-कानूनी पेशा फलेगा-फूलेगा या खत्म होगा, ये आपकी ईमानदारी पर निर्भर
नागपुर। महात्मा गांधी मिशन विश्वविद्यालय में बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच और बॉम्बे हाईकोर्ट के एडवोकेट एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक प्रोग्राम में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने रविवार को कहा कि हम सबको मूर्ख बना सकते हैं, लेकिन खुद को नहीं। हमारा कानूनी पेशा फलेगा-फूलेगा या खत्म हो जाएगा, ये इस बात पर निर्भर करता है कि हम अपनी ईमानदारी बरकरार रखते हैं या नहीं। ईमानदारी कानूनी पेशे का मुख्य स्तंभ है। यह एक आंधी से नहीं मिटती है, यह छोटी-छोटी रियायतों और समझौतों से मिटती है जो एडवोकेट और जज कई बार अपने क्लाइंट को देते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने लॉ स्टूडेंट्स को सलाह दी कि जब आपके पास मौका हो तो दूसरों को ऊपर उठाएं। चाहे आप किसी भी तरह के वकील बनें, इस पेशे को और ज्यादा लचीला बनाने में मदद करें।
क्या खुद का आत्म विनाश कर लेंगे : चंद्रचूड़
सीजेआई ने कहा मेरा मानना है कि भारतीय कानूनी पेशे के सामने एक जरूरी चुनौती समान अवसर वाला पेशा बनाना है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आज की कानूनी पेशे की संरचना इसे 30 या 40 साल बाद परिभाषित करेगी। हम सभी अपने विवेक के साथ सोते हैं। यह हर रात सवाल पूछता रहता है। हम या तो ईमानदारी के साथ जिंदा रहेंगे या खुद का आत्म-विनाश कर लेंगे।
वकीलों को तब सम्मान मिलता है जब…
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि वकीलों को तब सम्मान मिलता है जब वे न्यायाधीशों का सम्मान करते हैं और न्यायाधीशों को तब सम्मान मिलता है जब वे वकीलों का सम्मान करते हैं। यह तब होता है जब दोनों को लगता है कि दोनों न्याय के एक ही पहिए के हिस्से हैं।
न्यायपालिका में महिलाओं के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि लिंग अकेले महिला का मुद्दा नहीं है और यह समान रूप से पुरुष का भी मुद्दा है।
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