अब सुविधा केंद्रों पर मिलेगी डाक मतपत्र की सुविधा

चुनाव ड्यूटी पर तैनात कर्मियों के लिए बदला नियम

नई दिल्ली। चुनाव ड्यूटी पर तैनात मतदाताओं को दी जाने वाली डाक मतपत्र सुविधा के संभावित दुरुपयोग को रोकने के उद्देश्य से चुनाव नियमों में बदलाव किया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसे लोग निर्धारित सुविधा केंद्रों पर ही अपना वोट डालें और मतपत्रों को लंबे समय तक अपने पास नहीं रखें। निर्वाचन आयोग ने पिछले साल सितंबर में केंद्रीय कानून मंत्रालय से चुनाव संचालन नियम, 1961 में बदलाव करने की सिफारिश की थी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि चुनाव ड्यूटी पर तैनात मतदाता उस मतदाता सुविधा केंद्र पर अपना वोट डालें जहां उसे तैनात किया गया है। निर्वाचन आयोग का मानना था कि अगर डाक मतपत्र किसी मतदाता के पास लंबे समय तक रहता है तो वह व्यक्ति उम्मीदवारों या राजनीतिक दलों द्वारा अनुचित प्रभाव, धमकी, रिश्वत और अन्य अनैतिक तरीकों से प्रभावित हो सकता है। अब, कानून मंत्रालय के विधायी विभाग ने चुनाव संचालन नियमों में संशोधन के लिए अधिसूचना जारी की है।

नियमों में एक नयी धारा 18ए जोड़ी गई है। इसमें कहा गया है कि चुनाव ड्यूटी पर तैनात मतदाता अपना डाक मतपत्र प्राप्त करेगा, उस पर अपना वोट दर्ज करेगा और निर्वाचन अधिकारी द्वारा लिखित रूप में निर्दिष्ट सुविधा केंद्र पर इसे वापस करेगा। गत 23 अगस्त को संशोधन लागू होने के साथ, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में आगामी विधानसभा चुनावों में चुनाव ड्यूटी पर तैनात मतदाता अब सुविधा केंद्रों पर मतदान करेंगे। आधिकारिक सूत्रों ने इससे पहले कहा था कि निर्वाचन आयोग ने पिछले चुनावों में देखा था कि चुनाव ड्यूटी पर तैनात जिन मतदाताओं को डाक मतपत्र उपलब्ध कराया जाता है, वे मतदाता सुविधा केंद्रों पर अपना वोट नहीं डालते हैं, बल्कि अपना डाक मतपत्र अपने साथ ले जाते हैं क्योंकि उनके पास चुनाव कानून और संबंधित नियमों के अनुसार मतगणना के दिन सुबह आठ बजे तक डाक मतपत्र डालने का समय होता है। आयोग की मानक नीति में यह प्रावधान है कि चुनाव ड्यूटी पर तैनात मतदाताओं को आवंटित मतदान केंद्रों पर मतदान के प्रबंधन और पर्यवेक्षण के लिए उनके गृह निर्वाचन क्षेत्र के अलावा किसी अन्य निर्वाचन क्षेत्र में तैनात किया जाता है। इस व्यवस्था के कारण वे व्यक्तिगत रूप से अपने घर के मतदान केंद्र पर वोट नहीं डाल पाते हैं। वर्तमान योजना के अनुसार, चुनाव ड्यूटी पर तैनात मतदाता अपने प्रशिक्षण के समय संबंधित निर्वाचन अधिकारी के पास डाक मतपत्रों के लिए आवेदन करते हैं, जो उचित सावधानी के बाद, प्रशिक्षण केंद्र में डाक मतपत्र जारी करते हैं। चुनाव ड्यूटी पर तैनात ऐसे मतदाताओं को आवंटित मतदान केंद्रों के लिए भेजे जाने से पहले सुविधा केंद्र में अपना वोट डालने में सक्षम बनाने के लिए एक सुविधा केंद्र भी स्थापित किया जाता है। सुविधा केंद्र उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में गुप्त और पारदर्शी मतदान सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाओं से लैस होते हैं। हालांकि, उनके पास डाक के माध्यम से अपना डाक मतपत्र भेजने का विकल्प भी है ताकि वे मतगणना शुरू होने के लिए निर्धारित समय – मतगणना के दिन सुबह 8.00 बजे से पहले पहुंच सके।

पहले घर ले जाते थे डाक मतपत्र

ऐसे कई मतदाता चुनाव ड्यूटी करने के बाद डाक मतपत्र लंबे समय तक अपने घरों में रखते हैं, क्योंकि चुनाव चरणबद्ध तरीके से आयोजित किए जाते हैं। उदाहरण के लिए, 2019 के लोकसभा चुनावों में, पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल, 2019 को हुआ था, जबकि वोटों की गिनती की तारीख 23 मई थी। एक अधिकारी ने बताया, इस प्रकार, चुनाव ड्यूटी पर मतदाताओं के लिए स्थापित मतदाता सुविधा केंद्र में मतदान सुनिश्चित करने से डाक मतपत्र सुविधा के संभावित दुरुपयोग को कम किया जा सकेगा।

छत्तीसगढ़ समेत पांच राज्यों में नया नियम

अब नियमों में बदलाव कर एक नई धारा 18ए जोड़ी गई है। इसमें कहा गया है कि चुनाव ड्यूटी पर तैनात कर्मचारी को पोस्टल बैलट दिया जाएगा। कर्मचारी को वोट करने के बाद निर्धारित समय के भीतर ही पोस्टल बैलट सुविधा केंद्र में रिटर्निंग ऑफिसर को देना होगा। गत 23 अगस्त को संशोधन लागू होने के साथ, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में आगामी विधानसभा चुनावों में चुनाव ड्यूटी पर तैनात मतदाता अब सुविधा केंद्रों पर मतदान करेंगे।

चुनावी राज्यों में अक्टूबर की शुरुआत तक पूरा होगा दौरा

इधर, निर्वाचन आयोग अक्टूबर की शुरुआत तक पांच चुनावी राज्यों का दौरा संपन्न कर लेगा। इसके बाद इन राज्यों में विधानसभा चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा करने की संभावना है। आयोग चुनाव तैयारियों का जायजा लेने के लिए पहले ही छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और मिजोरम का दौरा कर चुका है। यह सितंबर के अंत और अक्टूबर की शुरुआत में राजस्थान और तेलंगाना का दौरा करेगा। आयोग में मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार और चुनाव आयुक्त अनुप चंद्र पांडे तथा अरुण गोयल शामिल हैं। दौरे के बाद, निर्वाचन आयोग इन राज्यों में चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर सकता है।

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