- अगर शिक्षक रिलीव हो गए हैं तो न नई जगह और न ही पुरानी जगह ज्वाइन कर सकेंगे
- यदि शिक्षक रिलीव नहीं हुए हैं तो पुरानी जगह पर काम कर सकते हैं, रहेगी यथास्थिति
बिलासपुर। शिक्षक प्रमोशन पोस्टिंग मामले में हाईकोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। इसके मुताबिक दोनों पक्ष केस की सुनवाई होते तक जहां हैं, वहीं रहेंगे। ध्यान रहे कि शिक्षक पदोन्नति पोस्टिंग के केस में हाईकोर्ट ने 11 सितंबर को ये आदेश जारी किया था। बुधवार को हाईकोर्ट ने मामले में अन्य याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए स्थिति को साफ किया है। इसके मुताबिक अगर शिक्षक रिलीव हो गए हैं तो न नई जगह ज्वाइन कर सकेंगे और न ही पुरानी जगह ज्वाइन कर सकेंगे अर्थात रिलीव ही रहेंगे। हालांकि उनका प्रमोशन ऑर्डर कैंसिल नहीं होगा। शिक्षकों को भी ये स्थिति मेंटेन करनी है और सरकार को भी इसे बनाए रखना है। इसके साथ ही यदि शिक्षक रिलीव नहीं हुए हैं तो पुरानी जगह पर काम कर सकते हैं। ज्ञात हो कि इस पूरे मामले में करीब 600 याचिकाएं हाईकोर्ट में दाखिल की गई हैं।
ज्ञात हो कि प्रदेश भर में शिक्षकों की पदोन्नति के बाद उनका पदस्थापना आदेश जारी किया गया था। इस दौरान नियमों को दरकिनार कर प्रमोशन पोस्टिंग की आड़ में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां की गई। इसमें शिक्षकों के पद को छिपा कर रखा गया और पैसों का लेनदेन कर पदस्थापना के लिए संशोधित आदेश जारी कर दिया गया। प्रदेश भर में अनियमितता उजागर होने के बाद राज्य शासन ने शिक्षकों के पदस्थापना आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसके खिलाफ प्रभावित शिक्षकों ने याचिका दायर की है। हाईकोर्ट में इस तरह से तकरीबन 600 याचिकाएं दायर की गई है।
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सभी मामलों में जारी रहेगा कोर्ट का आदेश
याचिकाकर्ताओं की तरफ से एडवोकेट प्रतीक शर्मा ने पैरवी की। उनके मुताबिक पदोन्नति पोस्टिंग के केस में हाईकोर्ट ने 11 सितंबर को जो आदेश जारी किया है, वह सभी केस में लागू होगा। कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है, जिसके मुताबिक दोनों पक्षों को इस आदेश का पालन करना होगा। याचिका पर सिंगल बेंच ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। हालांकि, इसके लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गई है।
पोस्टिंग आदेश निरस्त तो स्कूलों में होगी शिक्षकों की कमी
याचिकाकर्ता शिक्षकों की तरफ से एडवोकेट मनोज परांजपे, विपिन तिवारी, प्रतीक शर्मा, अजय श्रीवास्तव ने बहस की। वहीं राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने पक्ष रखा। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता शिक्षकों के वकीलों ने बताया कि राज्य सरकार को ट्रांसफर करने का अधिकार है पर यह ट्रांसफर नहीं है, यह प्रमोशन के बाद नई पोस्टिंग है। याचिकाकर्ताओं की तरफ से यह भी तर्क दिया गया कि जिन स्कूलों में पूर्व में पदस्थापना की गई थी, उनमें पहले से ही अतिशेष शिक्षक हैं। जबकि जिन स्कूलों में पोस्टिंग में संशोधन कर पदस्थापना दी गई है, वहां शिक्षकों की कमी है। यदि यह पोस्टिंग आदेश निरस्त किया जाता है तो स्कूलों में शिक्षकों की कमी की समस्या बनी रहेगी। जवाब में शासन ने कहा कि पोस्टिंग में संशोधन संयुक्त संचालक नहीं कर सकते। इसलिए इसे नियम विपरीत बता कर संशोधन आदेश निरस्त किया गया है।
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संभाग में 700 शिक्षकों की संशोधित पोस्टिंग
शिक्षा विभाग के शिक्षकों की संशोधन पदस्थापना निरस्त होने के बाद बिलासपुर संभाग के 150 से अधिक शिक्षकों को रिलीव कर दिया गया है। छह शिक्षकों ने पदोन्नति अस्वीकार कर दी है और अपनी पुरानी पदस्थापना वाले स्कूल में ज्वाइन कर लिया है। ज्ञात हो कि संभाग में 700 से ज्यादा शिक्षकों की पोस्टिंग संशोधित आदेश के तहत हुई है। इसी दौरान प्रभारी जेडी पर लेनदेन का आरोप लगा था। रिलीव होने के बाद ज्वाइन नहीं करने वाले शिक्षकों को अब ज्वाइन भी नहीं कराया जा सकता।
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