-प्रधानमंत्री मोदी ने द्विपक्षीय बैठक में उठाया खालिस्तानी आतंकवाद का मुद्दा
(फोटो : ट्रूडो)
नईदिल्ली। दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर पीएम नरेंद्र मोदी ने कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ द्विपक्षीय बैठकें की हैं। इसी कड़ी में रविवार (10 सितंबर) को प्रधानमंत्री मोदी ने कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने विभिन्न क्षेत्रों में भारत-कनाडा संबंधों की पूरी श्रृंखला पर चर्चा की। इस मुलाकात के बारे में पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, “पीएम जस्टिन ट्रूडो के साथ सार्थक बैठक की। हमने विभिन्न क्षेत्रों में भारत-कनाडा संबंधों की पूरी श्रृंखला पर चर्चा की। ” सूत्रों के अनुसार, पीएम मोदी ने इस दौरान कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो के सामने खालिस्तान का मुद्दा भी उठाया।
इस बैठक के बाद खालिस्तान के मुद्दे और विदेशी हस्तक्षेप पर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा, “दोनों मुद्दे उठे। इन वर्षों में, पीएम मोदी के साथ, हमने इन दोनों मुद्दों पर कई बातचीत की है। कनाडा हमेशा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, अंतरात्मा की स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण विरोध की स्वतंत्रता की रक्षा करेगा और यह हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है। कनाडा के प्रधानमंत्री ने कहा, “समय आ गया है कि हम हिंसा को रोकने और नफरत को पीछे धकेलने के लिए हमेशा मौजूद रहें। मुझे लगता है कि इस समुदाय के मुद्दे पर, ये याद रखना महत्वपूर्ण है कि कुछ लोगों की हरकतें पूरे समुदाय या कनाडा का प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं। इसका दूसरा पहलू यह है कि हमने कानून के शासन का सम्मान करने के महत्व पर भी प्रकाश डाला और हमने विदेशी हस्तक्षेप के बारे में भी बात की। “
भारत कनाडा का महत्वपूर्ण भागीदार
भारत-कनाडा संबंधों और पीएम मोदी के साथ अपने संबंधों पर, कनाडाई प्रधानमंत्री ने कहा, “हम मानते हैं कि भारत दुनिया में एक असाधारण रूप से महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्था है। भारत जलवायु परिवर्तन से लड़ने से लेकर विकास और समृद्धि पैदा करने तक हर चीज में कनाडा का एक महत्वपूर्ण भागीदार है। हमेशा बहुत काम करना होता है और हम इसे करना जारी रखेंगे।
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सुनक से भी खालिस्तानी उग्रवाद पर चर्चा
बता दें, इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी नेब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से बातचीत के दौरान खालिस्तान समर्थकों की भारत विरोधी गतिविधियों का मुद्दा उठाया था। सुनक ने भी मीडिया से चर्चा में कहा था, ‘यूके में किसी भी प्रकार का उग्रवाद या हिंसा स्वीकार्य नहीं है और इसीलिए हम विशेष रूप से ‘पीकेई’ खालिस्तान समर्थक चरमपंथ से निपटने के लिए भारत सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। —
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भारत-फ्रांस रक्षा संबंधों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता
(फोटो : पीटीआई)
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकियों और प्लेटफार्म के डिजाइन, विकास और निर्माण में साझेदारी के जरिये भारत-फ्रांस रक्षा संबंधों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई। मोदी और मैक्रों ने रविवार को जी20 शिखर सम्मेलन से इतर वार्ता की। एक संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘‘दोनों नेताओं ने उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकियों और प्लेटफार्म के डिजाइन, विकास और निर्माण में साझेदारी के जरिये रक्षा सहयोग को मजबूत करने और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में तीसरे देशों सहित भारत में उत्पादन को बढ़ाने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।” इसमें कहा गया है, ‘‘इस संदर्भ में, उन्होंने रक्षा संबंधी औद्योगिक रूपरेखा को शीघ्र अंतिम रूप देने का भी आह्वान किया।” संयुक्त बयान में कहा गया है कि भारत और फ्रांस ने जी20 में अफ्रीकी संघ (एयू) की सदस्यता का स्वागत किया और अफ्रीका की प्रगति, समृद्धि और विकास के लिए एयू के साथ काम करने का संकल्प लिया। मोदी और मैक्रों ने क्षेत्रीय और वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए भारत-फ्रांस सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। इसमें कहा गया है, ‘‘उन्होंने ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ यानी ‘एक पृथ्वी, एक कुटुम्ब, एक भविष्य’ का संदेश लेकर वैश्विक भलाई के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता दोहराई।” संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘‘डिजिटल, विज्ञान, तकनीकी नवाचार, शिक्षा, संस्कृति, स्वास्थ्य और पर्यावरण सहयोग जैसे क्षेत्रों पर जोर देते हुए दोनों नेताओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए ‘इंडो-फ्रेंच कैंपस’ के मॉडल पर इन क्षेत्रों में संस्थागत संबंधों को मजबूत करने का आह्वान किया।”
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भारत और तुर्किये करेंगे व्यापार-अवसंरचना संबंधों को मजबूत
(फोटो : तुर्की)
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को तुर्किये के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन के साथ व्यापार और अवसंरचना संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की। मोदी ने रविवार को यहां संपन्न हुए जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन से इतर एर्दोआन से मुलाकात की। मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘हमने भारत और तुर्किये के बीच व्यापार और अवसंरचना संबंधों को और मजबूत करने के तरीकों के बारे में बात की।” एर्दोआन ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए दोनों देशों के बीच सहयोग की व्यापक संभावनाओं का लाभ उठाने का भरोसा जताया। उन्होंने कहा, ‘‘भारत दक्षिण एशिया में हमारा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। और हम इस साल की शुरुआत में तुर्किये में हुए चुनाव के बाद मुख्य रूप से अर्थव्यवस्था और कई अन्य क्षेत्रों में सहयोग की बड़ी क्षमता का दोहन करने में सक्षम होंगे।” एर्दोआन ने कहा कि यह गर्व की बात है कि भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी और 15 ‘अस्थायी’ सदस्यों को स्थायी सदस्य बनाए जाने के पक्ष में हैं। उन्होंने कहा, ‘‘उन 20 (5+15) को बारी-बारी से यूएनएससी का स्थायी सदस्य होना चाहिए। लेकिन जैसा कि आप जानते हैं, दुनिया पांच से बड़ी है। जब हम कहते हैं कि दुनिया पांच से बड़ी है तो हमारा मतलब यह है कि यह केवल अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और रूस के बारे में नहीं है।”
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