महाराष्ट्र, तमिलनाडु में सबसे ज्यादा लोगों ने की खुदकुशी

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने जारी किए राज्यों के आंकड़े

-कोटा में आत्महत्याओं के जारी दौर के बीच अन्य राज्यों का भी खुलासा

-2021 में देश में दर्ज की गई आत्महत्याओं में 7.2 प्रतिशत की चिंताजनक वृद्धि

नई दिल्ली। भारत के एजुकेशन हब कहे जाने वाले राजस्थान के कोटा में आत्महत्याओं का दौर जारी है। इसी बीच राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी के आंकड़ों ने देश के अन्य राज्यों की स्थिति का भी खुलासा किया है। एनसीआरबी के अनुसार, देश में आत्महत्या के 50 प्रतिशत से अधिक मामले पांच प्रमुख राज्यों महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में दर्ज किए जाते हैं। एनसीआरबी के अनुसार, 2021 में देश में आत्महत्याएं के मामलों की कुल संख्या 1,64,033 थी। रिपोर्ट ने अगस्त 2022 में इस चौंकाने वाले डेटा का खुलासा किया। सोलास नामक एक गैर-लाभकारी गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ने यहां एक मीडिया सम्मेलन के दौरान भारत सरकार के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि आंकड़े चिंताजनक हैं, 2021 में देश में दर्ज की गई आत्महत्याओं में 7.2 प्रतिशत की चिंताजनक वृद्धि हुई है और कुल संख्या 1,64,033 मामलों तक पहुंच गई है।

इन दुखद घटनाओं का महत्वपूर्ण हिस्सा मुख्य रूप से पांच राज्यों, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में दर्ज किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है, कुल मिलाकर, सभी आत्महत्याओं के 50.4 प्रतिशत मामले देश के इन पांच राज्यों में दर्ज किए गए।

आत्महत्या के कारण

आंकड़ों के अनुसार, आत्महत्या कई कारकों से हो सकती है, जैसे किसी के पेशे या करियर से संबंधित मुद्दे, अलगाव की भावना, दुर्व्यवहार, हिंसा, पारिवारिक संघर्ष, मानसिक स्वास्थ्य विकार, शराब की लत, वित्तीय असफलताएं, क्रोनिक दर्द, और भी बहुत कुछ। सोलास संकटग्रस्त लोगों को परामर्श देकर आत्महत्या से निपटने का प्रयास कर रहा है। इसने कहा कि एनसीआरबी केवल पुलिस को रिपोर्ट किए गए मामलों से आत्महत्याओं के बारे में जानकारी इकट्ठा करता है। आत्महत्या के मामलों से निपटने के लिए काम कर रहे गैर सरकारी संगठनों और विशेषज्ञों का मानना है कि आत्महत्या के विचार वाले व्यक्ति अपने जीवन को समाप्त करने की इच्छा के बजाय अपने दर्द से राहत चाहते हैं।

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