खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त में घटकर 6.83 प्रतिशत पर आई
नई दिल्ली। महंगाई के मोर्चे पर अगस्त में थोड़ी राहत मिली है। सब्जियों व अन्य खाद्य सामग्री के दाम घटने से खुदरा महंगाई दर अगस्त में घटकर 6.83 फीसदी पर आ गई। हालांकि, अब भी यह आरबीआई के दायरे के बाहर है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर से मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 9.94 प्रतिशत रही, जो जुलाई में 11.51 प्रतिशत थी। वहीं, ग्रामीण महंगाई दर 7.63 पर्सेंट से घटकर 7.02 पर्सेंट और शहरी महंगाई दर 7.20 पर्सेंट से घटकर 6.59 पर्सेंट पर आ गई। बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने 2023-24 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के 5.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। बता दें कि जुलाई 2023 में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति दर 7.44 प्रतिशत रही थी, जबकि जून 2023 में खुदरा मुद्रास्फीति दर 4.81 प्रतिशत थी।
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मुद्रास्फीति दर 4 फीसदी लाने पर फोकस
बता दें कि आरबीआई मंहगाई दर को लेकर काफी गंभीर है। रिजर्व बैंक का टारगेट इसे 4 फीसदी पर लाने का है। हाल ही में आरबीआई गवर्नर ने कहा था कि सब्जियों की कीमतें घट रही है। यह मुद्रास्फीति को नीचे लाने में मददगार साबित होंगी।
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जुलाई में इंडस्ट्रियल उत्पादन 5.7 फीसदी बढ़ा
देश का औद्योगिक उत्पादन जुलाई महीने में 5.7 प्रतिशत बढ़ा है। आईआईपी के आधार मापे जाने वाले औद्योगिक उत्पादन में पिछले साल इसी महीने में 2.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।आंकड़ों के मुताबिक, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का प्रोडक्शन जुलाई 2023 में 4.6 प्रतिशत बढ़ा है। वहीं माइनिंग प्रोडक्शन में 10.7 प्रतिशत और बिजली प्रोडक्शन में 8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
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कैसे बढ़ती-घटती है महंगाई
महंगाई का बढ़ना और घटना प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है। अगर लोगों के पास पैसे ज्यादा होंगे तो वह ज्यादा चीजें खरीदेंगे। ज्यादा चीजें खरीदने से चीजों की डिमांड बढ़ेगी और डिमांड के मुताबिक सप्लाई नहीं होने पर इन चीजों की कीमत बढ़ेगी। इस तरह बाजार महंगाई की चपेट में आ जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो बाजार में पैसों का अत्यधिक बहाव या चीजों की शॉर्टेज महंगाई का कारण बनता है। वहीं अगर डिमांड कम होगी और सप्लाई ज्यादा तो महंगाई कम होगी।
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